Rajasthan Budget Session 2025 : राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र में आज तीसरे दिन की कार्यवाही हंगामे के साथ ही शुरू हुई. दरअसल प्रश्न का लिखित उत्तर पढ़ा जाए या नहीं इस पर करीब 8 मिनट तक बहस होती रही. हंगामा ज्यादा हुआ तो स्पीकर वासुदेव देवनानी ने को आसन से खड़ा होकर सबको शांत करवाना पड़ा.
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Rajasthan Budget Session 2025 : राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र में आज तीसरे दिन की कार्यवाही हंगामे के साथ ही शुरू हुई. दरअसल प्रश्न का लिखित उत्तर पढ़ा जाए या नहीं इस पर करीब 8 मिनट तक बहस होती रही. हंगामा ज्यादा हुआ तो स्पीकर वासुदेव देवनानी ने को आसन से खड़ा होकर सबको शांत करवाना पड़ा.
क्या था मामला ?
प्रश्न कल के दौरान लिखित उत्तर को पढ़ने पर बहस हुई और पहले सवाल का लिखित उत्तर मंत्री ने पढ़ा. इस पर स्पीकर वासुदेव देवनानी ने आसान से दी व्यवस्था की और कहा की सोमवार को सदन सर्वसम्मति से तय कर चुका था. कि जिस प्रश्न का लिखित उत्तर सदस्यों के पास आ गया. उस लिखित उत्तर को पढ़ने की नहीं सदन में आवश्यकता नहीं है.
इस पर सचेतक जोगेश्वर गर्ग बोले कि लिखित उत्तर पढ़ा जाना चाहिए. संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने गर्ग के समर्थन में कहा की सभी सदस्यों के पास लिखित उत्तर नहीं पहुंचता है. मंत्री का जवाब रिकॉर्ड पर नहीं आता है. ऐसी स्थिति में लिखित उत्तर पढ़ा जाना चाहिए.
जिसपर अध्यक्ष देवनानी बोले - लिखित उत्तर सभी सदस्यों के पास पहुंचता है. साथ में ऐसे में लिखित उत्तर नहीं पढ़ने से समय की बचत भी होगी. स्पीकर वासुदेव देवनानी ने कहा कि प्रश्न काल में ज्यादा सवाल लिए जा सकेंगे. इस पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर भी बहस में कूद पड़े. और कहा कि लिखित उत्तर पढ़ना जरूरी होना चाहिए. जोगाराम पटेल ने भी इस बीच सदन के नियमों की किताब दिखा दी. और कहा कि इसमें भी लिखित उत्तर पढ़ने का उल्लेख है.
जिस पर नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी टिप्पणी की और कहा कि पहले भी सदन में आसान से व्यवस्था दी गई है कि लिखित उत्तर पढ़ने की कोई जरूरत नहीं दिखती . जूली बोले - यह सदन की परंपरा रही है. अगर प्रश्न पूछने वाला सदस्य संतुष्ट है. तो वह सीधे ही पूरक प्रश्न पूछ सकता है. इस पर सदन में वन मंत्री संजय शर्मा ने भी अपनी बात रखी.
स्पीकर वासुदेव देवनानी ने सभी सदस्यों को बिठाया और कहा - अभी आसन की तरफ से व्यवस्था दी गई है. कोई सदस्य सीधे पूरक प्रश्न पूछना चाहता है. उस प्रश्न के विषय में लिखित उत्तर पढ़ना जरूरी नहीं है. स्पीकर वासुदेव देवनानी बोले - कि जो व्यवस्था दे दी. वह व्यवस्था बहस का मुद्दा नहीं हो सकती. और अगर किसी को कोई सुझाव देना है तो वह चैंबर में आकर दे सकते हैं.