Sonbhadra Latest News: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है. जहां पर पुजारी ने मंदिर की जमीन को अपने नाम कर लिया है. इस दौरान पुजारी पर कई आरोप मंदिर समिति और स्थानीय लोगों ने लगाया है.
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Sonbhadra Hindi News/अंशुमान पांडे: सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें भगवान शिव और माता पार्वती के नाम से बने ट्रस्ट (शिव पार्वती प्राचीन काशी सेवा समिति) की ज़मीन को मंदिर के पुजारी ने खुद के नाम कर लिया. इतना ही नहीं, पुजारी ने भगवान शिव और माता पार्वती को कागज़ों में मृत दिखाकर ज़मीन को अपने नाम करने की साजिश रची और बाद में इस ज़मीन पर अपने परिजनों के नाम दुकानें खोलकर अतिक्रमण कर लिया.
मंदिर समिति ने जताया आक्रोश
जब इस गड़बड़ी की जानकारी मंदिर समिति को हुई, तो समिति के सदस्यों में हड़कंप मच गया. समिति ने इस मामले की शिकायत पहले एसडीएम घोरावल से की, जहां जांच के बाद आरोप सही पाए गए. इसके बाद समिति के लोग जिलाधिकारी सोनभद्र के पास पहुंचे और मामले में जल्द कार्रवाई की मांग की. जिलाधिकारी ने समिति को आश्वासन दिया कि कागजातों की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी.
प्राचीन मंदिर के ऐतिहासिक महत्व को पहुंचा नुकसान
जानकारों के अनुसार, यह मंदिर 11वीं शताब्दी का बताया जाता है और यहां भगवान शिव और माता पार्वती की प्राचीन मूर्तियां स्थापित हैं. श्रावण मास, शिवरात्रि और बसंत पंचमी के अवसरों पर यहां बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. मंदिर की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को देखते हुए इसे पर्यटन स्थल के रूप में भी महत्वपूर्ण माना जाता है. लेकिन पुजारी के इस कृत्य से मंदिर की पवित्रता और उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया है, जिससे स्थानीय लोग और श्रद्धालु बेहद नाराज़ हैं.
पुजारी पर चढ़ावे के दुरुपयोग का भी आरोप
मंदिर समिति के मुताबिक, पुजारी न केवल मंदिर की संपत्ति को हड़पने में लगा था, बल्कि मंदिर में चढ़ाए गए चढ़ावे को भी अपने निजी कार्यों में इस्तेमाल कर रहा था. समिति का कहना है कि मंदिर में भक्तों द्वारा चढ़ाया गया धन मंदिर की देखरेख और जनसेवा के कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लेकिन पुजारी इसे अपने निजी खर्चों में इस्तेमाल कर रहा था.
मंदिर समिति और स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि
1. अवैध रूप से पुजारी द्वारा कब्ज़ा की गई जमीन को वापस लिया जाए.
2. पुजारी और उसके परिजनों पर कानूनी कार्रवाई की जाए.
3. मंदिर के संचालन की ज़िम्मेदारी प्रशासन द्वारा गठित समिति को सौंपी जाए.
4. मंदिर की संपत्ति और चढ़ावे का उपयोग केवल मंदिर के रखरखाव और जनसेवा के लिए किया जाए.
प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
जब मीडिया ने इस मामले पर जिलाधिकारी से प्रतिक्रिया लेनी चाही, तो उन्होंने यह कहकर बात करने से इनकार कर दिया कि उन्हें अभी मामले की पूरी जानकारी नहीं है. इस चुप्पी से स्थानीय लोगों में और भी नाराज़गी बढ़ गई है.
न्याय की आस में भक्त और श्रद्धालु
श्रद्धालु और स्थानीय लोग अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि प्रशासन जल्द से जल्द कार्रवाई करेगा और मंदिर की पवित्रता को बचाएगा. मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि धर्मस्थलों की संपत्ति पर इस तरह के अतिक्रमण को रोका जाना चाहिए, ताकि धार्मिक आस्था पर किसी तरह का आघात न हो.
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