Valentine day 2025: राजस्थान के इस राजा पर आया मुगलों की शहजादी का दिल, जालिम बाप ने काट डाला सिर
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Valentine day 2025: राजस्थान के इस राजा पर आया मुगलों की शहजादी का दिल, जालिम बाप ने काट डाला सिर

Valentine day 2025: 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे पर हम आपको जालौर के हिंदू राजकुमार की प्रेम कहानी के बारे में बताएंगे, जिसको मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोजा दिल दे बैठी थी. पढ़िए अनोखी प्रेम कहानी.  

Valentine day 2025

Valentine day 2025: हमारे देश में कई प्रेम कहानियां प्रचलित हैं, जिसमें से पृथ्वीराज चौहान व संयोगिता, जोधा-अकबर की लव स्टोरी हमेशा के लिए अमर है. कल यानी 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे है, इस प्रेम दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी के चलते आज हम आपको एक अनोखी प्रेम कहानी के बारे में बताएंगे, जो जालौर के हिंदू राजकुमार की है, जिसके प्यार में मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी की बेटी फिरोजा पागल हो गई थी. 

राजस्थान के जालौर के राजकुमार वीरमदेव चौहान वंश से थे, जिनका पिता कान्हड़देव सोनगरा चौहान मेवाड़ के के शासक थे. बचपन से ही वीरमदेव में युद्ध की कला के सारे गुण थे साथ ही वीरमदेव को कुश्ती की कला में महारत हासिल थी. 

सिर्फ 16 साल की उम्र में वीरमदेव ने युद्ध भूमि में अपना परचम लहरा दिया था. राजकुमार वीरमदेव दिखने में बहुत ज्यादा सुंदर और शक्तिशाली थे. 

 
एक बार राजकुमार वीरमदेव दिल्ली अलाउद्दीन खिलजी के यहां समझौता करने के लिए गए. जहां पहली बार खिलजी की बेटी फिरोजा ने उन्हें देखा और देखते ही उनकी वीरता और सुंदरता से प्यार कर बैठी. इसके बाद जिद कर बैठी थी कि यदि वह शादी करेगी तो जालौर राजकुमार वीरमदेव के साथ करेगी वरना वह कुंवारी ही रहेगी. 

 

वहीं, बेटी फिरोजा की जिद्द के आगे अलाउद्दीन खिलजी झुक गया और उसने जालौर में फिरोजा का रिश्ता भेज दिया लेकिन वीरमदेव ने रिश्ता मना कर दिया और कहा कि वह अपने धर्म व कुल के विपरीत किसी दूसरे धर्म में शादी नहीं करेंगे. 

इधर,  अलाउद्दीन खिलजी ने इसे अपना अपमान समझा और जालौर पर हमला कर दिया. वहीं, जालौर में खिलजी की सेना व वीरमदेव की सेना के बीच युद्ध हुआ. वीरमदेव वीरता के साथ लड़ते रहे लेकिन अंत में वीरमदेव लड़ते-लड़ते वीरगती को प्राप्त हो गए, उस समय उनकी उम्र 22 साल थी. 

युद्ध के बाद खिलजी वीरमदेव का सिर काट कर दिल्ली ले गए और अपनी बेटी फिरोजा के सामने रख दिया. कहते हैं कि 
वीरमदेव का सिर फिरोजा देख तड़प उठी और शीश के साथ यमुना नदी में कूदकर अपनी जान दे दी. 

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