Madhya Pradesh News: नीमच जिले के जावद जनपद पंचायत के सीईओ आकाश धारवे के अपहरण और ब्लैकमेलिंग का मामला शांत भी नहीं हो पाया कि जिले से ही एक और अजीबोगरीब, हैरान करने वाला और लोकतंत्र को ठेंगा दिखाने जैसा मामला सामने आया है. मनासा के दांता ग्राम पंचायत की सरपंच कैलाशी बाई ने अपने पद के सभी अधिकार एक अनुबंध के जरिए अन्य व्यक्ति को सौंप दिए. जिस व्यक्ति को सरपंची के अधिकार सौंपे गए हैं, उसका नाम सुरेश है और वह भी गांव का ही रहने वाला है.
अनुबंध पत्र में कैलाशीबाई ने सुरेश को अपना प्रतिनिधि घोषित किया है. उसमें लिखा है जहां भी सुरेश कहेगा, वहां कैलाश बाई हस्ताक्षर कर देगी. अब लोकतंत्र से खिलवाड़ करने वाले इस अनुबंध पत्र पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या कोई जनता का चुना हुआ जनप्रतिनिधि इस तरह से पद को ठेके पर कैसे दे सकता है. यह अनुबंध पत्र सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है.
ग्राम पंचायत दांता की सरपंच कैलाशीबाई पति जगदीश कच्छावा (बंजारा) ने पंचायत में होने वाले निर्माण कार्यों से लेकर अन्य कार्यों की बागडौर गांव के ही एक सुरेश पिता मांगीलाल के बीच 24 जनवरी 2025 को आपसी अनुबंध लिखा गया. अनुबंध में प्रथम पक्ष सरपंच कैलाशीबाई बनी और द्वितीय पक्ष सुरेश बना. जिसमें स्पष्ट लिखा गया कि ग्राम पंचायत दांता के सरपंच के समस्त कार्य अथवा मनेरगा, प्रधानमत्री आवास, वाटरशेड इत्यादि जो भी कार्य शासन के अंतर्गत होते है, वह समस्त कार्य आज दिनांक के बाद से ही सरपंच के स्थान पर सुरेश करेंगे. जब तक सरपंच पद पर कैलाशीबाई बनी रहेंगी, तब तक सुरेश काम करेगा. बीच में किसी भी प्रकार का दखल सरपंच का नहीं रहेगा, जहां पर भी सरपंच के हस्ताक्षर की आवश्यकता होगी, तब कैलाश की सहमती से ही सरपंच हस्ताक्षर करेगी.
इस अनुबंध में बकायदा दो गवाह सद्दाराम और मन्नालाल गवाह है. अगर दोनों पक्ष में से कोई इस अनुबंध का पालन नहीं करेगा जो भी हजा-खर्चा होगा. दोषी पक्ष से चार गुना वसूला जाएगा. सरपंच पद ठेके पद देने का मामला सामने आने के बाद प्रशासन के भी कान खड़े हो गए हैं. सरपंच के खिलाफ एक्शन शुरू कर दिया है. पद से पृथक करने की शुरूआत प्रक्रिया के तहत नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है.
आखिर कौन है ठेके पर लेने वाला व्यक्ति
पंचायत को ठेके पर लेने वाला सुरेश ग्राम पंचायत में ही होने वाले निर्माण कार्यों का ठेका लेना वाला व्यक्ति है. उसके नाम का अनुबंध सामने आने के बाद सच में पंचायत को ठेके पर देने की बात पर बल मिलता है. इधर, मामला उजागर होने के बाद सरपंच और संबंधित व्यक्ति भूमिगत हो गए हैं. हमारी टीम गांव पहुंची और पंचायत में कोई नहीं मिला. सरपंच के पति जगदीश ने इतना जवाब दिया कि ऐसा कोई अनुबंध हमने नहीं किया है.