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18 दिन के भीतर कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दो बार पटना के दौरे पर आए. कार्यक्रम में हिस्सा लिया और संबोधित किया. सरकार पर हमला बोला. केंद्र सरकार और बिहार सरकार दोनों निशाने पर रहे और गाहे बगाहे कांग्रेस की सरकारें और तेजस्वी जिस सरकार में डिप्टी सीएम का ओहदा ढोते रहे, उस पर भी हमला बोल दिया. लेकिन एक बात जो निकलकर आई वो यह रही कि 18 जनवरी और 5 फरवरी के दौरे में जो भी संबोधन राहुल गांधी की ओर से हुए, उसमें वाक्यों में तो हेरफेर स्वाभाविक था, लेकिन भावार्थ एक ही था. राहुल गांधी के संबोधन को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों का रिएक्शन भी आ रहा है. लोग लिख रहे हैं कि एक ही बात बोलने के लिए दो बार आने की क्या जरूरत थी.
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आइए, देखते हैं राहुल गांधी ने 18 जनवरी को क्या कहा था
बापू सभागार में कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने बिहार की जातीय गणना पर बड़ा सवाल उठाते हुए इसे फेक बता दिया था. राहुल गांधी ने कहा था, लोगों को मूर्ख बनाया गया है. हमें यह पता लगाना है कि हकीकत क्या है जातीय जनगणना की और हम छोड़ने वाले नहीं हैं. ये बिहार वाला जातीय जनगणना नहीं चाहिए. ये जो फेक जातीय जनगणना इन्होंने किया है, इससे लोगों का भला होने वाला नहीं है. राहुल गांधी ने कहा, जातीय जनगणना एक्स-रे जैसा है. किसी को चोट लगती है तो वह डॉक्टर के पास जाता है और कहता है कि डॉक्टर मेरे हाथ में दर्द है. डॉक्टर एक्स-रे करता है और उसके बाद बताता है कि हाथ टूटा हुआ है.
राहुल गांधी ने तब कहा था कि देशभर में जाति जनगणना होनी चाहिए और इसके आधार पर देश का विकास होना चाहिए. इससे पता लग जाएगा कि किसकी कितनी आबादी है और उसकी ब्यूरोक्रेसी, शिक्षण संस्थानों और निजी कंपनियों में कितनी भागीदारी है. गरीब मजदूरों और किसानों को देश का धन नहीं मिल पा रहा है. वो कुछ चुनिंदा लोगों के हाथों में ही जा रहा है. भले ही मुझे नुकसान उठाना पड़े, मैं जाति जनगणना कराकर ही रहूंगा. साथ ही आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा को भी तोड़ने की जरूरत है. मोदी सरकार संविधान को बदलने की बात कर रही थी. जब चुनाव में जनता ने सच्चाई दिखाई तो संविधान को सिर पर रखकर आए.
राहुल गांधी ने निजी क्षेत्रों में दलित, आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग की बहुत कम भागीदारी होने पर चिंता जताते हुए कहा, देश की 500 बड़ी कंपनियों की लिस्ट निकालिए. उनमें से एक भी कंपनी का मालिक इन वर्गों से नहीं है. यहां तक कि इन कंपनियों के टॉप मैनेजमेंट में भी दलित, पिछडा, अल्पसंख्यक और आदिवासियों को जगह नहीं मिली है.
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अब 5 फरवरी का बयान भी पढ़ लीजिए
5 फरवरी को राहुल गांधी ने पटना में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्री तो बनाए पर अपने ही मंत्रियों की शक्तियां छीन लीं. मंत्री बनाए, लेकिन OSD आरएसएस का लगा दिया. बीजेपी और आरएसएस इस संविधान को खत्म करना चाहते है. इसे सीधे से नहीं मारते हैं. मोदी जी इसके सामने मत्था टेकते हैं और पीछे से अपना काम करते हैं. राहुल गांधी ने कहा, जाति जनगणना जरूरी है, लेकिन बिहार वाला नहीं बल्कि तेलंगाना वाला. इससे हमें पता चलेगा कि दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, गरीब, सामान्य वर्ग कितने कितने हैं. इसके बाद हम न्यायपालिका, मीडिया, संस्थानों, ब्यूरोक्रेसी इन सबमें कितनी भागेदारी है, इसकी सूची निकालेंगे.
राहुल गांधी ने पूछा, हिंदुस्तान के पावर सेंटर या बिजनेस सिस्टम या फिर न्यायपालिका में कितनी भागीदारी है. लोग कहते हैं कि दलितों को रिप्रेजेंटेशन मिला लेकिन पावर मिले बिना रिप्रेजेंटेशन के कोई मायने नहीं हैं. मोदी ने 16 लाख करोड़ रुपया का ऋण माफ किया है, लेकिन किसका माफ किया है. सूची निकालिए, एक भी दलित उसमें नहीं है.
राहुल गांधी ने कहा, हिंदुस्तान के हर संस्थानों में टॉप टेन कंपनियों में दलित शीर्ष स्थान पर हो, इसके लिए हम संघर्ष करते रहेंगे.