‘स्ट्रीट वेंडर से ब्यूरोक्रेट’ का बिहार के राज्यपाल ने किया विमोचन, मनोज कुमार की कहानी से मिलेगी प्रेरणा
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2633343

‘स्ट्रीट वेंडर से ब्यूरोक्रेट’ का बिहार के राज्यपाल ने किया विमोचन, मनोज कुमार की कहानी से मिलेगी प्रेरणा

Bihar News: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आज ब्यूरोक्रेट मनोज कुमार की किताब स्ट्रीट वेंडर से ब्यूरोक्रेट का विमोचन किया. इस किताब में मनोज कुमार के संघर्ष के बारे में बताया गया है.

मनोज कुमार

पटना: बुधवार को राजभवन में बिहार के ब्यूरोक्रेट मनोज कुमार, आई.ओ.एफ.एस. की बहुप्रतीक्षित आत्मकथा स्ट्रीट वेंडर से ब्यूरोक्रेट का विमोचन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के द्वारा किया गया. इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि बिहार में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. संघर्ष इंसान को तराशता है और देर सी ही लेकिन सफलता मिलती है. इसका उदाहरण लेखक एवं सिविल सेवक मनोज कुमार खुद है. जिन्होंने गरीबी एवं संसाधनविहिनता के बावजूद धारा के विपरीत चलकर सिविल सर्विस की परीक्षा उत्तीर्ण की और समाज में एक मिसाल कायम किया.

राज्यपाल ने आगे कहा कि यह किताब देखने में भले ही छोटी है, लेकिन सारगर्भित एवं प्रेरणादायी है. मनुष्य की पहचान उसके श्रेष्ठ कर्मों से होती है और इस कर्म के निर्वहन के दौरान कई सारी परेशानियां आती है जिसका हिम्मत के साथ सामना करना होता है. जीत उसे ही मिलती है. प्रकृति की रचना में मानव प्रेम है, उत्तरदायित्व है. इसलिए हर सफल व्यक्तित्व को अपना अर्जित ज्ञान और अनुभव बांटकर सामाजिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करना चाहिए.

राज्यपाल ने कहा कि ‘बिहार की शोक’ कहीं जाने वाली कोशी नदी के इलाके से निकलकर देश राजधानी दिल्ली में जब गंवई-भदेष जीवनषैली का नवयुवक अपने और अपने खून के परिभाषा से कड़वा साक्षात्कार करता है तो एक नया जीवन-दर्षन या बनकर उभरता है. मनोज कौन अपना, कौन पराया ? कौन सगा ? कौन गैर? यह दुनिया रिश्तों-नातों की माया है. स्वार्थ सध गया तो सब अपने. गर टकरा गया तो सब पराये.

अंडा से लेकर सब्जी एवं खाद्य सामग्रियों की रेकी से दिल्ली की गलियों- मोहल्लों में फेरी करने वाला एक आम बिहारी युवा मनोज के बारे में कौन जानता था कि यही दिल्ली उसे फर्श  से लेकर अर्श तक की दूरी तय करायेगी. बचपन में आईएएस को सामने देखने की ललक में चाहरदिवारी से गिरकर पैरों को जख्मी करने वाला लड़का अपने पिता के रिटायरमेंट के बाद बड़े परिवार को चलाने के लिए बतौर आजीविका झाड़ू, पोछा लगाने से लेकर दिल्ली विश्व विद्यालय के अरविन्दों कॉलेज से ईवनिंग सत्र में पढ़ाई करना असीम संघर्ष के बिहारी नायक मनोज की कहानी है.

लेखक ने अपनी आत्मकथा- स्ट्रीट वेंडर से ब्यूरोक्रेट में लिखा है कि अरविंदो कॉलेज के एडहॉक लेक्चरर ने जब यूपीएससी करने की नसीहत मुझे दी जाती है तो मैं सहसा पूछ पड़ा कि ये यूपीएससी क्या होता है? आईएएस/आईपीएस तो ठीक है पर नौकरी कौन सी मिलेगी ? यानी यूपीएससी से अनभिज्ञ अब तक सिर्फ कारवां और लाव-लश्कर में अफसरों को देखकर बड़ा हाकिम मानने वाला मनोज का लगाव देश के प्रतिष्ठित परीक्षा सिविल सेवा की ओर बनने लगती है.

कड़ी मेहनत, अनुषासित जीवन-षैली और कद्दावर शिक्षकों से निरंतर मार्गदर्षन के बावजूद वह अनिवार्य विषयअंग्रेजी भाषा में अनुत्तीर्ण होता है. लेकिन वह मन ही मन अटल बिहारी वाजपेयी की पंक्तियों को गुनगुनाता है. यही वजह रही कि जिद, जुनून और जीत की सफल कहानी उसने वर्ष 2010 में देश के इस्पाती चौखट-सिविल सेवा पर दस्तक देकर लिख डाली. मनोज का चयन यूपीएससी के आई.ओ.एफ.एस. सेवा के लिए हुआ.

ये भी पढ़ें- Rahul Gandhi: लालू यादव के गौशाला में राहुल गांधी की एंट्री, मंदिर में लिया आशीर्वाद

केन्द्र एवं राज्य के विभिन्न विभागों में अपनी सेवा देते हुए वर्तमान में विशेष सचिव, ग्रामीण कार्य विभाग, बिहार सरकार में कार्यरत हैं. आत्मकथा स्ट्रीट वेंडर से ब्यूरोक्रेट, मनोज कुमार ने अपने प्रशासनिक व्यस्तता के बावजूद खुद लिखी है, जो हर युवा के लिए पठनीय है. किताब का संपादन युवा टिप्पणीकार, लेखक-चिंतक डॉ हर्षवर्धन कुमार ने किया है.

बिहार की नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहाँ पढ़ें Bihar News in Hindi और पाएं Bihar latest News in Hindi  हर पल की जानकारी । बिहार की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार। जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!

Trending news