26 January Parade: पहले गणतंत्र दिवस पर सबसे पहले भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को पद की शपथ दिलाई गई.
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Republic Day 26 January Parade: 26 जनवरी, 2025 को भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस साल की परेड की थीम है "स्वर्णिम भारत - विरासत और विकास". मतलब, हम अपनी पुरानी परंपराओं और संस्कृति को संजोए रखते हुए आगे बढ़ रहे हैं.
इस खास दिन पर, देश की राजधानी दिल्ली में एक बहुत बड़ी परेड होगी. ये परेड रायसीना हिल्स से शुरू होकर कर्तव्य पथ (जिसे पहले राजपथ कहते थे) से होते हुए इंडिया गेट के पास से गुजरेगी और अंत में लाल किले पर जाकर खत्म होगी.
इस परेड में हमारे देश की सेना, वायु सेना और नौसेना के जवान अपने करतब दिखाएंगे. साथ ही, देश के अलग-अलग राज्यों की झांकियां भी होंगी, जिनमें उनके राज्य की संस्कृति और खूबसूरती दिखाई जाएगी. ये परेड देश के लिए बहुत गर्व की बात होती है और हमें याद दिलाती है कि हमारा देश कितना ताकतवर और खूबसूरत है.
अंग्रेजी शासन के समय से ही गणतंत्र दिवस परेड को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य देश की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करना, देशभक्ति की भावना जगाना और हमारे सैन्य दलों की विविधता दिखाना है. हाल के सालों में महिला सैनिकों की भागीदारी भी बढ़ी है, जो बहुत अच्छी बात है.
इतिहासकार डॉ. श्रीनाथ राघवन ने 2016 में 'द हिंदू' अखबार में कहा था कि "गणतंत्र की परंपरा में सशस्त्र नागरिकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती थी". उन्होंने यह भी बताया कि यह परंपरा भारत के स्वतंत्रता संग्राम से काफी अलग थी, जो मुख्य रूप से अहिंसा के बल पर लड़ा गया था.
कई सालों से, गणतंत्र दिवस परेड में धीरे-धीरे बदलाव होते रहे हैं और ये अब पूरी तरह से भारतीय बन गई हैं. अब इन परेडों में देश के अलग-अलग राज्यों की झांकियां निकलती हैं, जिनमें उनकी संस्कृति और परंपराएं दिखाई जाती हैं. साथ ही, लोक गीत-संगीत और शास्त्रीय नृत्य के कलाकार भी अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं. अलग-अलग राज्यों की सेना के बैंड भी मार्च करते हैं. इसके अलावा, सरकार के अलग-अलग विभाग अपनी उपलब्धियां भी प्रदर्शित करते हैं. जैसे-जैसे ये परेडें बड़ी और भव्य होती गईं, इन पर होने वाला खर्च भी बहुत बढ़ गया.
1950: First Republic Day parade
पहले गणतंत्र दिवस पर सबसे पहले भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को पद की शपथ दिलाई गई. यह शपथ देश के मुख्य न्यायाधीश ने दिलाई. इससे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 20 साल पुराना सपना पूरा हुआ, जिसका मतलब था कि भारत अब पूरी तरह से आजाद हो गया है.
26 जनवरी को ही क्यों निकाली जाती है परेड?
परेड निकालने को अगर सीधी भाषा में समझना हो तो कह सकते हैं कि इसका अर्थ है अपने सैनिकों, देश और हथियारों का प्रदर्शन करना, जिसे देख पूरे देश की सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. हालांकि, शायद ही किसी को जानकारी होगी कि परेड निकालने की ये परंपरा कोई नहीं है, बल्कि इसके तार मेसोपोटामिया के समय से जुड़े हैं. मेसोपोटामिया के राजा इसी तरह की परेड निकाला करते थे.
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ब्रिटिश काल में भी निकलती है परेड
वहीं, भारत में परेड की बात करें तो देश में ब्रिटिश काल के दौरान भी इस तरह की परेड निकाली जाती थीं. ब्रिटिश भारतीयों के साथ-साथ पूरी दुनिया के सामने अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए परेड निकालते थे. खासतौर पर वह अपनी शक्तियां पुर्तगाल और फ्रांस के समक्ष किया करते थे. वहीं, अंग्रेज जाने के बाद अपनी कुछ चीजें यहीं छोड़ गए. इन्हीं में से अपनी एक चीज जो उन्होंने भारत को सौंपी वो है सैनिक परेड.