Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में इस बार किन्नर अखाड़े समेत कुल 13 अखाड़े शाही स्नान के लिए पहुंचे हैं लेकिन हो सकता है कि अगले कुंभ में अखाड़ों की संख्या 14 हो जाए. वाल्मिकी समाज अखाड़े ने सरकार और अखाड़ा परिषद से अपनी पहचान और सुविधाओं के लिए मांग करते हुए उन्हें अखाड़े की मान्यता देने की मांग की है.
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Mahakumbh 2025: संगम नगरी प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में अखाड़ों की भव्य परंपरा के बीच महर्षि वाल्मीकि अखाड़ा भी अपनी पहचान और अधिकारों की मांग को लेकर सक्रिय हो गया है. अखिल भारतीय महर्षि वाल्मीकि साधु अखाड़ा परिषद ने सरकार से मांग की है कि उन्हें भी अन्य अखाड़ों की तरह मान्यता और सुविधाएं दी जाएं, ताकि देशभर से आने वाले वाल्मीकि समाज के श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के कुंभ जैसे विशाल आयोजन में हिस्सा ले सकें.
सुविधाओं की उठाई मांग
महाकुंभ मेले में सेक्टर 17 में अखिल भारतीय महर्षि वाल्मीकि साधु अखाड़ा परिषद ने अपना शिविर लगाया है. इसके अध्यक्ष महामंडलेश्वर बाल योगी स्वामी प्रगट नाथ महाराज ने कहा कि समाज के उत्थान के लिए 2013 के कुंभ में अखाड़े की स्थापना की गई थी. तब से लेकर अब तक वे लगातार अखाड़े को मान्यता दिलाने और वाल्मीकि समाज को बराबरी का स्थान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि, "जैसे अन्य अखाड़ों को ज़मीन और सरकारी सुविधाएं दी जाती हैं, वैसे ही महर्षि वाल्मीकि अखाड़े को भी समान अधिकार मिलने चाहिए. इससे समाज के लोगों को कुंभ और अन्य धार्मिक आयोजनों में उचित सम्मान और स्थान मिल सकेगा."
5 से 7 फरवरी तक विभिन्न धार्मिक आयोजन
महामंडलेश्वर बाल योगी स्वामी प्रगट नाथ महाराज ने बताया कि 5 से 7 फरवरी तक अखाड़े में विभिन्न धार्मिक आयोजन किए जाएंगे.
-5 फरवरी को अखाड़े में हवन-पूजन का आयोजन होगा, जिसमें 29 जनवरी को महाकुंभ में हुई भगदड़ में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाएगी.
-घायल श्रद्धालुओं के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना के साथ भजन-कीर्तन और सामूहिक पाठ का आयोजन किया जाएगा.
-अखाड़े की ओर से एक विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो अरैल क्षेत्र में स्थित महर्षि वाल्मीकि जी की प्रतिमा तक जाएगी, जहां पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी.
-7 फरवरी को अखाड़े के महामंडलेश्वर की विधिवत घोषणा की जाएगी.
सरकार से समर्थन की अपील
अखाड़े के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि वे सरकार से मांग करेंगे कि उन्हें भी महाकुंभ और अन्य धार्मिक आयोजनों में समान अधिकार दिए जाएं. उन्होंने यह भी कहा कि अन्य अखाड़े कुंभ और महाकुंभ के दौरान ही प्रयागराज आते हैं, लेकिन महर्षि वाल्मीकि अखाड़ा अब हर साल माघ मेले में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराएगा और समाज के उत्थान के लिए काम करता रहेगा.
महर्षि वाल्मीकि अखाड़ा का ऐलान
महर्षि वाल्मीकि अखाड़ा अपने अधिकारों की लड़ाई जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है. उनका मानना है कि समाज के लोगों को एकजुट कर, सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाकर वे जल्द ही अन्य अखाड़ों की तरह सुविधाएं और मान्यता प्राप्त कर सकेंगे.
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