भारत चीन सीमा से लगे अंतिम गांव नीति के टिम्मरसैंण गुफा में बाबा बर्फानी आकार ले चुके हैं. इस बार जिला प्रशासन बाबा बफार्नी की यात्रा कराने की तैयारी में है. ऐसे में क्या तैयारी है जानिए?
Baba Barfani Yatra: अगर आप बाबा बर्फानी का दर्शन करना चाहते हैं, तो आपके लिए गुड न्यूज है. भारत-चीन बॉर्डर से लगे अंतिम गांव नीति के टिम्मरसैंण गुफा में बाबा बर्फानी ने आकार ले लिया है. ऐसे में जिला प्रशासन बाबा बर्फानी की यात्रा कराने की योजना बना रहा है.
यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिए जिला प्रशासन ने इंतजाम करने भी शुरू कर दिए हैं. इस मामले में स्थानीय निवासियों से होम स्टे के साथ यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर जिला प्रशासन ने चर्चा की.
अब अगर सरकार से हरी झंडी मिली तो फरवरी के अंतिम हफ्ते से बाबा बफार्नी की यात्रा शुरु हो सकती है. आपको बता दें, जोशीमठ से 82 किमी दूर नीति से डेढ़ किमी पैदल चलकर टिम्मरसैंण गुफा है.
इस गुफा में साल भर शिव विराजमान रहते हैं. गुफा में शिवलिंग है. जिस पर चट्टान से निकलने वाली जलधाराएं जलाभिषेक करती हैं, लेकिन शीतकाल में जब नीति घाटी के लोग अपने शीतकालीन गांवों में आते हैं तो यहां सेना के अलावा कोई भी नहीं रहता.
शीतकाल में बर्फबारी के बाद टिम्मरसैंण गुफा में बाबा बफार्नी आकार लेते हैं. कहते हैं यहां तीन से ज्यादा बर्फ के शिवलिंग आकार लेते हैं. बर्फ के शिवलिंगों की ऊंचाई 8 फीट से ज्यादा होती है. गुफा में शीतकाल में भी बाबा बफार्नी पर प्राकृतिक रुप से जलाभिषेक होता रहता है.
गुफा में विराजमान एक मुख्य शिवलिंग को बाबा बफार्नी का स्वरूप माना जाता है. वहीं, अन्य को बाबा बफार्नी का परिवार मानकर पूजा जाता है. हालांकि, नीति घाटी के लोग अप्रैल में जब अपने ग्रीष्मकालीन गावों को लौटते हैं तो वे यहां पूजा अर्चना करते हैं.
अब प्रशासन ने बाबा बफार्नी की यात्रा को शुरू करने की मंशा जताई है. बताया गया कि इस यात्रा को लेकर जिला प्रशासन ने शासन को रिपोर्ट भेजी है. कहा जा रहा है कि नीति घाटी में यात्रियों के रहने के लिए होम स्टे हैं.
अब तक नीति घाटी तीर्थाटन के क्षेत्र में अनजानी थी. इस क्षेत्र में कम ही पर्यटक आते थे, लेकिन अगर बाबा बफार्नी की यात्रा शुरु होती है, तो तीर्थाटन के जरिए नीति घाटी में रोजगार के द्वार खुलेंगे. यह वाइब्रेट विलेज के लोगों के लिए किसी सौगत से कम नहीं है.