12 हजार की नौकरी छोड़ी, खोला बिजनेस; बन गया लखपति...कहानी अरुणाचल के आलो के दूधवाले की
Advertisement
trendingNow12628085

12 हजार की नौकरी छोड़ी, खोला बिजनेस; बन गया लखपति...कहानी अरुणाचल के आलो के दूधवाले की

Arunanchal Pradesh: अरुणांचल प्रदेश में रहने वाले डोपे पाडू ने अपनी कम वेतन वाली नौकरी छोड़कर एक डेयरी फार्म स्थापित किया. आज वह घर-घर में 'आलो के दूधवाले' नाम से मशहूर हैं और अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं. 

 

12 हजार की नौकरी छोड़ी, खोला बिजनेस; बन गया लखपति...कहानी अरुणाचल के आलो के दूधवाले की

Arunanchal Pradesh: अरुणांचल प्रदेश के डोपे पाडू पेशे से एक सिविल इंजीनियर थे. अपनी कम सैलरी से वह काफी परेशानी थे. ऐसे में सिविल इंजीनियरिंग का डिप्लोमा रखने वाले डोपे ने एट्रोप्रेन्योर बनने के अपने सपने को सच करने की ठानी.  उन्होंने साहस जुटाते हुए एक डेयरी फार्म स्थापित किया, जिसे अब 'गोयम डेयरी फार्म' के नाम से जाना जाता है. इस डेयरी फार्म से अब वह अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम सियांग जिले में घर-घर चर्चित हैं. 

ये भी पढ़ें- सिर्फ शादी के दिन नहाती हैं यहां की महिलाएं, पहनती हैं 1 कपड़ा, अनोखी है अफ्रीका की ये जनजाति 

शुरु किया डेयरी बिजनेस 
डार्का गांव के रहने वाले 32  साल के पाडू ने अरुणाचल प्रदेश पुलिस हाउसिंग एंड वेलफेयर कॉरपोरेशन में साइट इंजीनियर के तौर पर अपनी नौकरी छोड़ी. इस नौकरी में उन्हें हर महीने मात्र 12,000 रुपये ही मिलते थे. साथ ही इसके लिए उन्हें पूरे राज्य में काफी यात्रा भी करनी पड़ती थी. पाडू ने कहा,' मेरा जीवन सुरक्षित नहीं था और मेरी नौकरी में बहुत यात्राएं शामिल थीं. मुझे तिरप, चांगलांग, लोंगडिंग, तेजू और अनिनी जैसी जगहों पर जाना पड़ता था. विभाग यात्रा खर्च नहीं देता था और कोई यात्रा या महंगाई भत्ता नहीं था. मैं महीने के अंत में 1,000 रुपये भी नहीं बचा पाता था.' पैसों और स्थिरता की कमी से निराश होकर पाडू ने दूसरा रास्ता अपनाया. उन्होंने कहा,' चूंकि मेरा जीवन वहीं रुका हुआ था, इसलिए मैंने डेयरी बिजनेस में उतरने का फैसला किया.' अपने बड़े भाई से वित्तीय सहायता लेकर पाडू ने दिसंबर साल 2021 में अपनी यात्रा शुरू की. 

'आलो के दूधवाले'  से मशहूर है पाडू 
पाडू का शुरुआती निवेश गायों की खरीद और शेड बनाने में चला जाता था. आज उनके फार्म में जर्सी, HCF और साहीवाल समेत कई नस्लों की 30 गायें हैं, जिन्हें हरियाणा, राजस्थान और अन्य राज्यों से मंगाया गया है. पाडू कहते हैं,' मैं उन्हें डेयरी राशन, मवेशी चारा बोबिनो और चापोर खिलाता हूं, जो मैं असम के सिलापाथर, डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया से खरीदता हूं.' अपने खेत का प्रबंधन करने के लिए पाडू ने एक डिलिवरी बॉय समेत 7 मजदूरों को काम पर रखा है. 'आलो के दूधवाले'  के नाम से मशहूर पाडू सुबह के समय पूरे आलो कस्बे में और दोपहर के समय रामकृष्ण मिशन स्कूल, काबू, सिपु पुई और दारका गांवों में दूध पहुंचाते हैं. अधिकतम उत्पादन के समय, उनके फार्म में रोजाना 100 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन होता है. हालांकि, उनकी कई गायों के बछड़े होने के कारण वर्तमान उत्पादन घटकर 60-70 लीटर प्रतिदिन रह गया है. 

ये भी पढ़ें- स्कूलों को बंद करने की आई नौबत, मचा हाहाकार; लाखों कमा रहे लोग फिर क्यों मची हाय तौबा

1 लाख की करते हैं बचत 
पाडू की सफलता उनकी मासिक आय तीन लाख रुपये से अधिक से स्पष्ट है, जिसमें दूध की कीमत 120 रुपये प्रति लीटर है. मवेशियों के चारे पर एक लाख रुपये खर्च करने और अपने कर्मचारियों को वेतन देने के बाद, वह हर महीने लगभग एक लाख रुपये बचाते हैं. दूध के अलावा वह 1,000 रुपये प्रति किलो पनीर और 200 रुपये प्रति किलो दही भी बेचते हैं. पाडू ने कहा,' आलो में डेयरी के लिए बहुत संभावनाएं हैं क्योंकि यहां कोई कंपीटिशन नहीं है.'  उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में दूध की अधिकांश आपूर्ति गैर-स्थानीय लोगों से होती है जो छोटे क्षेत्रों या कॉलोनियों में दूध की आपूर्ति करते हैं. अपनी आय में विविधता लाने के लिए, उन्होंने अपने खेत के पास तीन मछली तालाब भी बनाए हैं. पाडू ने कहा,' मैं सभी तरह की मछलियां पालता हूं,.' पाडू ने अपनी उपलब्धियों के बावजूद पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग से समर्थन की कमी पर निराशा जाहिर की है. ( इनपुट- भाषा) 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news