India Pakistan News: PAK ने इस हिंदू संत की 316 वीं जयंती के लिए खोले अपने दरवाजे, दर्शनों के लिए 87 भारतीय श्रद्धालुओं को दिया वीजा
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India Pakistan News: PAK ने इस हिंदू संत की 316 वीं जयंती के लिए खोले अपने दरवाजे, दर्शनों के लिए 87 भारतीय श्रद्धालुओं को दिया वीजा

India Pakistan News in Hindi: पाकिस्तान ने एक हिंदू संत की 316वीं जयंती मनाने के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं. उसने इसके लिए 87 भारतीय श्रद्धालुओं को वीजा जारी किया है.

 

India Pakistan News: PAK ने इस हिंदू संत की 316 वीं जयंती के लिए खोले अपने दरवाजे, दर्शनों के लिए 87 भारतीय श्रद्धालुओं को दिया वीजा

Who is Sant Shadaram Sahib: भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बेशक पिछले कुछ सालों से बेहद खराब हाल से गुजर रहे हों लेकिन आपसी संबंधों का एक छोटा झरोखा अब भी खुला हुआ है. यह झरोखा धार्मिक यात्राओं के लिए एक-दूसरे के निवासियों को वीजा जारी करने का है. भारत की ओर से जहां अजमेर यात्रा के लिए पाकिस्तानियों को वीजा जारी होता है. वहीं पाकिस्तान ने भी हिंदुओं को संत सदाराम साहिब की जयंती समारोह के लिए ऐसी ही पहल की है.  

संत सदाराम जयंती के लिए भारतीयों को वीजा

पाकिस्तान ने सिंध स्थित एक मंदिर में शिव अवतारी सतगुरु संत शदाराम साहिब की जयंती समारोह के अवसर पर देश की यात्रा करने के इच्छुक भारत के हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए 87 वीजा जारी किए हैं. यह जानकारी पाकिस्तानी उच्चायोग ने दी है. नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रभारी साद अहमद वराइच ने तीर्थयात्रियों को यात्रा की शुभकामनाएं दीं हैं.

24 नवंबर से चार दिसंबर तक होगी यात्रा

उच्चायोग ने एक बयान में कहा, ‘नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग ने सिंध के शदाणी दरबार हयात पिताफी में शिव अवतारी गुरु संत शदाराम साहिब की 316वीं जयंती समारोह में शिरकत करने के लिए 24 नवंबर से चार दिसंबर तक पाकिस्तान की यात्रा के इच्छुक भारत के हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए 87 वीजा जारी किए हैं.’

कौन थे संत सदाराम साहिब? 

संत शदाराम साहिब का जन्म अविभारत भारत के लाहौर शहर में 1708 में हुआ था. उनका परिवार सूर्यवंशी लोहना खत्री था. बचपन से ही उनके अंदर दैवीय गुण स्पष्ट होने लगे थे. उनके मुख मंडल पर तेज साफ झलकता था. भक्ति और तप से भरी उनकी ओजस्वी वाणी ऐसी थी कि सुनने वाले मंत्रमुग्ध होकर रह जाते थे. उन्होंने 40 वर्ष तक भारत के विभिन्न शहरों में राम-नाम का प्रचार किया. 

(एजेंसी भाषा)

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