Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने मंगलवार को 6759 ग्राम पंचायतों में चुनाव टालने के संबंध में अपना जवाब दाखिल करने के लिए हाई कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की. हाई कोर्ट ने सरकार से दो सप्ताह में चुनाव कराने के लिए क्लियर टाइमलाइन भी मांगी है.
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Rajasthan News: राजस्थान में भजनलाल सरकार ने मंगलवार को 6759 ग्राम पंचायतों में चुनाव टालने के संबंध में अपना जवाब दाखिल करने के लिए हाई कोर्ट से अतिरिक्त समय की मांग की. हाई कोर्ट ने सरकार को दो सप्ताह का समय दिया और चुनाव कराने के लिए क्लियर टाइमलाइन भी मांगी है.
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सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति पंचायती राज अधिनियम की धारा 95 के तहत की गई है. हालांकि अधिनियम यह निश्चित नहीं करता कि किसे प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है.
जनवरी में होना था चुनाव
राजस्थान सरकार ने जनवरी 2025 में चुनाव कराने के बजाय 6759 ग्राम पंचायतों के लिए निवर्तमान सरपंचों को एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त कर दिया. इसके अलावा हर पंचायत स्तर पर एक प्रशासनिक समिति का गठन कर दिया, जिसमें उपसरपंच और वार्ड सदस्य शामिल थे. इस व्यवस्था को लागू करने के लिए पंचायती राज विभाग ने 16 जनवरी को अधिसूचना जारी कर दी है.
यह निर्णय मध्य प्रदेश मॉडल का अनुसरण करता है, जहां भाजपा शासित राज्यों में इसी तरह की नियुक्तियां की गई थीं. राजस्थान में सभी पंचायतीराज संस्थाओं के लिए इस कदम को एक साथ चुनाव कराने की एक बड़ी रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है.
सरकारी अधिकारी ही हो सकता है एडमिनिस्ट्रेटर
इस बीच याचिकाकर्ता के वकील प्रेमचंद देवंदा ने तर्क दिया कि निजी व्यक्तियों को प्रशासक के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है. एक बार जब सरपंच का कार्यकाल समाप्त हो जाता है, तो वो निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं रह जाते हैं.
कानूनी प्रावधानों के मुताबिक किसी सरकारी अधिकारी को ही एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त किया जा सकता है. वो भी सिर्फ 6 महीने के लिए. इसके अलावा सरकार की अधिसूचना में प्रशासकों की नियुक्ति की अवधि या चुनाव की समय सीमा निर्दिष्ट नहीं की गई है.
याचिकाकर्ता के वकील के मुख्य दलीलों में संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन शामिल था. उन्होंने कहा कि चुनाव स्थगित करने की सरकार की 16 जनवरी की अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 243E, 243K और राजस्थान पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 17 का उल्लंघन करती है.
वकील ने आगे इस स्थिति को ग्रामीण शासन को अस्थिर करने वाला बताया. साथ ही कहा कि 6759 पंचायतों में चुनाव स्थगित करके सरकार ने ग्रामीण संस्थानों के लोकतांत्रिक ढांचे को बाधित किया है.