इलाहाबाद में पैदा हुए उदित राज, जेएनयू से पढ़े और इनकम टैक्स अफसर रहे, मायावती जैसी दलित पार्टी का सपना था
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इलाहाबाद में पैदा हुए उदित राज, जेएनयू से पढ़े और इनकम टैक्स अफसर रहे, मायावती जैसी दलित पार्टी का सपना था

Udit Raj latest News: उदित राज अपने बयान को लेकर फिर सुर्खियों में हैं. बसपा सुप्रीमो मायावती पर बयान को लेकर वो आलोचना के घेरे में हैं. आइए जानते हैं कि प्रयागराज में जन्मे उदित राज कैसे इनकम टैक्स अफसर की नौकरी छोड़ राजनीति में आए.

Udit Raj latest News

Udit Raj Biograhy in Hindi: दलित नेता और पूर्व कांग्रेस सांसद उदित राज फिर सुर्खियों में हैं. मायावती का गला घोंटने वाले उनके बयान पर बसपा आगबबूला हैं, लेकिन उदित राज विवादित बयानों के लिए बदनाम रहे हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर भी विवादित बयान देकर वो कठघरे में खड़े किए जा चुके हैं.

उदित राज का असली नाम राम राज था. एक जनवरी 1958 को उत्तर प्रदेश के राम नगर के खटिक यानी दलित परिवार में पैदा हुए थे.पढ़ाई लिखाई में तेजतर्रार रहे उदित राज ने भारतीय राजस्व सेवा की परीक्षा पास की और इनकम टैक्स अफसर बने. 1988 से 2003 तक राजस्व अधिकारी के तौर पर उदित राज ने सेवाएं दीं. स्कूली समय से साथ रहीं सीमा राज से उनकी शादी हुई. उनके दो बच्चे सावेरी और अभिराज राजनीति से दूर हैं.

राजनीति में उदित राज की दिलचस्पी हमेशा रही
इलाहाबाद के राम नगर में उनका घर था. पिता कल्लन सिंह और मां सुख देई के सामान्य परिवार में जन्म के बावजूद उदित राज के मन में कुछ बड़ा करने का था. यही इरादा लेकर उदित राज दिल्ली पहुंचे और 1980 में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पढ़ाई की.1988 में उदित राज सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली.  गाजियाबाद और दिल्ली में राजस्व सेवा अधिकारी के तौर पर तैनाती के दौरान बड़े सियासतदानों के संपर्क में आए. एमए-एलएलबी पास उदित राज ने कोटा के इमैनुअल बाइबल कॉलेज से डॉक्टरेट की.

2003 नौकरी छोड़ सियासत में आए
आखिरकार 2003 में उदित राज ने नौकरी छोड़ राजनीति की राह पकड़ी. एससी-एसटी संगठनों के महासंगठन में काम की.  इंडियन जस्टिस पार्टी बनाकर उन्होंने मायावती की तरह बड़ी दलित पार्टी खड़ी करने की कोशिश की, लेकिन वो बड़ा करिश्मा नहीं खड़ा कर पाए. भाजपा में शामिल होने के साथ 2014 में पार्टी का भी विलय हो गया. 

बीजेपी में शामिल होते ही उदित राज मोदी लहर में उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट से (2014-2019) सांसद बने. बुद्ध शिक्षा फाउंडेशन और जिनेवा में भी काम किया. अंबेडकरवादी सोच के साथ वॉयस ऑफ बुद्धा मैगजीन निकाली. जेएनयू के पूर्व छात्रों को मिलाकर भी संगठन बनाए, लेकिन कोई बड़ी लहर पैदा नहीं कर पाए.

उदित राज को 1990 में सहायक आयकर आयुक्त के तौर पर गाजियाबाद में पहली तैनात मिली. फिर दिल्ली आयकर विभाग में 1995 में तैनाती मिली और असिस्टेंट इनकम टैक्स कमिश्नर, ज्वाइंट इनकम टैक्स कमिश्नर जैसे पदों पर रहे. डॉक्टर उदित राज के जीवन पर बनी लघु फिल्म 'द क्रूसेडर' भी चर्चा में रही. 

इंडियन जस्टिस पार्टी बनाने के बाद उन्होंने छोटे दलित नेताओं को जोड़ना शुरू किया. कई जिलों में सभाएं कीं. अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन भी छपवाए गए, पार्टी की फंडिंग पर भी सवाल उठे. लेकिन दिल्ली के बाहर क्या राजधानी में भी छाप नहीं छोड़ पाए. उदित राज के लव मैरिज करने और उनकी पत्नी सीमा बहल खत्री को लेकर भी बातें हुईं. कहा जाता ह कि आयकर विभाग का प्रशिक्षण देने वाली राष्ट्रीय अकादमी में दोनों की मुलाकात हुई थी.

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संघ परिवार से वैचारिक मतभेद
संघ परिवार से वैचारिक मतभेदों के बावजूद भाजपा में शामिल होकर उन्होंने चौंकाया. लेकिन समुद्र जैसी बड़ी पार्टी में बड़े दलित नेता के तौर पर उभरने की उनकी उम्मीद समय के साथ खत्म होती गई और चार साल में नाता तोड़कर वो कांग्रेस के साथ जु़ड़ गए. जबकि राजनीति के शुरुआती दौर पर वो खुलकर भाजपा और संघ की विचारधारा पर हमला बोलते थे.

कांग्रेस में आकर भी उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली. पार्टी में भी उन्हें बड़ी तवज्जो नहीं मिली. 

 

 

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