Maha kumbh 2025: ममता कुलकर्णी और नित्यानंद ही नहीं इन महामंडलेश्वरों का भी विवादों से नाता, एक का तो नोएडा में बीयर बार और डिस्को
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Maha kumbh 2025: ममता कुलकर्णी और नित्यानंद ही नहीं इन महामंडलेश्वरों का भी विवादों से नाता, एक का तो नोएडा में बीयर बार और डिस्को

Maha kumbh 2025 GK Quiz: महामंडलेश्वर एक उच्च आध्यात्मिक पद है, जो हिंदू धर्म में विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. यह पद प्राप्त करने के लिए एक व्यक्ति को विशेष आध्यात्मिक ज्ञान, अनुभव और योग्यता प्राप्त करनी होती है. 

Mahakumbh 2025

Maha kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ के बीच किन्नर अखाड़ा इस समय विवादों में है. पूर्व एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी  को महामंडलेश्वर बनाने पर विरोध हो रहा है.  किन्नर अखाड़ का संस्थापक बताने वाले ऋषि अजय दास ने ममता कुलकर्णी और लक्ष्मीपति त्रिपाठी को अखाड़े से निकालने का दावा किया है. इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि उसे महामंडलेश्वर कैसे बना सकता हैं. ये कोई टीवी का शो नहीं हैं. इस विवाद पर कई गुट आमने-सामने आ गए हैं. वहीं लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने विरोध करते हुए कहा कि वे कौन होते हैं अखाड़े से निकालने वाले. आइए जानते हैं कि अखाड़ों के महामंडलेश्व बनने के लिए क्या नियम हैं.

पहले जानते हैं क्या हैं अखाड़े?
पहले जानते हैं महामंडलेश्व को जानने से पहले अखाड़ों के बारे में बात करते हैं. पहले अखाड़ों को जत्था कहा जाता था. जत्थे में पीर होते थे. कुछ ग्रंथों की मानें तो अखाड़ों की उत्पत्ति अलख शब्द से हुई. कुछ का कहना है कि अक्खड़ स्वभाव के चलते अखाड़ा नाम पड़ा. ऐसा कहते हैं सबसे पहले अखाड़ों की स्थापना आदि शंकराचार्य ने की थी.

कितने  होते हैं अखाड़े?
देश में फिलहाल 13 अखाड़े हैं. शैव, वैष्णव, उदासीन पंथ के सन्यासियों के मान्यता प्राप्त कुल तेरह अखाड़े हैं. शैव सन्यासी संप्रदाय के सात अखाड़े हैं, बैरागी वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े. उदासीन अखाड़े के 3 अखाड़े हैं. अब जानते हैं कि महामंडलेश्वर की पदवी कैसे मिलती है.

अखाड़ों में होते हैं कई पद?
अखाड़ों में आचार्य महामंडलेश्वर से लेकर भंडारी तक के पद होते हैं. ये तीन प्रमुख पद होते हैं. सबके काम और दायित्व अलग-अलग होते हैं. जैसे-थानापति, कोठारी, कोतवाल,भंडारी कारोबारी आदि.

महामंडलेश्वर का पद सबसे बड़ा
साधु जब पहली बार अखाड़े में आते हैं तो सन्यासी होते हैं. इसके बाद महापुरुष, कोतवाल, थानापति, आसंधारी, महंत, महंत श्री, भंडारी,पदाधिकारी  सचिव, मंडलेश्वर और महामंडलेश्वर. किसी भी अखाड़े में महामंडलेश्वर का पद सबसे बड़ा होता है.

महामंडलेश्वर बनने के लिए क्या होती है योग्यता?
महामंडलेश्वर बनने के लिए आचार्य की डिग्री होनी चाहिए. खुद का आश्रम होना चाहिए और धर्म सनातन में रुचि होनी चाहिए. लोगों के बीच प्रभुत्व होना चाहिए. जमीन जायदाद और आर्थिक रूप से संपन्न होना चाहिए. गोशाला और गुरुकुल होना चाहिए. 100 संतों के भोजन की व्यवस्था होना चाहिए. अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज बताते हैं कि महामंडलेश्वर बनने के लिए किसी खास डिग्री की जरुरत नहीं होती. हरिद्वार में 2022 में एक महामंडलेश्वर का विवादित बयान जारी हुआ था जिसके बाद डिग्री जरूरी की गई.

महामंडलेश्वर को मिलती हैं क्या सुविधाएं ?
कुंभ के शाही स्नान में महामंडलेश्वर रथ पर सवार होकर निकलते हैं. संत समाज में उनका ओहदा सबसे बड़ा होता है. वे जहां भी जाते हैं उनका अलग प्रोटोकाल होता है. वीआईपी ट्रीटमेंट मिलता है. 

ये है महामंडलेश्वर बनने का पूरा प्रोसेस
पहले अखाड़ों के लिए आवेदन करना होता है. सन्यास की दीक्षा के बाद संत बनते हैं. नदी किनारे मुंडन और स्नान होता है. खुद का तर्पण करते हैं. पट्टाभिषेक होता है. अखाड़े की ओर से चादर दी जाती है. जिस भी अखाड़े का महामंडलेश्वर बना है, उसमें प्रवेश होता है. साधु-संत , आम लोग और अखाड़े के पदाधिकारियों को भोजन कराकर दक्षिणा दी जाती है.

अब जानते हैं अब तक के विवादित महामंडलेश्वर
फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी विवादों में हैं तो दो बार जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर राधे मां भी विवादों में रहीं. वहा 2012 में महामंडलेश्वर बनी थीं. 2018 में निलंबन हुआ फिर से महामंडलेश्वर बनीं. 

1-सच्चिदानंद गिरि उर्फ सचिन दत्ता भी महामंडलेश्वर बनकर विवादों में रहे. उनके नोएडा में बीयर बार और डिस्को भी थे. 2015 में इस शराब कारोबारी को निरंजनी अखाड़े का 32वां महामंडलेश्वर बनाया गया था. छह दिन बाद ही पद छिन गया.

2-महामंडलेश्वर नित्यानंद भी विवादों में रहे. छोटी उम्र में सन्यासी बने थे. 2010 में अश्लील वीडियो आया था. 2012 में जेल भी जाना पड़ा था. 2013 में सेक्स स्कैंडल के आरोपी स्वामी नित्यानंद  को महानिर्वाणी अखाड़े ने महामंडलेश्वर बनाया.

3- यति नरसिंहानंद का असली नाम दीपक त्यागी है. रूस से पढ़ाई की. विदेशों में काम किया. भारत आकर 2007 में गाजियाबाद में शिव शक्ति धाम डासना मंदिर के महंत बने. सन्यास के बाद नाम बदल दीपेंद्र नारायण सिंह कर लिया. फिर नाम बदला और यति नरसिंहनंद किया. हेट स्पीच से चर्चा में रहते हैं. 2021 में  जूना अखाड़े ने यति नरसिंहानंद को महामंडलेश्वर बना दिया.

डिस्क्लेमर
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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