Congress Headquarter Delhi: उस रोज 21 लोगों के साथ खामोशी ओढ़कर आई थीं इंदिरा गांधी, कहानी 24 अकबर रोड की
Advertisement
trendingNow12021791

Congress Headquarter Delhi: उस रोज 21 लोगों के साथ खामोशी ओढ़कर आई थीं इंदिरा गांधी, कहानी 24 अकबर रोड की

Congress News: कांग्रेस पार्टी दिल्ली में अपना मुख्यालय शिफ्ट करना चाहती है. देशभर के कांग्रेसी और आम लोग भी इसका एड्रेस जानते होंगे. 24 अकबर रोड काफी सुर्खियों में रहा है. 4 दशक से ज्यादा वक्त तक यहां से कांग्रेस का कामकाज चला.

Congress Headquarter Delhi: उस रोज 21 लोगों के साथ खामोशी ओढ़कर आई थीं इंदिरा गांधी, कहानी 24 अकबर रोड की

Congress New Headquarter Delhi: वो जनवरी 1978 की सर्द सुबह थी. पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व में सोबन सिंह और 20 अन्य कर्मचारी 24, अकबर रोड में प्रवेश कर रहे थे. लुटियंस दिल्ली में 24, अकबर रोड टाइप VII बंगला हुआ करता था, जो आंध्र प्रदेश के राज्यसभा सांसद जी. वेंकटस्वामी का था. वह उन चुनिंदा लोगों में से थे, जिन्होंने ऐसे समय इंदिरा गांधी का साथ दिया जब ज्यादातर कांग्रेस नेताओं ने उनसे दूरी बना ली थी. कांग्रेसियों को डर था कि इंदिरा से करीबी पता चलने पर सत्तारूढ़ जनता पार्टी के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई का गुस्सा झेलना पड़ेगा, जो खुद पहले कांग्रेसी थे. ये कहानी है पिछले 45 साल से दिल्ली में कांग्रेस का हेडक्वॉर्टर रहे 24 अकबर रोड की. 

तब इंदिरा के पास घर नहीं था

'24 अकबर रोड और सोनिया' नाम से किताब लिखने वाले लेखक राशिद किदवई ने एक लेख में दिलचस्प बातें बताई हैं. वह लिखते हैं कि 1977-78 के आपातकाल के बाद का वक्त इंदिरा गांधी के लिए किसी परीक्षा की तरह था. उन्होंने न केवल सारी शक्तियां खो दी थीं बल्कि पद के साथ सरकारी घर भी चला गया. उनका महरौली फार्महाउस भी अभी आधा ही बना था. इधर, भरोसेमंद दोस्त एक-एक कर दूर जा रहे थे. परेशानियां बढ़ने लगीं तो परिवार के एक वफादार मित्र मोहम्मद यूनुस ने अपना घर 12 विलिंग्डन क्रिसेंट इंदिरा और उनके परिवार को प्राइवेट रेजिडेंस के रूप में देने की पेशकश की। वह खुद साउथ दिल्ली के एक घर में रहने चले गए. इस तरह से 12 विलिंग्डन क्रिसेंट गांधी परिवार का घर बन गया. इंदिरा, राजीव, उनकी पत्नी सोनिया, राहुल-प्रियंका, संजय गांधी, उनकी पत्नी मेनका और पांच कुत्ते यहां रहने लगे. मुश्किल यह हुई कि अब यहां से किसी तरह की पॉलिटिकल एक्टिविटी के लिए जगह ही नहीं बची. 

ऐसे में 24, अकबर रोड को कांग्रेस के नए आधिकारिक मुख्यालय के रूप में चुना गया. अगले साढ़े चार दशक कांग्रेस के इस ऑफिस ने काफी उतार-चढ़ाव देखे. अगर आप गूगल मैप देखेंगे तो समझ में आएगा कि इसकी लोकेशन कुछ ऐसी है कि एक तरफ मौलाना आजाद रोड और दूसरी तरफ जनपथ रोड है. किदवई लिखते हैं कि तब यहां महज पांच बेडरूम, एक लिविंग और डाइनिंग हॉल और एक गेस्ट रूम हुआ करता था. 

इस घर का लाभ यह था कि इसका गेट 10, जनपथ से जोड़ रहा था, जो उस समय भारतीय युवा कांग्रेस का कार्यालय था और अब कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी का घर है. वर्षों तक 10, जनपथ और 24, अकबर रोड के बीच एक कड़ी देखी गई जिससे कांग्रेस सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गई. कुछ लोग कांग्रेस मुख्यालय का पता 'अकबर रोड' उसके लिए लकी मानते हैं. जैसे अकबर ने पहले लड़ाई लड़ी फिर लंबा शासन किया. कांग्रेस के साथ भी ऐसा ही हुआ. पहले लड़खड़ाई फिर सत्ता में आई. 

आंग सान सू की कनेक्शन

कम लोगों को पता होगा कि कांग्रेस का ऑफिस बनने से पहले भी इस इमारत से एक खास बात जुड़ी थी। 1961 से दो साल तक म्यांमार की लोकतंत्र समर्थक नेता और नोबल शांति पुरस्कार पाने वालीं आंग सान सू की यहां रही थीं. सू की उस समय करीब 15 साल की थीं. वह अपनी मां के साथ आई थीं, जिन्हें म्यांमार ने राजदूत बनाकर भारत भेजा था. तब 24 अकबर रोड को 'बर्मा हाउस' (Burma House 24 Akbar Road) कहा जाता था. यह नाम भी पंडित नेहरू ने दिया था. वैसे, यह घर एडविन लुटियंस ने 1911 और 1925 के बीच बनाया था. 

नया मुख्यालय 'इंदिरा भवन' होगा

अब कांग्रेस पार्टी जनवरी 2024 के दूसरे हफ्ते में नई बिल्डिंग में अपना मुख्यालय शिफ्ट करने जा रही है. बताया जा रहा है कि नए हेडक्वॉर्टर का नाम 'इंदिरा भवन' (Indira Bhavan Congress Headquarter) होगा. वैसे यह शिफ्टिंग मार्च 2023 में ही होनी थी लेकिन देरी होती गई. बताते हैं इस नए ऑफिस को कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल और मोती लाल वोरा ने डिजाइन किया था. 

भाजपा मुख्यालय पड़ोस में

हां, दिलचस्प बात यह है कि जिस दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर कांग्रेस का नया मुख्यालय होगा, उसके करीब भाजपा का भी राष्ट्रीय मुख्यालय है. 

इमारत खाली करने का नोटिस

केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद 2015 से कई बार कांग्रेस को नोटिस जारी कर बिल्डिंग खाली कर मुख्यालय शिफ्ट करने को कहा जा चुका है. शहरी विकास मंत्रालय की ओर से कहा गया था कि राजनीतिक दलों को कार्यालय बनाने के लिए आवंटित जमीन की पॉलिसी के तहत कांग्रेस को जून 2013 में ही चार बंगले खाली करने थे. 2015 में मंत्रालय की ओर से फाइन भी मांगा गया था. बाद में कांग्रेस ने तीन साल का समय मांगा था.

Trending news