Rajasthan News: राजस्थान में कार्मिक विभाग ने जलदाय विभाग में JEN संयुक्त सीधी भर्ती में इंजीनियर्स की भर्ती को लेकर दस्तावेजों की जांच के आदेश दिए थे लेकिन 3 महीने बाद भी दस्तावेजों की जांच नहीं हुई.
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Rajasthan News: राजस्थान में आरपीएससी और कर्मचारी चयन बोर्ड की परीक्षाओं में हुए धांधलियों, फर्जीवाड़े का लेकर सरकार गंभीर है, लेकिन जलदाय विभाग इन मामले में गंभीरता नहीं दिखा रहा.
कार्मिक विभाग ने जलदाय विभाग में JEN संयुक्त सीधी भर्ती में इंजीनियर्स की भर्ती को लेकर दस्तावेजों के परीक्षण के आदेश दिए थे लेकिन 3 महीने बाद भी अब तक दस्तावेजों की जांच नहीं हुई.
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कब होगी दस्तावेजों की जांच
राजस्थान में पेपर लीक और फर्जी दस्तावेजों के जरिए सरकारी नौकरियों में जमकर धांधली हुई, जिसके बाद एसओजी ने कई अभ्यर्थियों की गिरफ्तारियां भी की. एसओजी ने इन्हीं फर्जीवाड़े को ध्यान में रखते हुए जेईएन संयुक्त सीधी भर्ती 2022 में जांच के आदेश दिए लेकिन इसके बावजूद भी जलदाय विभाग ने 3 महीने बाद भी अब तक एसओजी और कार्मिक विभाग को रिपोर्ट नहीं सौंपी.
जिम्मेदारी चीफ इंजीनियर दिनेश गोयल ने पूरे मामले में चुप्पी साध रखी है. दिनेश गोयल ने अभ्यर्थियों के दस्तावेज जांच के लिए दो कमेटियों का गठन किया गया था, जिसमें अधीक्षण अभियंता प्रदीप गुप्ता और ज्योति जैन को कमेटी का अध्यक्ष बनाया.
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हालांकि बाद में ज्योति जैन की जगह बाद में अरविंद विजय को कमेटी का अध्यक्ष बनाया लेकिन कमेटियों ने अब तक दस्तावेजों की जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी. दिनेश गोयल के खिलाफ जेजेएम घोटाले में जांच चल रही है. जलदाय विभाग की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी सरकार ने एसीएस भास्कर ए सावंत को दे रखी है.
24 जूनियर इंजीनियर ने ज्वाइन नहीं किया
जूनियर इंजीनियर की इस भर्ती में 24 अभ्यर्थियों ने जलदाय विभाग जाइंन ही नहीं किया, जिसके बाद जलदाय विभाग ने इनकी नियुक्ति को निरस्त कर दिया. इस कमेटी को 2 महीने में ही रिपोर्ट सौंपनी थी, जिसमें परीक्षा देने वाला और नौकरी करने वाला लोकसेवक दोनो एक ही व्यक्ति है.
भर्ती किए गए जेईएन के शैक्षणिक पात्रता के दस्तावेज और आवेदन के समय प्रस्तुत आवेदन पत्र, फोटो, हस्ताक्षर की जांच करवाई होगी. इनमें से जिसकी सूचनाएं संदिग्ध हो, उनकी सूचना एसओजी को भेजी जाएगी. कुल 387 जेईएन के दस्तावेजों की जांच करनी है.
आखिर दस्तावेज जांच में देरी क्यों?
अब सवाल ये खड़े हो रहे हैं कि आखिर दस्तावेज जांच में इतनी देरी क्यों? जबकि सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही, इसके जलदाय विभाग में इसके बावजूद पूरे मामले को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा.