Supreme Court ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर केंद्र से किया सवाल-'एक दिन में नियुक्ति कैसे?'
Advertisement
trendingNow11455555

Supreme Court ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर केंद्र से किया सवाल-'एक दिन में नियुक्ति कैसे?'

Election Commissioner:  संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि 18 नवंबर  को हम इस मसले पर सुनवाई कर रहे थे उसी दिन नियुक्ति के लिए फाइल भेजी गई और पीएम ने उसी दिन नाम को मंजूरी दे दी. इतनी जल्दबाजी की क्या ज़रूरत थी ?

Supreme Court ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर केंद्र से किया सवाल-'एक दिन में नियुक्ति कैसे?'

Appointment of Election Commissioner: मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया. सुनवाई के चौथे दिन सरकार को सुप्रीम कोर्ट के कई तीखें सवालों का सामना करना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के मुताबिक अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फ़ाइल कोर्ट में पेश की.  कोर्ट ने फ़ाइल देखकर  इस नियुक्ति में सरकार की ओर से दिखाई तेज़ी पर सवाल खड़ा किया.

महज 24 घन्टे में सारी प्रकिया पूरी हो गई!
संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि 18 नवंबर  को हम इस मसले पर सुनवाई कर रहे थे उसी दिन नियुक्ति के लिए फाइल भेजी गई और पीएम ने उसी दिन नाम को मंजूरी दे दी. इतनी जल्दबाजी की क्या ज़रूरत थी ?

बेंच के एक दूसरे सदस्य जस्टिस अजय रस्तोगी ने भी सवाल उठाया कि चुनाव आयुक्त का पद 15 मई से खाली था. आप बताइए कि 15 मई से 18 नवंबर के बीच क्या हुआ. 24 घण्टे में ही नाम भेजे जाने से लेकर उसे मंजूरी दिए जाने की सारी प्रकिया पूरी कर ली गई.

चार नाम कैसे चुन लिए गए?
सुप्रीम कोर्ट ने इस पद पर नियुक्ति के लिए क़ानून मंत्रालय की ओर से सिफारिश के लिए चार नामों के चयन और उनमें से भी एक नाम ( अरुण गोयल) के चयन के आधार पर भी सवाल खड़ा किया. कोर्ट ने कहा कि आप हमें बताइये कि लॉ मिनिस्ट्री ने इन  4 नामों को ही क्यों चुना. सवाल ये भी है कि आपने चयन के लिए लिस्ट को इन 4 लोगों तक ही सीमित क्यों रखा है. इनके अलावा और भी बहुत वरिष्ठ नौकरशाह है .

AG का जवाब
सुनवाई के दौरान अटॉनी जनरल ने कहा कि इन नाम को शार्टलिस्ट करने के लिए कई आधार है मसलन अधिकारियों की वरिष्ठता, रिटायरमेंट, और उनका चुनाव आयोग में कार्यकाल देखा जाता है. इस प्रक्रिया में भी कुछ गलत नहीं हुआ. पहले भी 12 से 24 घंटे में नियुक्ति हुई है.ये चार नाम भी DoPT के डेटाबेस से लिए गए. वह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है.

'6 साल कार्यकाल भी नहीं होगा'
इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि फिर इन 4 में से भी आपने ऐसे लोगों के नाम चुने हैं जिन्हें चुनाव आयुक्त के रूप में 6 साल भी नहीं मिलेंगे. हम उम्मीद करते हैं कि आप इस तरह से कार्य करेंगे कि आप वैधानिक अनिवार्यताओं का पालन करेंगे. आपको ऐसे लोगों को चुनना चाहिए जिन्हें आयोग में 6 साल का कार्यकाल मिले. अगर आप इस बात पर अड़े हुए हैं कि किसी भी चुनाव आयुक्त को पूर्ण कार्यकाल नहीं मिलेगा, तो आप क़ानून के खिलाफ हैं.

अरुण गोयल का नाम ही क्यों चुना गया
कोर्ट ने सवाल किया कि सिफारिश में भेजे गए  चार नामों में से एक ही नाम का चयन किस आधार पर हुआ. हमें किसी से ( अरुण गोयल) से कोई दिक्कत नहीं है. उनका बेहतरीन ऐकडेमिक रिकॉर्ड रहा है. हमारी चिंता नियुक्ति की प्रकिया/ आधार को लेकर है. एक ऐसे शख्स जो दिसंबर में रिटायर होने वाले थे. जो इन 4 में सबसे ज़्यादा युवा थे, आपने उनको किस आधार पर चुना.

AG का एतराज - कोर्ट का जवाब
सुनवाई के दौरान अटॉनी जनरल ने ये भी कहा कि सवाल ये भी है क्या कार्यपालिका के हर छोटे छोटे काम की समीक्षा होगी. अगर आप हर कदम पर शक करेंगे तो ये चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और गरिमा को प्रभावित करेगा. ये आयोग के बारे में लोगों की राय पर भी बुरा असर   डालेगा. इस पर जस्टिस जोसेफ ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि कोई भी यह न समझे कि हमने अपना मन बना लिया है या हम आपके खिलाफ हैं. हम केवल यहां पर बहस और चर्चा ही कर रहे हैं.

(ये ख़बर आपने पढ़ी देश की नंबर 1 हिंदी वेबसाइट Zeenews.com/Hindi पर)

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news