Rohingya Muslim News: बुधवार 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में रोगिंग्या शर्णाथियों के अधिकार से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई हुई थी. मामले की सुनवाई करते हुए सप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा में किसी भी बच्चे के साथ भेद-भाव नहीं किया जा सकता है. साथ ही याचिका दायर करने वाले वकील से दिल्ली में रह रहे रोहिंग्याओं की डिटेल मांग ली है पूरी खबर पढ़ने के लिए नीचे स्क्रॉल करें
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Rohingya Muslim News: भारत का पड़ोसी देश बर्मा में पिछले कई सालों से रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हिंसा हो रही है. इस वजह से बड़ी तादात में रोहिंग्या समुदाय के लोग आसपास के देशों में गैरकानूनी तरीके से शरण लिए हए हैं. भारत में बीजेपी के नेताओं के तरफ से अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुस्लमानों को मुल्क से बाहर निकालने की मांग की जाती रही है. इस बीच बुधवार 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या मुस्लमानों पर बड़ी टिप की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा में किसी के साथ भेद भाव नहीं हो सकता.
एनजीओ ने की है ये मांग
दरअसल रोहिंग्या मुसमानो के लिए काम करने वाली एनजीओ, 'रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव' के तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. याचिका में बताया गया था कि दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या शर्णार्थियों के पास आधार कार्ड और कोई पहचान पत्र न होने की वजह से उनके बच्चों को शिक्षा और बेसिक स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा में किसी भी बच्चे के साथ भेद-भाव नही किया जा सकता.
'रोहिंग्या ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव' के तरफ से सुप्रीम से मांग की थी कि रोहिंग्या बच्चों को स्कूलों में निशुल्क एडमिशन लेने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया जाए. साथ ही सरकारी अस्पताल में इलाज कराने की सहूलियात और सस्ते राशन जैसी सरकारी सुविधाएं दी जाएं. रोहिंग्या बच्चों को 10वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन की परीक्षा देने दिया जाए.
क्या है दिल्ली सरकार की सर्कुलर?
याचिका डालने वाली एनजीओ के तरफ से वकील कोलिन गोंसाल्विस सुप्रीम कोर्ट में मौजूद थें. साल 2024 में दिल्ली सरकार ने रोहिंग्या समुदाय से जुड़ा एक सर्कुलर जारी किया था. इस सर्कुलर में अवैध रोहिंग्या और बंग्लादेशी लोगों के बच्चों को स्कूल में एडमिशन देने से मना किया गया था. एनजीओ के वकील ने खास तौर पर दिल्ली सरकार के इस सर्कुलर पर विरोध जताया और कोर्ट से इन बच्चों को स्कूल में एडमिशन देने की इजाजत मांगी है.
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा रिहिंग्याओं का डिटेल
गौरतलब है कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ कर रही है. बुधवार 11 फरवरी को सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस याचिका से जुड़ी एनजीओ से रोहिंग्या से जुड़ा डेटा मांगा है. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में रोहिंग्या शर्णार्थी कहां रह रहे हैं, किस के घर में रह रहे है और कितनी तादाद में रह रहे हैं ये सारी जानकारी कोर्ट में पेश करें. सुप्रीम कोर्ट ने वकील कोलिन गोंसाल्विस से दिल्ली में रह रहे रोहिंग्या की डिटेल मांगी है. इस पर वकील ने कुछ दिन का समय मांगा है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 10 दिनो के लिए स्थगित कर दिया है.