Maharashtra News: देश भर में गणतंत्र दिवस की रौनक देखने को मिली. महाराष्ट्र का एक गांव ऐसा है जहां स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस ही नहीं बल्कि रोजाना राष्ट्रगान बजाया जाता है. इसके बाद दुकानदार अपनी दुकान खोलते हैं.
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Maharashtra News: देश भर में गणतंत्र दिवस की रौनक देखने को मिली. देश के हर कोने से गणतंत्र दिवस से जुड़ी तस्वीरें सामने आई. महाराष्ट्र के एक गांव में देश के प्रति लोगों का जुनून दर्शाती हुई खबर आई. यहां एक ऐसा गांव है जहां पर बाजार में रोजाना राष्ट्रगान बजाया जाता है. इस मौके पर पूरे बाजार के लोग एकत्रित होते हैं.
सांगली का यह गांव पलुस तहसील में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है. स्थानीय निवासी अमोल मकवाना ने बताया कि निवासी हर सुबह 9:10 बजे राष्ट्रगान के लिए मुख्य बाजार में एकत्र होते हैं. दुकानदार राष्ट्रगान के बाद ही अपनी दुकानें खोलते हैं. उन्होंने कहा, इसे जबरदस्त सराहना मिल रही है. बाजार आने वाले लोग राष्ट्रगान शुरू होते ही जहां होते हैं वहीं खड़े हो जाते हैं. सामाजिक कार्यकर्ता दीपक पाटिल ने इसकी शुरुआत की थी. उन्होंने ‘को बताया कि कोविड-19 महामारी सभी के लिए निराशा भरा वक्त था. लोग एक-दूसरे से मिल नहीं पा रहे थे, व्यापारी दुकानें नहीं खोल पाने से हतोत्साहित थे.
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76वें गणतंत्र दिवस की परेड, कई मायनों में खास रही. जो लोग टीवी पर नहीं देख पाए उनके लिए हम दिखाने जा रहे हैं… pic.twitter.com/C23HAZrCND
— Zee News (@ZeeNews) January 26, 2025
छह से आठ महीने तक सब कुछ ठप रहा, भीलवाड़ी व्यापार संघ का मानना था कि लोगों का मनोबल बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है एकता का प्रदर्शन. हम सभी को यह समझाने में कामयाब रहे कि दिन की शुरुआत जन गण मन से करना सबसे अच्छा मंत्र है. पाटिल ने कहा, एक सार्वजनिक संबोधन प्रणाली स्थापित की गई थी, जिससे यह सुनिश्चित हो सका कि राष्ट्रगान शुरू होते ही हर कोई खड़ा हो जाए. हमने हर दिन सुबह 9:10 बजे राष्ट्रगान बजाना शुरू करने का फैसला किया. अब जिज्ञासावश अन्य गांवों के निवासी भी उस समय यहां पहुंचते हैं. हमारे कार्यक्रम का वीडियो लाखों लोगों ने देखा और यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.
उन्हें राष्ट्रगान बजाने का विचार केरल के एक गांव से मिला हालांकि दुर्भाग्यवश यह प्रथा वहां बंद हो गई. उन्होंने कहा, राष्ट्रगान सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही क्यों बजाया जाना चाहिए? राष्ट्रगान गाते समय हम सभी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं. यह हमारे स्कूली जीवन का अभिन्न अंग था. अब हमारे बाद सांगली के पलुस गांव और गढ़चिरौली के मुलचेरी गांव ने भी यह प्रथा शुरू कर दी है. इस जनसूचना प्रणाली के माध्यम से लापता बच्चों, सामान चोरी और बाढ़ की चेतावनी आदि के बारे में लोगों के जानकारी दी जाती है.उन्होंने बताया, अब तक 74 मोबाइल फोन, छह कारें, आधार और पैन कार्ड, एटीएम कार्ड आदि उनके असली मालिकों को लौटाए जा चुके हैं. (भाषा)