नक्सलियों के गढ़ बूढ़ा पहाड़ में झारखंड और छत्तीसगढ़ की पुलिस, सीआरपीएफ के साथ मिलकर ज्वाइंट ऑपरेशन चला रही है. बूढ़ा पहाड़ में सुरक्षाबलों का शिकंजा कसना बेहद अहम है, जानिए क्या है इसकी अहमियत...
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शैलेंद्र सिंह बघेल/बलरामपुरः नक्सलियों का एक और किला बूढ़ा पहाड़ ध्वस्त होने के कागार पर पहुंच गया है. दरअसल छत्तीसगढ़ और झारखंड की सरहत पर मौजूद बूढ़ा पहाड़ नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना माना जाता है. हालांकि अब वहां भी छत्तीसगढ़ और झारखंड की सुरक्षाबलों की टीमें ज्वाइंट ऑपरेशन चला रही हैं. सुरक्षाबलों ने माओवादियों के एक बंकर को नष्ट कर दिया है और बड़ी मात्रा में विस्फोटक और चाइनीज लैंडमाइंस बरामद की हैं.
चाइनीज विस्फोटक बरामद
सुरक्षाबलों ने बूढ़ा पहाड़ इलाके से चाइनीज सामग्री बरामद की है. साथ ही 10 किलो के 2 सिलेंडर बम, तीन किलों के 11 लैंडमाइन, दो किलों के 7 लैंडमाइन, एक किलो के 6 लैंडमाइन, 5 टिफिन बम, 1 प्रेशर कुकर बम, 25 तीर बम, 1 चाइनीज सिलेंडर ग्रेनेड, 35 चाइनीज ग्रेनेड, 3 चाइनीज कोन ग्रेनेड, 2 किलो अमोनियम नाइट्रेट, 2 किलो यूरिया, अर्द्ध निर्मित बैरल ग्रेनेड लॉन्चर, ड्रिल मशीन, विभिन्न तरह के 15 पाइप, 20 फीट अल्युमिनियम सीट, 5 किलो नट बोल्ट, हैंडपंप सिलेंडर, एसएलआर की 350 गोली, 16 केन लैंडमाइंस, 3 प्रेशर लैंडमाइंस, 500 मीटर कोडेक्स वायर, 130 एविल इंजेक्शन, 130 नीडल इंजेक्शन, 100 साइकिल ट्यूब बरामद की गई हैं.
इस ज्वाइंट ऑपरेशन की झारखंड के लातेहार एसपी और छत्तीसगढ़ के बलरामपुर के एसपी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. भारी बारिश और नदी में जल स्तर बढ़ने के कारण इस ऑपरेशन में चुनौती भी आ रही है. जिसे देखते हुए बूढ़ा नदी पर सीआरपीएफ, पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से नदी पर वैकल्पिक पुल का निर्माण किया है. जहां से सुरक्षाकर्मी नक्सलियों के गढ़ में पहुंच गए हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि मौसम साफ होने के बाद यह ज्वाइंट ऑपरेशन एक सफल अभियान में तब्दील हो जाएगा.
बूढ़ा पहाड़ पर सुरक्षाबलों के शिकंजे
झारखंड के पलामू में गढ़वा लातेहार में बूढ़ा पहाड़ का दुर्गम इलाका है जो अपने घने जंगलों के चलते नक्सलियों के लिए बेहद मुफीद माना जाता है. बूढ़ा पहाड़ का बड़ा हिस्सा अंजान गुफाओं और चोटियों से भरा पड़ा है, जो नक्सलियों को छिपने में काफी मदद करता है. नक्सलियों के दुर्दांत नेता अरविंद जी का ठिकाना भी बूढ़ा पहाड़ रहा है.
माना जाता है कि सुरक्षित होने के चलते बूढ़ा पहाड़ में नक्सलियों के ट्रेनिंग कैंप आयोजित किए जाते हैं. बीते समय में नक्सलियों ने बूढ़ा पहाड़ से कई बड़ी हमलों को अंजाम दिया है. हालांकि घने जंगलों, पठारी नदियों के चलते सुरक्षाबल भी यहां अपना शिकंजा नहीं कस पाए लेकिन अब यहां से नक्सलियों के पैर उखड़ने शुरू हो गए हैं.
बूढ़ा पहाड़ की खास बात ये है कि इसकी सीमा छत्तीसगढ़ से मिलती है, जिसके चलते जैसे ही झारखंड की पुलिस नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाती है तो दबाव बढ़ने पर नक्सली छत्तीसगढ़ की सीमा में चले जाते हैं और जब छत्तीसगढ़ की पुलिस अभियान चलाती है तो नक्सली झारखंड की सीमा में प्रवेश कर जाते हैं.