Mahakumbh 2025: महाकुंभ में पहली बार नॉर्थ-ईस्ट के साधु संत पहुंचे है. इसको लेकर महामंडलेश्वर केशवदास ने कहा कि यह सब विहिप और संघ के प्रयासों से ही संभव हो पाया है.
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Rajasthan News: महाकुंभ अपनी पूर्णता की ओर है, लेकिन प्रयागराज पहुंचकर संगम में डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ अब भी कम नहीं हो रही है. दिव्यता लिए इस महाकुंभ में उमड़ी भीड़ के बीच पहली बार ऐसा हुआ है कि नॉर्थ ईस्ट से भी बड़ी संख्या में संत-महंत और महामंडलेश्वर महाकुंभ में पहुंचे. महामंडलेश्वर केशवदास महाराज के साथ ही विहिप और संघ के प्रयासों से यह संभव हो पाया.
महाकुंभ 2025 में अब तक करीब 55 करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पुण्य की डुबकी लगा चुके हैं. अब भी देशभर से श्रद्धालुओं के प्रयागराज पहुंचने का सिलसिला जारी है. प्रमुख संतों-महंतों के अखाड़े अब उठने लगे हैं, लेकिन अब भी बड़ी संख्या में महंत और साधु संत महाकुंभ में डेरा डाले हुए हैं. उत्तर पूर्व के राज्यों में क्षत्रप संतों में शुमार महामंडलेश्वर केशवदास महाराज 26 फरवरी तक प्रयागराज में हैं, उनके आश्रम में नॉर्थ ईस्ट के राज्यों से बल्कि प्रदेश के कई अन्य राज्यों से भी राजनीति, धार्मिक, सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग ठहर रहे हैं. महामंडलेश्वर केशवदास महाराज ने कहा कि यह पहला मौका है जब नॉर्थ ईस्ट के राज्यों से संतों महंतों और महामंडलेश्वर पहली बार महाकुंभ की धरती पर आए हैं. पहले पूजनीय संतों और समाज का आग्रह ही नहीं था. उनको समझ कर साथ में लेकर आए. नॉर्थ ईस्ट के सातों राज्यों नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, असम, मेघालय, मणिपुर और अरुणाचल के संत महंत सहज सरल हैं, उनके जीवन का मुख्य आधार सत्य है, सत्य आचरण कीजिए वो आपके हो जाएंगे. उनकी समझ के साथ महाकुंभ की धरती पर आए हैं.
महामंडलेश्वर केशवदास ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट के साधु संतों ने महाकुंभ के सारे कार्यक्रमों में भाग लिया. वहां के संतों में शैव शाक्त परम्परा है. पहले उनकी भावनाओं को समझने वाला नहीं पहुंचा, उन्हें लगा हमारी भावनाओं को समझने वाला कोई है. विहिप और संघ ने संतों के बीच अपना स्थान बनाया तो उनके सारे क्षेत्राधिकार संत महाकुंभ आ गए. किसी महंत के दस लाख, किसी के 12 लाख है. वहां महामंडलेश्वर जगद्गुरु मर्यादा के साथ रहते हैं सहज सरल है अपनी ही कमी थी कि ला नहीं पाए थे.
महाकुंभ को लेकर अनर्गल टिप्पणी करने वाले सनातन विरोधियों को लेकर महामंडलेश्वर केशवदास महाराज ने कहा कि महाकुंभ में सनातन का दिव्य प्रवाह देखने को मिल रहा है. दिनों दिन सनातन महाकुंभ मजबूत होता दिख रहा है. वहीं विरोधी शक्ति साबित करना चाहती है कि सनातन कमजोर पड़ रहा है. यह बात दूसरी है कि पिछले तीन सौ चार सौ साल में सनातन जितना मजबूत नहीं था, उतना वर्तमान में मजबूत दिखाई पड़ रहा है. मूल्य बदले हैं, तरीके बदले हैं, लेकिन युवा वर्ग सतानत के प्रति आकर्षित हो रहे हैं, महाकुंभ में युवा पीढ़ी के साथ ही हर आयु वर्ग के लोग दिखाई पड़ रहे हैं. अध्यात्म ऐसी चीज नहीं है जिस के बिना रह जाएंगे गर्भ में जीव रहता है तो माया से बचाकर हर जीव की अंतश चेतना में सुप्त रहता है. आवरण हटता है तब चेतना आ जाती है. राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक वातावरण में भी देखने को मिल गया है. इसलिए युवा ही नहीं हर जाति वर्ग के लोग तड़प रहे हैं. विश्व के लिए सत्य ईश्वर की जानने के लिए सनातन में आना है. जजमेंट डे है या परिकल्पना है, ईश्वर से एकाकार होने का भाव यहीं हैं इसलिए सनतान में आते हैं.
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