अच्छे हिंदू होने के 4 मार्ग.. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शशि थरूर ने जो कहा, उसकी चर्चा होने लगी
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अच्छे हिंदू होने के 4 मार्ग.. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शशि थरूर ने जो कहा, उसकी चर्चा होने लगी

Shashi Tharoor JLF: शशि थरूर ने पहले मार्ग ज्ञान योग की व्याख्या करते हुए कहा कि यह अध्ययन और ज्ञान के माध्यम से आध्यात्मिकता को समझने का तरीका है. जो लोग शास्त्रों ग्रंथों और विचारों का अध्ययन करते हैं और उनमें गहराई से उतरते हैं, वे इसी रास्ते पर चलते हैं. उन्होंने खुद को इसी मार्ग का अनुयायी बताया.

अच्छे हिंदू होने के 4 मार्ग.. जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शशि थरूर ने जो कहा, उसकी चर्चा होने लगी

Hinduism four paths: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल चल रहा है. इसमें कला, साहित्य, संस्कृति, समाज सेवा समेत तमाम क्षेत्रों से जुड़े लोग पहुंचकर बात कर रहे हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस सांसद और लेखक शशि थरूर ने हिंदू धर्म के व्यापक और समावेशी स्वरूप पर चर्चा की. उन्होंने बताया कि एक अच्छे हिंदू होने के चार मार्ग हैं, ज्ञान योग, भक्ति योग, राज योग और कर्म योग. थरूर ने समझाया कि हिंदू धर्म की विशेषता उसकी विविधता और सहिष्णुता में है न कि कट्टरता में. उन्होंने स्वामी विवेकानंद के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि हिंदू धर्म में किसी को जबरन धर्म बदलने या एकमात्र सत्य का दावा करने की कोई जगह नहीं है.

आध्यात्मिकता को समझने का तरीका
असल में शशि थरूर ने पहले मार्ग ज्ञान योग की व्याख्या करते हुए कहा कि यह अध्ययन और ज्ञान के माध्यम से आध्यात्मिकता को समझने का तरीका है. जो लोग शास्त्रों ग्रंथों और विचारों का अध्ययन करते हैं और उनमें गहराई से उतरते हैं, वे इसी रास्ते पर चलते हैं. उन्होंने खुद को इसी मार्ग का अनुयायी बताया. इसके बाद उन्होंने भक्ति योग की बात की, जो अधिकतर लोग अपनाते हैं. भक्ति योग का अर्थ है श्रद्धा और प्रेम के माध्यम से ईश्वर की आराधना करना भजन-कीर्तन और पूजा-पाठ में लीन रहना.

योग ध्यान और मानसिक अनुशासन
तीसरे मार्ग राज योग पर बोलते हुए थरूर ने कहा कि यह आत्मविश्लेषण, ध्यान और आंतरिक सत्य की खोज का मार्ग है. यह योग ध्यान और मानसिक अनुशासन के जरिए आत्मा की गहराइयों में उतरने की प्रक्रिया है. वहीं, उन्होंने कर्म योग को मानवता की सेवा के रूप में परिभाषित किया और महात्मा गांधी को इसका सबसे बड़ा उदाहरण बताया. उन्होंने कहा कि ईश्वर की सच्ची आराधना अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए दूसरों की सेवा करना है.

मान्यताओं को थोपने का नाम नहीं
थरूर ने हिंदू धर्म की समावेशिता और सहिष्णुता पर जोर देते हुए कहा कि यह किसी को दबाने या बलपूर्वक अपनी मान्यताओं को थोपने का नाम नहीं है. उन्होंने हिंदू धर्म की तुलना कट्टरता से करने वालों की आलोचना करते हुए कहा कि कुछ लोग इसे फुटबॉल टीम की पहचान जैसा बना रहे हैं जो पूरी तरह गलत है. उन्होंने स्पष्ट किया कि हिंदू धर्म में जबरन नारे लगाने या हिंसा करने की कोई जगह नहीं है.

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