Jaipur News: राजस्थान के जयपुर में एक देवर ने भाभी की जान बचाने के लिए अपनी भी फिक्र नहीं की. भाभी का लिवर खराब होने पर देवर ने अपना लिवर देकर एक अनोखी मिसाल पेश की है.
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Rajasthan News: जयपुर में 22 जनवरी को जब पूरा देश रामलला प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ मना रहा था, उसी दिन लक्ष्मण रुपी देवर ने अपने लिवर का एक हिस्सा दान कर अपनी सीता रूपी भाभी को जीवन दान कर पारिवारिक संबंधी की गहराई का सबूत पेश किया. रोगी भाभी का महात्मा गांधी अस्पताल में आपात स्थिति में लिवर प्रत्यारोपण किया गया जो कि पूरी तरह सफल रहा.
अस्पताल के सेंटर फॉर डाइजेस्टिव साइंसेज के चेयरमैन सुविख्यात लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ नैमिष एन मेहता ने जानकारी दी कि आम तौर पर लिवर अंगदान वाले 70 प्रतिशत मामलों में महिलाएं ही डोनर होती है किंतु इस मामले में 27 वर्षीय देवर ज्ञानप्रकाश ने अंगदान किया है. अस्पताल में अब तक 126 लिवर प्रत्यारोपण हो चुके हैं उनमें देवर द्वारा भाभी को लिवर दान का यह पहला मामला है.
उन्होंने जानकारी दी कि 31 वर्षीय झुंझुनूं निवासी कंचन यादव को बुखार, टाइफाइड होने के बाद बेहोशी आ गई थी. कई जगह उपचार गया गया, किंतु बेहोशी नहीं टूटी. सिर्फ पांच दिन में ही लिवर के पूरी तरह खराब होने की जानकारी मिली. ऐसे में घर वाले उन्हें जयपुर स्थित महात्मा गांधी अस्पताल में लेकर आए, जहां हेपेटोलॉजिस्ट डा करण कुमार ने तीन दिन तक होश में लाने का प्रयास किया. अंतिम उपचार के तौर पर आपातकालीन परिस्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट ही उपाय बचा था. घर वालों को जब इसकी जानकारी मिली तो पति रोहिताश्व अंगदान के लिए आगे आए किंतु ब्लड ग्रुप मैच नहीं हुआ. जांच में देवर का ब्लड मैच कर गया. तुरंत ही देवर ने ऑर्गन डोनेशन के लिए अपनी सहमति दे दी. शाम को ऑपरेशन शुरू हुआ, जिसमें 20 से अधिक चिकित्सकों तथा तकनीशियनों की टीम ने अठारह घंटे के अथक प्रयासों के बाद लिवर प्रत्यारोपण करने में सफलता हासिल की.
डॉ नैमिष ने बताया कि रोगी बेहोश थी ऐसे में समस्या और बढ़ गई थी. रोगी का खून पतला होने से ब्रेन हैमरेज का भी खतरा था. ऐसी स्थिति में कुशल निश्चेतना विशेषज्ञों की टीम ने गहन चिकित्सा की जिम्मेदारी को पूरी तरह निभाया.
डॉ नैमिष ने बताया कि आकस्मिक लिवर फेलियर की स्थिति में रोगी समय पर अस्पताल पहुंचे और डोनर भी उपलब्ध हो तो ट्रांसप्लांट कर रोगी की जान बचाई जा सकती है. ऑपरेशन में डॉ नैमिष एन मेहता के साथ हेपेटोलॉजिस्ट डॉ करण कुमार, ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ आनंद नागर, डॉ विनय महला, गहन चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ आनंद जैन तथा निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ गौरव गोयल तथा डॉ कौशल बाघेला ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. ऑपरेशन तथा गहन देखरेख के बाद देवर तथा भाभी दोनों को स्वस्थ कर घर भेज दिया गया.
महात्मा गांधी मेडिकल यूनिवर्सिटी के चेयरमैन डॉ विकास चंद्र स्वर्णकार ने रोगी की दीर्घायु तथा स्वस्थ जीवन की कामना करते हुए चिकित्सकों की टीम को बधाई दी. उन्होंने बताया कि राज्य के अत्याधुनिक लिवर ट्रांसप्लांट केंद्र द्वारा राज्य में सर्वाधिक लिवर प्रत्यारोपित हुए है और उनकी सफलता दर विश्व के किसी भी केंद्र के समान है.
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