ममता बनर्जी की हिमायत कर सकते हैं लालू प्रसाद तो जातीय जनगणना को फर्जी क्यों नहीं बता सकते राहुल गांधी?
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ममता बनर्जी की हिमायत कर सकते हैं लालू प्रसाद तो जातीय जनगणना को फर्जी क्यों नहीं बता सकते राहुल गांधी?

Bihar Chunav 2025: कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी अब जैसे को तैसा की भाषा में जवाब देने लगे हैं. लालू प्रसाद यादव ने कांग्रेस को आंख दिखाई तो अब राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव की कथित रूप से सबसे बड़ी उपलब्धि को ही फेक करार दिया है. देखना यह है कि दोनों दलों के बीच की खींचतान कहां तक जाती है.

ममता बनर्जी की हिमायत कर सकते हैं लालू प्रसाद तो जातीय जनगणना को फर्जी क्यों नहीं बता सकते राहुल गांधी?

इसमें कोई दोराय नहीं कि इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस अलग थलग पड़ गई है, क्योंकि सभी सहयोगी दल उसे किनारे करने में जुटे हुए हैं. चाहे इंडिया ब्लॉक की लीडरशिप की बात हो या फिर दिल्ली चुनाव में साथ देने की, सहयोगियों ने कांग्रेस को अछूत बनाकर छोड़ दिया. कुछ महीने पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने ​इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने की इच्छा जताई थी और शरद पवार, उमर अब्दुल्ला, अरविंद केजरीवाल ने ममता बनर्जी के पक्ष में आवाज बुलंद की थी. और तो और, राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने भी ममता बनर्जी के नाम पर मुहर लगाने का काम किया था. उनके बेटे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी ममता बनर्जी के नाम पर कोई आपत्ति न होने की बात कही थी. लालू प्रसाद यादव ने तो कहा था, 'ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेता चुना जाना चाहिए. कांग्रेस के विरोध का कोई मतलब नहीं है. ममता को ही नेता बनाया जाना चाहिए.' जाहिर है कांग्रेस को यह बात तीर की तरह चुभी होगी. अब लगता है कि राहुल गांधी इसका बदला लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से ले रहे हैं.

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राहुल गांधी पिछले 18 दिनों में दो बार बिहार की राजधानी पटना का दौरा कर चुके हैं. दोनों ही दौरों में राहुल गांधी ने जातीय जनगणना पर सबसे बड़ा हमला किया और राजद को रक्षात्मक मुद्रा में आना पड़ा था. इसका कारण यह है कि तेजस्वी यादव बिहार में जातीय जनगणना को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक मानते हैं और राहुल गांधी ने बिहार की जातीय जनगणना को ही फेक करार दिया है. राहुल गांधी ने कहा, लोगों को मूर्ख बनाया गया है. हमें यह पता लगाना है कि जातीय जनगणना की हकीकत क्या है और हम छोड़ने वाले नहीं हैं. ये बिहार वाला जातीय जनगणना नहीं चाहिए. ये जो फेक जातीय जनगणना इन्होंने किया है, इससे लोगों का भला होने वाला नहीं है. 

अब आप ही सोचिए, राहुल गांधी लगातार एक ही बात दोहरा रहे हैं. पहली बार में तो राजद नेताओं ने यह कहकर राहुल गांधी का बचाव किया कि राहुल गांधी की बातों को गलत संदर्भ में पेश किया गया है और इसका दोष मीडिया पर फोड़ दिया गया, लेकिन राहुल गांधी लगातार उस बात को दोहरा रहे हैं. वो लगातार यह कहते दिख रहे हैं कि बिहार की जातीय जनगणना फर्जी है और इसका कोई मतलब नहीं है. यहां तक कि पटना के अपने दूसरे दौरे में राहुल गांधी ने यह भी कह दिया कि बिहार वाली जातीय जनगणना नहीं, तेलंगाना वाली जातीय जनगणना कराया जाना चाहिए. इसका मतलब यह हुआ कि बिहार की जातीय जनगणना, जिसका तेजस्वी यादव और पूरा राजद समूह बखान करता है और अपनी उपलब्धि मानता है, राहुल गांधी ने एक झटके में उसकी हवा निकाल दी. 

अब सोचिए कि राहुल गांधी ऐसा क्यों कर रहे हैं. वे अनायास ऐसा कर रहे हैं, अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो आप गलत हैं. दरअसल, लालू प्रसाद यादव खुलेआम कांग्रेस को आंख दिखाते हुए ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक की लीडरशिप दिए जाने की हिमायत कर रहे हैं तो क्या राहुल गांधी जातीय जनगणना को फेक भी नहीं बता सकते. इसका मतलब यह है कि राहुल गांधी अब जैसे को तैसा वाली भाषा में सहयोगी दलों को जवाब दे रहे हैं. वे यह दिखा रहे हैं कि अगर लालू प्रसाद यादव कांग्रेस को नीचे दिखाने की कोशिश करेंगे तो हम भी लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की उपलब्धियों को लेकर बात करेंगे और उसे फर्जी बता सकते हैं. दिल्ली चुनाव में इंडिया ब्लॉक बिखर चुका है तो क्या बिहार चुनाव में इंडिया ब्लॉक साथ रह पाएगा? यह सवाल अब पैदा होना लाजिमी है. क्या पता चुनाव नजदीक आते आते राहुल गांधी बिहार में लालू प्रसाद यादव के जंगलराज और चारा घोटाले का राग अलापना शुरू कर दें. राजनीति तो यही है न. 

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अब आप बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह के उस बयान की बारिकियों पर भी नजर डालिए, जो उन्होंने राहुल गांधी के पटना दौरे से एक दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस करते हुए दिया था. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा था, 'कांग्रेस को कोई अंडरस्टीमेट नहीं कर सकता. राहुल गांधी के यहां आने से पार्टी को मजबूती मिलती है.' राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो यह कांग्रेस की ओर से अंडरलाइन स्टेटमेंट है. हालांकि अखिलेश प्रसाद सिंह ने यह भी कहा, 'राजद और कांग्रेस एक दूसरे के पूरक हैं. आरजेडी भी कांग्रेस की तरह कभी बीजेपी के साथ नहीं गई है. राजद से कोई खींचतान नहीं है. कांग्रेस और आरजेडी अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बीजेपी और एनडीए को सत्ता से बाहर करने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं.' अब आप राजनीति और ह्यूमन नेचर को एक साथ मिलाकर देखेंगे तो पाएंगे कि कांग्रेस खुद को राजद के सामने कमतर आंकने के मूड में बिल्कुल भी नहीं है. इसलिए कई कांग्रेसी विधानसभा चुनाव में अभी से ही 70+ की डिमांड लेकर चल रहे हैं. तो सवाल यह भी उठता है कि क्या बिहार में दिल्ली रिपीट होने जा रहा है?

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