Rahul Gandhi Patna Visit: तेजस्वी यादव के साथ सबसे बड़ी दिक्कत है कि उनकी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी के सबसे बड़े नेता ही उनके सबसे बड़े चुनावी हथियार को कुंद करने में जुटे हुए हैं और राजद की मजबूरी है कि वह चाहकर भी इसका खंडन नहीं कर पा रही है.
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राजनीति का भी अपना अलग गणित होता है. कल तक तेजस्वी यादव बिहार में जातीय जनगणना का क्रेडिट लिए घूम रहे थे. अब उन्हीं के सहयोगी दल कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी ने उसे फेक करार दिया है. राहुल गांधी का कहना है कि सत्ता में आने पर वे जातीय जनगणना तो कराएंगे पर बिहार वाली जातीय जनगणना नहीं, बल्कि तेलंगाना वाली. अब बताइए, तेजस्वी यादव को न तो राहुल गांधी के बयान का खंडन करते बन रहा है और न ही अपनाते हुए. तेजस्वी यादव 17 महीने के कार्यकाल की एक और उपलब्धि नौकरी और रोजगार को बताते हैं. उनका दावा है कि उनके कार्यकाल में लाखों शिक्षकों की भर्ती करने का नुस्खा उन्होंने ही सीएम नीतीश कुमार को सुझाया था, लेकिन अब उनके नौकरी देने के दावे पर नीतीश कुमार ने कब्जा कर लिया है और जाहिर सी बात है कि सरकार में मुख्यमंत्री की चलेगी या फिर डिप्टी सीएम की. तो यहां भी तेजस्वी यादव की बात खारिज हो जाती है. फिर तो तेजस्वी यादव खाली हाथ हो गए. खीझ में तेजस्वी यादव कहते हैं कि अरे लेने दीजिए उनको क्रेडिट.
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18 दिन के भीतर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दो बार पटना के दौरे पर आए. राहुल गांधी ने अपने दोनों दौरे में जातीय जनगणना को लेकर कहा, लोगों को मूर्ख बनाया गया है. हमें यह पता लगाना है कि हकीकत क्या है जातीय जनगणना की और हम छोड़ने वाले नहीं हैं. ये बिहार वाला जातीय जनगणना नहीं चाहिए. ये जो फेक जातीय जनगणना इन्होंने किया है, इससे लोगों का भला होने वाला नहीं है. राहुल गांधी ने कहा, जातीय जनगणना एक्स-रे जैसा है. किसी को चोट लगती है तो वह डॉक्टर के पास जाता है और कहता है कि डॉक्टर मेरे हाथ में दर्द है. डॉक्टर एक्स-रे करता है और उसके बाद बताता है कि हाथ टूटा हुआ है.
राहुल गांधी ने 18 जनवरी को यह भी कहा, देशभर में जाति जनगणना होनी चाहिए और इसके आधार पर देश का विकास होना चाहिए. इससे पता लग जाएगा कि किसकी कितनी आबादी है और उसकी ब्यूरोक्रेसी, शिक्षण संस्थानों और निजी कंपनियों में कितनी भागीदारी है. गरीब मजदूरों और किसानों को देश का धन नहीं मिल पा रहा है. वो कुछ चुनिंदा लोगों के हाथों में ही जा रहा है. भले ही मुझे नुकसान उठाना पड़े, मैं जाति जनगणना कराकर ही रहूंगा.
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5 फरवरी को पटना में जातीय जनगणना को लेकर राहुल गांधी ने कहा, जाति जनगणना जरूरी है, लेकिन बिहार वाला नहीं बल्कि तेलंगाना वाला. इससे हमें पता चलेगा कि दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, गरीब, सामान्य वर्ग कितने कितने हैं. इसके बाद हम न्यायपालिका, मीडिया, संस्थानों, ब्यूरोक्रेसी इन सबमें कितनी भागेदारी है, इसकी सूची निकालेंगे. इससे राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव की सबसे बड़ी उपलब्धि को ही एक तरह से खारिज कर दिया है.
18 जनवरी को भी राहुल गांधी के बयान पर राजद की ओर से कहा गया था कि मीडिया ने उनकी बातों को गलत तरीके से पेश किया है. बहुत संभव है कि राजद की ओर से कोई नेता यह कहे कि राहुल गांधी की बातों का गलत मतलब निकाला गया है, जबकि वह लगातार अपनी वही बात दोहरा रहे हैं और मीडिया में भी वहीं बात उजागर हो रही है. जाहिर है कि बिहार की जातीय जनगणना को राहुल गांधी खारिज कर रहे हैं और तेलंगाना के जातीय जनगणना को सुपर बता रहे हैं.
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बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी माहौल गरमाने के साथ ही रोजगार को सबसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी है. 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने 10 लाख नौकरियों का वादा करके हलचल मचा दी थी. इसके बाद एनडीए ने 19 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था. अब चुनाव नजदीक आ रहा है. चुनावी साल में तेजस्वी यादव एक बार फिर रोजगार को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं एनडीए के नेता इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मेहनत बता रहे हैं.