Rahul Gandhi Patna Visit: बड़े नेता विजन दिखाते हैं. संभव है कि पटना में स्व. जगलाल चौधरी की जयंती पर कार्यक्रम आलाकमान के निर्देश पर आयोजित किया गया हो, लेकिन स्थानीय नेताओं की छोटी छोटी गलतियों से बड़े नेताओं के प्रयासों को धक्का लगता है. भूदेव चौधरी के साथ जो हुआ, वो आगे चलकर भारी पड़ सकता है.
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Rahul Gandhi Bihar Visit: बिहार की पहली कैबिनेट के सदस्य रहे स्व. जगलाल चौधरी की जयंती पर पटना में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. तमाम बड़ी बड़ी बातें हुईं. दिल्ली से कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी पधारे. जातीय जनगणना से लेकर दलितों के उत्थान को लेकर दुनिया भर के दावे किए गए पर स्व. जगलाल चौधरी के बेटे भूदेव चौधरी का ही सम्मान नहीं हो पाया. पिता की जयंती पर बेटे को ही इग्नोर कर दिया गया. बताया जा रहा है कि स्व. जगलाल चौधरी के बेटे को कार्यक्रम के मंच पर नहीं जाने दिया, जबकि वह राहुल गांधी से मुलाकात करना चाहते थे. स्व. जगलाल चौधरी के बेटे की आखिर तक राहुल गांधी से मुलाकात नहीं कराई गई. अपमान होने पर भूदेव चौधरी का दर्द छलका और वे बीच इंटरव्यू में ही रोने लगे. भूदेव चौधरी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेताओं और सुरक्षाकर्मियों ने उनकी बात नहीं सुनी और राहुल गांधी से मिलने नहीं दिया.
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स्व. जगलाल चौधरी की जयंती समारोह में कांग्रेस के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी का शामिल होना अनायास ही नहीं है. दरअसल, वे बिहार में कांग्रेस से विमुख हो चुके दलित और पिछड़ों को फिर से जोड़ना चाहते हैं. इसलिए ऐसे किरदारों को जिंदा किया जा रहा है. बता दें कि स्व. जगलाल चौधरी बिहार कांग्रेस कमेटी के सदस्य और सरकार में मंत्री भी रहे. आबकारी मंत्री रहते राज्य में सबसे पहले शराबबंदी जगलाल चौधरी ने ही लागू की थी.
जगलाल चौधरी ने सारण, मुजफ्फरपुर, हजारीबाग, धनबाद और रांची में 6 अप्रैल, 1938 को शराबबंदी लागू की थी. उनका कार्यकाल छोटा लेकिन उल्लेखनीय था. कांग्रेस के दलित नेता रहे जगलाल चौधरी के नाम पर कार्यक्रम का आयोजन करना और दिल्ली से 18 दिन के भीतर राहुल गांधी का पटना आना अनायास कैसे हो सकता है.
माना जा रहा है कि राहुल गांधी कांग्रेस से विमुख हो चुके दलितों और पिछड़ों को फिर से कांग्रेस से जोड़ना चाहते हैं. राहुल गांधी अब समझ गए हैं कि बिना दलितों और पिछड़ों को जोड़े कांग्रेस की सत्ता में वापसी नहीं हो सकती. और बिना कांग्रेस के मजबूत हुए सहयोगी दल ऐसे ही आंख दिखाते रहेंगे, जैसे लालू प्रसाद यादव दिखा रहे हैं.
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लेकिन कांग्रेस को जिनके नाम पर मजबूत करने की कोशिश की जा रही है, उन्हीं के बेटे का तिरस्कार हो तो पार्टी को मजबूत करने की मंशा पर सवाल उठते हैं. भूदेव चौधरी को मंच पर बैठा लिया जाता तो आखिर कांग्रेस का क्या बिगड़ जा रहा था. स्थानीय नेताओं की छोटी छोटी गलती कभी कभी बड़े नेताओं को भारी पड़ जाती है.