ट्रंप का 'गोल्ड कार्ड' वीजा क्या है और कैसे काम करेगा? जान लीजिए भारतीयों पर क्या होगा असर
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ट्रंप का 'गोल्ड कार्ड' वीजा क्या है और कैसे काम करेगा? जान लीजिए भारतीयों पर क्या होगा असर

America Gold Card Scheme: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अमीर निवेशकों को आकर्षित करके पैसा कमाने के लिए गोल्ड कार्ड स्कीम लेकर आए हैं. अगर यह लागू हो जाती है, तो यह लंबे समय से ग्रीन कार्ड की कोशिशों में जुटे भारतीय पेशेवरों की परेशानियों को और बढ़ा देगी. जानिए इसका क्या असर होगा. 

ट्रंप का 'गोल्ड कार्ड' वीजा क्या है और कैसे काम करेगा? जान लीजिए भारतीयों पर क्या होगा असर

America Gold Card Scheme: सत्ता की कुर्सी संभालने के बाद से ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कड़ा रूख अपना रहे हैं. वो लगातार अप्रवासियों को अपने देश से बाहर करने में लगे हैं. जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. एक तरफ जहां पर अप्रवासियों को अपने देश से ट्रंप निकाल रहें हैं वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में अमीरों को बसाने प्लान भी बना रहे हैं. इसके लिए उन्होंने  'गोल्ड कार्ड' वीजा स्कीम की शुरूआत की है. ये गोल्ड कार्ड कैसे काम करेगा और भारतीयों पर क्या असर पड़ेगा आइए जानते हैं. 

बढ़ जाएगी परेशानी
अमेरिकी राष्ट्रपति की 'सब कुछ व्यवसायिक' मानसिकता से प्रेरित नया प्रोग्राम अप्रैल तक लागू हो सकता है. इसमें शुरुआत में लगभग 10 मिलियन 'गोल्ड कार्ड वीजा' उपलब्ध होने की संभावना है. अगर ट्रंप की गोल्ड कार्ड वाली स्कीम प्रभावी हो जाती है तो लंबे समय से ग्रीन कार्ड के लिए लंबित पड़े कुशल भारतीय पेशेवरों की परेशानी और बढ़ जाएगी. उन्होंने कहा, यह अप्रवासियों के लिए 5 मिलियन डॉलर (43.54 करोड़ रुपये) के शुल्क पर अमेरिकी निवास परमिट प्राप्त करने का एक रास्ता है.  यह मौजूदा 35 साल पुराने ईबी-5 वीजा कार्यक्रम की जगह लेगा, जो अमेरिकी व्यवसायों में कम से कम 1 मिलियन डॉलर का निवेश करने वाले विदेशियों के लिए उपलब्ध है. ट्रंप ने ये भी कहा कि इस कार्ड को खरीदकर धनी लोग हमारे देश में आएंगे. वे धनी होंगे, वे सफल होंगे, वे बहुत सारा पैसा खर्च करेंगे, बहुत सारा कर देंगे और बहुत सारे लोगों को रोजगार देंगे. 

बाहर हो जाएंगे ये निवेशक
मौजूदा ईबी-5 कार्यक्रम के तहत, विदेशी निवेशकों को अमेरिकी व्यवसायों में $800,000-$1,050,000 के बीच कहीं भी खर्च करना पड़ता है और कम से कम 10 नई नौकरियां पैदा करनी पड़ती हैं. इसके अलावा ग्रीन कार्ड के लिए 5-7 साल का इंतज़ार करना पड़ता है. विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए 1990 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम पर पिछले कई सालों से दुरुपयोग और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं. प्रस्तावित 'गोल्ड कार्ड' वीज़ा योजना वित्तीय आवश्यकता को पांच गुना बढ़ाकर $5 मिलियन कर देती है. भारी कीमत इसे मध्यम-स्तरीय निवेशकों की पहुंच से बाहर कर देती है, जबकि यह अमेरिकी निवास पाने का एक बहुत तेज़ और सरल मार्ग है. नौकरी सृजन की आवश्यकता को भी समाप्त कर दिया गया है, जिससे यह परेशानी मुक्त हो गया है.

भारतीयों पर क्या पड़ेगा असर
$5 मिलियन की कीमत का मतलब है कि केवल भारत के सुपर-रिच और बिज़नेस टाइकून ही अमेरिकी निवास पाने के लिए इस सीधे मार्ग का खर्च उठा सकते हैं. इससे उन कुशल पेशेवरों की परेशानी बढ़ने की संभावना है जो पहले से ही ग्रीन कार्ड के लिए लंबे समय तक प्रतीक्षा कर रहे हैं, कुछ मामलों में तो यह दशकों तक भी चल सकता है. इसके अलावा बता दें कि EB-5 के तहत आवेदक ऋण ले सकते हैं या फंड पूल कर सकते हैं, जबकि गोल्ड कार्ड वीज़ा के लिए पहले से ही पूरा नकद भुगतान करना पड़ता है जिससे यह भारतीयों का एक बड़ा हिस्सा इससे बाहर हो जाता है.  भारतीयों के लिए  H-1B वर्क वीज़ा प्रोग्राम काफी सुलभ है. $5 मिलियन का भुगतान करने वाले भारतीय भी H-1B वीजा पर भी  गोल्ड कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं.  (आईएएनएस)

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