ऑनलाइन गेम के दौरान हुआ प्यार, सात जन्मों का साथ निभाने कर ली शादी, अब अलग हुए प्रेमी
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ऑनलाइन गेम के दौरान हुआ प्यार, सात जन्मों का साथ निभाने कर ली शादी, अब अलग हुए प्रेमी

chhattisgarh news-कोरबा में ऑनलाइन गेम खेलते समय हुई दोस्ती पहले प्यार में बदली, इसके बाद युवक-युवती ने शादी कर ली. लेकिन कुछ ही समय बाद दोनों के बीच का प्यार खत्म हो गया, मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया. 

ऑनलाइन गेम के दौरान हुआ प्यार, सात जन्मों का साथ निभाने कर ली शादी, अब अलग हुए प्रेमी

cg news-कोरबा में युवक और पश्चिम बंगाल की युवती के बीच ऑनलाइन गेम के दौरान दोस्ती हो गई, धीरे-धीरे यह दोस्त प्यार में बदल गई. इसके बाद दोनों ने शादी कर ली. लेकिन, कुछ ही समय के बाद युवती ने अपना इरादा बदल दिया और वो वापस अपने घर चली गई. इधर, युवती के घर जाने के बाद युवक परेशान रहने लगा. उसने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दी. 

 

केस की सुनवाई हुई, तब युवती ने अपने माता-पिता के साथ रहने की बात कही. जिस पर डिवीजन बेंच ने कहा कि माता-पिता के साथ रहना अवैध हिरासत नहीं है. हाईकोर्ट ने युवक की याचिका को खारिज कर दिया. 

 

क्या है पूरा मामला

दरअसल. कोरबा में रहने वाले शंकर गवेल  पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर की लड़की के साथ ऑनलाइन गेम खेलता था. दोनों के बीच 2023 में पहचान हुई थी. इसके बाद ऑनलाइन गेम के साथ दोनों आपस में चैट पर भी बातचीत करने लगे. उस समय लड़की नाबालिग थी, कुछ समय बाद उनकी दोस्ती हुई. फिर दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे. इसके बाद दोनों ने बालिग होने पर शादी करने का फैसला किया. 

 

मंदिर से की शादी

नवंबर 2024 में लड़की ने युवक को बताया कि उसके माता-पिता उसकी मर्जी के खिलाफ शादी के लिए मजबूर कर रहे हैं. उसने युवक के साथ शादी करने की बात कही, युवती ने उसे अपने साथ ले जाने के कहा. इसके बाद युवक 26 नवंबर को इस्लामपुर पहुंचा और युवती को लेकर कोरबा आ गया. 7 दिसंबर को सर्वमंगला मंदिर में युवक ने युवती को सिंदूर लगाया, मंगलसूत्र और वरमाला डालकर शादी कर ली. शादी के बाद दोनों पति-पत्नी के रूप में रहने लग गए. 

 

मां ने केस दर्ज कराया

शादी करने के कुछ दिनों बाद दोनों साथ रहे. युवती की मां ने 4 जनवरी को थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी. युवती को खोजते हुए पुलिस कोरबा पहुंची. यहां कोरबा पुलिस ने युवकी और उसकी मां के साथ युवती को थाने बुलाया. थाने में युवती ने अपने चाचा से बातचीत की और उनके साथ जाने की बात कही. 8 जनवरी को शंकर को युवती के पिता ने फोन किया, फोन पर युवती ने बताया कि  उसके पिता नहीं चाहते कि वह उसके साथ रहे.

 

पति ने दायर की याचिका

युवती के वापस घर जाने के बाद युवक परेशान रहने लगा. उसे शक था की युवती के माता-पिता ने उसे जबरदस्ती रोक लिया है. परेशान होकर उसने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई, यह याचिका, किसी व्यक्ति को गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखे जाने पर रिहाई दिलाने के लिए दायर की जाती है. याचिका में उसने बताया कि उसनी पत्नी वयस्क है और उन्होंने मर्जी से शादी की है. लेकिन, उसके माता-पिता जबरदस्ती उसे बंधक बनाकर रख लिया है. साथ ही उसकी मर्जी के खिलाफ शादी के लिए मजबूर किया जा रहा है.

 

हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका 

इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच में हुई. सुनवाई के दौरान युवती ने बताया कि वह अपनी मर्जी से अपने माता-पिता के साथ रह रही है. उस पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला गया है. युवती ने कहा कि वह अपने माता-पिता के साथ रहना चाहती है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि युवती अपने माता-पिता के साथ रह रही है, जिसे अवैध हिरासत नहीं माना जा सकता. डिवीजन बेंच ने युवक की याचिका खारिज कर दी है.

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