KGB के खुफिया एजेंट्स की कहानी, जो दुश्मन देश में शादी करते हैं और बच्चे भी!

हर देश की खुफिया एजेंसियों के बारे में आपने सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये लोग काम कैसे करते हैं? चलिए आज हम रूस की खुफिया एजेंसी के एजेंट्स के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.

Written by - Bhawna Sahni | Last Updated : Feb 3, 2025, 05:03 PM IST
    • केजीबी के एजेंट्स कैसे करते हैं काम?
    • पूरी दुनिया में मशहूर हैं केजीबी के एजेंट
KGB के खुफिया एजेंट्स की कहानी, जो दुश्मन देश में शादी करते हैं और बच्चे भी!

नई दिल्ली: दुनिया की सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसियों की जब भी बात चलेगी उसमें केजीबी का नाम जरूर आएगा. आपका दोस्त, बेटा या पार्ट्नर कोई भी रूस की इस सीक्रेट ऑर्गेनाइजेशन KGB (कमेटी फॉर स्टेट सिक्योरिटी) का एजेंट हो सकता था, जिसके बारे में किसी को कानों-कान खबर तक नहीं लगती थी. इन्होंने कई तरह के अनोखे आपरेशन चलाए, केजीबी के अपने एजेंट्स को विदेशी पहचान दिलाकर घुसपैठ कराता था और वह लंबे समय तक वहीं के लोगों के साथ उन्हीं के जैसे बनकर रहते थे, जिन्हें आप ढूंढ ही नहीं सकते. हालांकि, अब केजीबी का नाम FSB (फेडरल सिक्योरिटी सर्विस) हो चुका है.

खूबसूरत हसीनाएं बनीं एजेंट

केजीबी में जहां एक ओर जासूसी के लिए एक से एक शानदार तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, वहीं, यहां बेहद खूबसूरत हसीनाओं को भी एजेंट्स के तौर पर इस्तेमाल किया गया. ये लड़कियां टीजर, हीरोइन, डांसर  और सिंगर भी हो सकती हैं. यहां तक कि वेश्यालय चलाने वाली भी हो सकती हैं, हालांकि, ये वेश्यालय पूरी तरह से नकली होता है, जहां विदेशियों को अपने जाल में फंसाकर उनसे कई राज उगलवाए जाते हैं. इनके तेज-तर्रार जासूसों का इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब द्वितीय विश्व युद्ध तब स्टालिन को पहले से ही  ब्रिटेन, अमेरिका और फ्रांस के हर सैन्य गतिविधि के बारे में जानकारी थी.

7 लाख लोग थे शामिल

रूस के राष्ट्रपति व्लादिरमीर पुतिन भी केजीबी के लिए काम कर चुके हैं. उन्होंने 1975 से 1991 तक फॉरेन इंटेलिजेंस के तौर पर यहां काम किया. कुछ रिपोर्ट्स में यह दावा भी किया गया है कि 1986 में 7 लाख से ज्यादा लोग केजीबी के लिए काम कर रहे थे. हालांकि, आज तक आधिकारिक तौर पर इसकी मैनपावर और बजट को लेकर कोई जानकारी सामने नहीं आ पाई है. कहा जाता है कि रूस के जो भी सबसे शानदार सैनिक होते हैं उन्हें केजीबी में शामि कर दिया जाता है.

कोनोन ट्रोफिमोविच मोलोडी (कॉन रॉय मार्शल)

केजीबी दूसरे देशों में अपने खुफिया एजेंट की तैनाती भी करता है. वह उस देश की भाषा, कल्चर और खान-पान को पूरी तरह सिखाते हुए अपने एजेंट को एक नकली पहचान के लिए साथ वहां घुसा देता है. ये पहचान किसी ऐसे शख्स की दे दी जाती है, जिसकी हाल-फिलहाल में मृत्यु हुई हो. जैसे कोनोन ट्रोफिमोविच मोलोडी, जो ब्रिटेन में काम करने वाला एक केजीबी एजेंट था. उन्होंने वैज्ञानिक के रूप में काम किया और वहां शादी भी की. उनका एक बेटा भी था. जब 1961 में उन्हें गिरफ्तार किया गया तो उनकी पत्नी को उनकी असली पहचान के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.

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