Shiv Sena: शिवसेना का विभाजन जून 2022 में हुआ जब एकनाथ शिंदे ने पार्टी के खिलाफ बगावत की और बीजेपी के साथ गठबंधन कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न धनुष और बाण मिल गया.
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Maharashtra Political Divide: महाराष्ट्र की राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं सकता. फिलहाल वहां बीजेपी की एक मजबूत सरकार है लेकिन सुगबुगाहटें खूब रहती हैं. इसी कड़ी में अब शिवसेना के दोनों गुटों के बीच सुलह की संभावनाओं को लेकर नई चर्चा शुरू हो गई है. शिंदे गुट के एक सीनियर मंत्री संजय शिरसाट ने हाल ही में बयान दिया कि वह शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरेऔर शिंदे गुट के बीच सुलह कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए पहले दिल मिलना जरूरी है. उन्होंने एक मराठी चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि उनकी पार्टी के कई सहयोगी अभी भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना से अच्छे संबंध बनाए हुए हैं, और वे इस दरार को खत्म करने के लिए तैयार हैं.
दरअसल शिरसाट ने यह भी कहा कि उन्हें बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना के दो गुटों में बंटने का दुख है और वह इस विभाजन के खिलाफ हैं. उनका मानना है कि दोनों दलों के नेताओं को आपस में दूरी मिटानी चाहिए, क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया तो भविष्य में रिश्तों को सुधारना मुश्किल हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि वह दोनों गुटों के बीच सुलह कराने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए एक सकारात्मक और सहमति पर आधारित पहल की आवश्यकता होगी.
जब उनसे पूछा गया कि क्या उद्धव ठाकरे का बेटा आदित्य ठाकरे इस सुलह की पहल कर सकते हैं तो शिरसाट ने कहा कि आदित्य अभी इस स्थिति में नहीं हैं क्योंकि उनकी उम्र और अनुभव इस तरह की जिम्मेदारी उठाने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. शिरसाट का मानना है कि यदि दोनों गुटों के बीच सुलह संभव है तो इसके लिए दोनों पक्षों को एक-दूसरे की गलतियों को माफ करना होगा और एक दूसरे के खिलाफ अपमानजनक बयानबाजी से बचना होगा.
चुनाव चिह्न धनुष और बाण
महाराष्ट्र में शिवसेना का विभाजन जून 2022 में हुआ जब एकनाथ शिंदे ने पार्टी के खिलाफ बगावत की और बीजेपी के साथ गठबंधन कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न धनुष और बाण मिल गया. तब से दोनों गुटों के बीच बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला लगातार चलता रहा.
पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में शिंदे गुट ने बीजेपी के साथ मिलकर महायुति का हिस्सा बनकर 288 सीटों में से 57 सीटें जीतीं, जबकि महा विकास आघाडी (MVA) के तहत कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के साथ गठबंधन करने वाली शिवसेना (UBT) को केवल 20 सीटें मिलीं. महायुति को कुल 230 सीटें मिलीं, जबकि MVA को 46 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. इस चुनावी परिणाम ने शिंदे गुट की स्थिति को और मजबूत किया लेकिन फिलहाल शिवसेना के दोनों गुटों के बीच एकजुटता की कोशिशों की बयार समय-समय पर बह रही है. एजेंसी इनपुट