नई दिल्ली: बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया है कि सरकार अब दालों में भी आत्मनिर्भर बनने के लिए 6 साल का एक कार्यक्रम शुरू करने जा रही है. इस दौरान खासतौर पर मसूर, उड़द और अरहर दालों पर ध्यान दिया जाएगा. भारत में 2023 की तुलना में 2024 में लगभग दोगुनी दालों का आयात किया गया है. जहां 2023 में 33.7 लाख टन दालें आयात हुई थीं, वहीं 2024 में यह आंकड़ा 66.33 लाख टन पहुंच गया है. चलिए ऐसे में जानते हैं कि आज भी भार दालों के लिए किन देशों पर निर्भर है.
भारत कहां से करता है दालों का आयात
भारत में वित्त वर्ष 2018-19 में सबसे ज्यादा दालें खरीदी गई थीं, लेकिन ये आंकड़ा 2023-24 में तब टूट गया, जब 4.65 मिलियन मीट्रिक टन दालों का आयात किया गया. भारत में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और म्यांमार जैसे देशों से चना, अरहर, उड़द, मसूर और मूंग जैसी दालें आती हैं. भारत में दालों की आपूर्ति करने वाले देशों में से कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और म्यांमार प्रमुख हैं. भारत में जिस तेजी से घरेलू मांग बढ़ रही है उसकी पूर्ति के लिए कनाडा, म्यांमार और ऑस्ट्रेलिया से सलाना 20-30 लाख टन से ज्यादा दालों का आयात किया जाता है.
कहां किया जाता है निर्यात
भारत में दालों के उत्पादन की बात करें तो देश में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों का बड़ा योगदान रहा है. रिपोर्ट्स की मानें तो देशभर में सबसे ज्यादा दालें पैदा करने वाला राज्य मध्य प्रदेश हैं. कुल दालों का चौथाई हिस्सा यहीं से आता है. वहीं, निर्यात के मामले में भारत से बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, अमेरिका और नेपाल जैसे देशों में दालें निर्यात भी की जाती हैं.
क्यों करना पड़ता है आयात
भारत की आबादी विशाल है. वहीं, दालों के प्रोटीन से भी देश की जनता बखूबी जागरुक है. ऐसे में दालों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत आयात करने पर मजबूर हो गया है. भले ही भारत में दालों प्रोडक्शन पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है, लेकिन मांग को देखते हुए इस सप्लाई को पूरा करने के लिए दालों का आयात करना पड़ता है.
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