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कौन होते हैं अखाड़ों के महामंडलेश्वर, 5 कठोर परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है, गलती की तो तुरंत निष्कासन

पिछले दिनो बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने संन्यास लेकर किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद प्राप्त किया है. तभी से ज्यादातर लोगों के मन में यही सवाल उठ रहा है तो क्या कोई भी अखाड़ों में महामंडलेश्वर का पद हासिल कर सकता है. ...नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं.

महामंडलेश्वर का पद सम्मान व जिम्मेदारी का प्रतीक

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महामंडलेश्वर का पद सम्मान व जिम्मेदारी का प्रतीक

महामंडलेश्वर अखाड़े का सर्वोच्च पद होता है, जिसे त्याग और वैराग्य का पालन करने वाले संतों को दिया जाता है. यह पद मिलने के बाद महामंडलेश्वर को धार्मिक व समाज कल्याण के कार्यों में खुद को समर्पित करना पड़ता है.

शाही स्नान में सम्मान

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शाही स्नान में सम्मान

अखाड़े में महामंडलेश्वर सर्वोच्च सम्मान का पद है. शाही जुलूस में नागा साधु संत अखाड़े के देवता को सबसे आगे लेकर चलते हैं. आचार्य महामंडलेश्वर का राथ उसके बाद छत्र चंवर और सुरक्षा के साथ शाही साजोसामान के साथ चलता है.

महामंडलेश्वर बनने की 5-स्तरीय जांच प्रक्रिया

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महामंडलेश्वर बनने की 5-स्तरीय जांच प्रक्रिया

इस पद को पाने के लिए 5 चरणों की कठोर जांच से गुजरना पड़ता है. इसमें व्यक्तिगत पृष्ठभूमि, शिक्षा, परिवार, जीवनशैली और आध्यात्मिक ज्ञान की कड़ी परीक्षा ली जाती है.

महामंडलेश्वर के लिए संन्यासी होना अनिवार्य

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महामंडलेश्वर के लिए संन्यासी होना अनिवार्य

महामंडलेश्वर बनने के लिए संन्यास लेना अनिवार्य होता है व्यक्ति को अपने परिवार, संपत्ति और सांसारिक मोह से पूरी तरह मुक्त होना पड़ता है. यदि कोई संपर्क में पाया जाता है तो अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाता है.

पद देने से पहले होती है गहन जांच

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पद देने से पहले होती है गहन जांच

संन्यास लेने के इच्छुक व्यक्ति से उसका नाम, पता, शिक्षा, परिवार और पेशे की जानकारी मांगी जाती है. अखाड़े का थानापति उसकी जांच करता है और फिर पंच-परिषद भी अलग-अलग स्तर पर सत्यापन करती है.

पुलिस और प्रशासनिक रिकॉर्ड की जांच

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पुलिस और प्रशासनिक रिकॉर्ड की जांच

थानापति की रिपोर्ट के बाद अखाड़े की पंच परिषद और उसके सचिव उस व्यक्ति के पुलिस रिकॉर्ड की भी जांच कराते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं इच्छुक व्यक्ति के खिलाफ कोई आपराधिक मामला तो नहीं है. 

वैदिक शिक्षा और धार्मिक ज्ञान आवश्यक

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वैदिक शिक्षा और धार्मिक ज्ञान आवश्यक

महामंडलेश्वर बनने के लिए संन्यासी का शास्त्री, आचार्य होना जरूरी होता है. उसे वेद, पुराण और धार्मिक ग्रंथों का गहरा ज्ञान होना चाहिए. उसने वेदांग की शिक्षा ली हो. अगर इस तरह की कोई डिग्री नहीं है तो वह व्यक्ति कोई ख्यातिप्राप्त कथावाचक होना चाहिये. 

महामंडलेश्वर बनने पर पट्टाभिषेक

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महामंडलेश्वर बनने पर पट्टाभिषेक

जिस किसी साधु-संत या संन्यासी को महामंडलेश्वर पद दिया जाता है, उसका पट्टकाभिषेक होता है. महामंडलेश्वर के बीच सहमति से आचार्य का पद दिया जाता है. अखाड़े की सारी गतिविधियां आचार्य महामंडलेश्वर के हाथों से कराई जाती हैं.

 

समाजसेवा और धर्म-स्थलों का संचालन

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समाजसेवा और धर्म-स्थलों का संचालन

महामंडलेश्वर बनने के लिए धर्म और समाज सेवा में योगदान आवश्यक है. ऐसे संत और व्यक्ति महामंडलेश्वर बनने की इच्छा जता सकते हैं जो मठ, मंदिर, गोशाला, धर्मशाला या अन्य धार्मिक संस्थान को संचालित करते हों. 

विशेष छूट वाले संन्यासी

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विशेष छूट वाले संन्यासी

कुछ विशेष परिस्थितियों में डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासनिक अधिकारी, वकील, वैज्ञानिक और राजनेताओं को भी संन्यास लेने के बाद महामंडलेश्वर बनाया जा सकता है. उनके लिए संन्यास की अवधि 2-3 वर्ष तक हो सकती है.

जीवनभर इन नियमों का पालन जरूरी

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जीवनभर इन नियमों का पालन जरूरी

महामंडलेश्वर बनने के बाद व्यक्ति को मांस, मदिरा और किसी भी भोग-विलास से दूर रहना पड़ता है. यदि किसी पर आपराधिक या चरित्रहीनता का आरोप लगते हैं, तो उसे अखाड़े से निष्कासित कर दिया जाता है. 

महामंडलेश्वरों के लिए खर्च कहां से आता है

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महामंडलेश्वरों के लिए खर्च कहां से आता है

अखाड़ों की अर्थव्यवस्था काफी बड़ी और व्यवस्थागत होती है. इसमें कई पद होते हैं. अखाड़ों में महामंडलेश्वर जैसे पदों का खर्च अखाड़ों की जमीन, मंदिर, आश्रम और दूसरी संपत्तियों से मिलने वाली आय से होता है.