Shibu Soren News: शिबू सोरेन आज (11 जनवरी 2025) अपना 81वां जन्मदिन मना रहे हैं. 12 बजे पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में शिबू सोरेन जन्मदिन का केक काटेंगे.
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Shibu Soren Special: झारखंड के पूर्व सीएम और जेएमएम संस्थापक शिबू सोरेन आज (11 जनवरी 2025) अपना 81वां जन्मदिन मना रहे हैं. पार्टी उनका जन्मदिन काफी धूमधाम से मना रही है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मौजूदगी में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) सुप्रीमो शिबू सोरेन 81 पाउंड का केक अपने रांची स्थित आवास पर काटेंगे. मोरहाबादी में शिबू सोरेन के सरकारी आवास में आयोजित होने वाले इस भव्य कार्यक्रम में शिबू सोरेन परिवार के सदस्यों के साथ-साथ पार्टी के कार्यकर्ता भी शामिल होंगे. 12 बजे पार्टी कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में शिबू सोरेन जन्मदिन का केक काटेंगे. इस मौके पर शिबू सोरेन के राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं.
शिबू सोरेन का जन्म रामगढ़ के नेमरा गांव में सोबरन मांझी के घर हुआ था. उनके पिता सोबरन मांझी एक शिक्षक थे. कहा जाता है कि उस वक्त आदिवासियों को कर्ज के जाल में फंसाकर महाजन उनकी जमीन हड़प लेते थे. सोबरन सोरेन इसका विरोध करते थे. इसी कारण सोबरन सोरेन की बड़ी निर्ममता से हत्या कर दी गई थी. इस घटना के वक्त शिबू सोरेन सिर्फ 13 साल के थे. पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन ने महजनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और धनकटनी आंदोलन शुरू किया. जिसमें वे और उनके साथी जबरन महजनों की धान काटकर ले जाया करते थे. जिस खेत में धान काटना होता था उसके चारों ओर आदिवासी युवा तीर धनुष लेकर खड़े हो जाते थे. धीरे धीरे उनका प्रभाव बढ़ने लगा था.
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कहते हैं कि धनकटी आंदोलन के दौरान एक दिन पुलिस शिबू को पकड़ने उनके गांव पहुंची. पुलिस अधिकारी ने शिबू सोरेन से ही उनका पता पूछ लिया. इस पर वह पुलिस को गांवतक लेकर आए और वहां महिलाओं ने पुलिसवालों को घेर लिया. पुलिसवालों को जान बचाना मुश्किल हो गया था. धनकटी आंदोलन ने शिबू सोरेन को आदिवासियों का नेता बना दिया और बाद में इसी के चलते आदिवासियों ने उन्हें दिशोम गुरु की उपाधि दी. संताली में दिशोम गुरु का मतलब होता है देश का गुरु. इसके बाद शिबू सोरेन ने झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए बिनोद बिहारी महतो और कॉमरेड एके राय के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की. 1980 में पहली बार दुमका से सांसद बने. इसके बाद उन्होंने साल 1986, 1989, 1991 और 1996 में लगातार जीत हासिल की.
साल 2004, 2009 और 2014 में वे फिर से दुमका संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतने में सफल रहे. इस प्रकार कुल मिलाकर आठ बार शिबू सोरेन दुमका से लोकसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहे. शिबू इस दौरान केंद्र की नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री बने. साल 2005 में झारखंड विधानसभा चुनाव में खंडित जनादेश मिलने के बाद भी राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने शिबू सोरेन को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी, लेकिन वो बहुमत साबित करने में नाकाम रहे. लिहाजा 10 दिनों के भीतर ही उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी. शिबू सोरेन 2008 में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. इस बार विधायकी नहीं जीत पाने से फिर से सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी.
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साल 2009 में वो तीसरी बार भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से फिर मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार भाजपा से अंदरूनी खींचतान के चलते उन्हें कुछ ही महीनों के भीतर मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा. यह भी एक विडंबना ही कही जाएगी कि जिस नेता ने झारखंड राज्य की लड़ाई सबसे मजबूती से लड़ी, उसे कभी पूर्ण कार्यकाल के लिए सीएम बनने का मौका नहीं मिल सका. फिलहाल उनके बेटे हेमंत सोरेन इस वक्त झारखंड के मुख्यमंत्री हैं.
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