अर्दोआन अब खोल रहे हैं पत्ते! सीरिया में 2 सैन्य अड्डे बनाएगा तुर्की, F-16 फाइटर जेट भी तैनात करेगा

सीरिया में हाल ही में हुए तख्तापलट में बशर-अल असद को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था और रूस में शरण लेनी पड़ी थी. विद्रोहियों के दमिश्क पर कब्जे पर हर किसी की नजर गई थी. तुर्की समर्थित इन सशस्त्र विद्रोहियों के सत्ता संभालने के बाद अब राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन अपने पत्ते खोल रहे हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 4, 2025, 10:03 AM IST
  • 2 मिलिट्री बेस बनाने की योजना
  • इसके जरिए कई हित साधेगा तुर्की
अर्दोआन अब खोल रहे हैं पत्ते! सीरिया में 2 सैन्य अड्डे बनाएगा तुर्की, F-16 फाइटर जेट भी तैनात करेगा

नई दिल्लीः सीरिया में हाल ही में हुए तख्तापलट में बशर-अल असद को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था और रूस में शरण लेनी पड़ी थी. विद्रोहियों के दमिश्क पर कब्जे पर हर किसी की नजर गई थी. तुर्की समर्थित इन सशस्त्र विद्रोहियों के सत्ता संभालने के बाद अब राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन अपने पत्ते खोल रहे हैं. तुर्की के एक अखबार ने अपनी रिपोर्ट में अहम खुलासे किए हैं. रिपोर्ट की मानें तो तुर्की और सीरिया के बीच जल्द ही संयुक्त रक्षा समझौता हो सकता है. 

2 मिलिट्री बेस बनाने की योजना

इस संयुक्त रक्षा समझौता के मुताबिक, युद्ध की स्थिति में तुर्की अपने पड़ोसी देश सीरिया की रक्षा करने के लिए बाध्य होगा. वहीं सीरिया में तुर्की की दो मिलिट्री बेस बनाने की योजना है. इन पर एफ-16 जैसे लड़ाकू विमान तैनात करने पर विचार किया जा रहा है. यही नहीं तुर्की की ओर से सीरियाई सेना को ट्रेनिंग भी दी जाएगी. 

सीरिया में तुर्की कई रडार स्टेशन भी लगाएगा. इसके जरिए तुर्की और इजरायल के बीच एक बफर जोन तैयार होगा. सीरिया में इजरायली विमानों के प्रवेश करने की स्थिति में तुर्की को रडार स्टेशन के माध्यम से सभी जानकारी मिल जाएगी. 

इससे कई हित साधेगा तुर्की

तुर्की इसके जरिए क्षेत्र में अपने कई हित साध रहा है. तुर्की पहले से ही कुर्द अलगाववाद से जूझ रहा है. तुर्की, ईरान, इराक और सीरिया में रहने वाले कुर्द कई दशकों से स्वतंत्र कुर्दिस्तान की मांग कर रहे हैं. वहीं तुर्की सरकार कुर्द अलगाववाद को दबाने के लिए सैन्य कार्रवाई करती है. इराक और सीरिया में कुर्द लड़ाकों की बढ़ती शक्ति भी तुर्की के लिए चिंता का विषय है. ऐसे में सीरिया में मिलिट्री बेस के जरिए तुर्की कुर्दों की गतिविधियों पर सीधी नजर रख सकेगा. साथ ही उन पर कार्रवाई के लिए उसके पास सीरिया में भी संसाधन होंगे.

इसके अलावा सीरिया में अपनी मौजूदगी के बल पर वह इजरायल की जासूसी भी कर सकता है. वहीं सीरिया में मिलिट्री बेस स्थापित करके वह विद्रोहियों और दमिश्क में अपने प्रभाव को बढ़ा सकता है. 

बता दें कि सीरिया में तख्तापलट के दौरान तुर्की ने विद्रोहियों की काफी सहायता की थी. वहीं कई रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया था कि तुर्की की सेना के कमांडो भी विद्रोहियों के बीच शामिल थे ताकि असद को सत्ता से बेदखल किया जा सके.

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