Delhi Election: दिल्ली में आज यानी 5 फरवरी को विधानसभा वोटिंग शुरू हो गई है. ऐसे में सभी लोगों की मुस्लिम सीटों पर नजर बनी हुई है.
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Delhi Election: दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए सोमवार को ही प्रचार थम गया था. आज वोटिंग शुरू हो गई है. दिल्ली में जबसे चुनावी बिगुल बजा है, तब से सभी दल मुसलमानों को रिझाने में लगे हुए हैं. लोगों ये भी सोच रहे हैं कि आखिर दिल्ली के मुसलमान कि पार्टी के साथ जाएंगे.
इन सीटों पर मुस्लिम आबादी
दिल्ली में तकरीबन 22 सीटें ऐसी हैं जहां पर मुसलमानों की आबादी जयादा है. ये सीटें- ओखला, सीलमपुर, मटिया महल, मुस्तफाबाद और बल्लीमारान हैं. इन सीटों से ज्यादातर मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा पहुंचते हैं. दिल्ली में बाबरपुर, सीमापुरी, गांधीनगर, चांदनी चौक, किराड़ी, सदर बाजार, जंगपुरा व करावल नगर जैसी सीटें भी हैं जहां पर मुसलमानों की तादाद अच्छी खासी है. यहां के मुसलमान जिस उम्मीदवार को सपोर्ट कर देते हैं उनकी जीत तय मानी जाती है.
दो बार आप ने मारी बाजी
दिल्ली में आप से पहले कांग्रेस की सरकार थी. जानकार मानते हैं कि मुसलमान कांग्रेस के ही वोटर थे, लेकिन साल 2015 में मुसलमानों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. उन्होंने अरविंद केजरीवाल को वोट दिया. साल 2020 में भी मुसलमानों ने 'आम आदमी पार्टी' (आप) का सपोर्ट किया. साल 2020 में ज्यादातर आप के उम्मीदवार जीते और कांग्रेस के उम्मीदवार हारे.
किसके साथ हैं मुसलमान
हाल ही में मुसलमानों के कई मामले सुर्खियों में रहे हैं. इस पर आम आदमी ने अपना खुल कर मत नहीं रखा है. उत्तर पूर्वी दिल्ली 2020 दंगे, कोरोना के दौरान तब्लीगी जमात पर इल्जाम और कई दूसरे मामलों पर आप ने चुप्पी साथ रखी है. तो यह कह सकते हैं कि मुसलमान दिल्ली में आप से नाराज हैं? खबरों से पता चलता है कि इसका जवाब 'न' में है.
वोटर का झुकाव
एनबीटी ने अपनी एक खबर में जाफरादाब इलाके के मोहम्मद यासीन के हवाले से लिखा है कि उनके पास आप के पास जाने के अलावा कोई ऑपशन नहीं है. ओखला के फरीद अहमद के मुताबिक मुसलमान के पास आप के पास जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. अब्दुल रहमान का कहना है कि आप ही भाजपा को रोक सकती है.