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Earth before humans: हमारी गैलेक्सी में अनगिनत संभावित रहने योग्य ग्रह हो सकते हैं, लेकिन हमें नहीं पता कि हम (इंसान) अकेले हैं या नहीं. फिलहाल पृथ्वी ही एकमात्र ऐसी दुनिया है जहां जीवन पाया जाता है और हमारे ग्रह पर सभी जीवित चीजों में से होमो सेपियन्स ही एकमात्र ऐसी प्रजाति है जिसने उन्नत तकनीक विकसित की है. लेकिन एक अनसुलझा सवाल यह भी है कि क्या लाखों वर्ष पहले यानी इंसानों से पहले पृथ्वी पर कोई पूर्ववर्ती सभ्यता अस्तित्व में थी? बता दें कि इसके प्रमाण अभी तक नहीं मिले हैं. इसका अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है, लेकिन इस पर शोध निरंतर जारी है.
इंसानों से पहले पृथ्वी डायनासोर का घर था, इसके साक्ष्य मिलते रहे हैं. तो ऐसा भी हो सकता है कि इंसानों से पहले तकनीकी रूप से उन्नत प्रजाति ग्रह पर हावी रही हो, तो क्या हमारे पास उनके अस्तित्व का कोई रिकॉर्ड भी होगा? और यदि नहीं, तो हमें कैसे पता चलेगा कि ऐसा नहीं हुआ?
इसे सिलुरियन परिकल्पना कहा जाता है. सिलुरियन परिकल्पना एक विचार प्रयोग है. जो शायद कई मिलियन वर्ष पहले की पूर्व उन्नत सभ्यता के साक्ष्य का पता लगाने की आधुनिक विज्ञान की क्षमता का आकलन करता है. ऐसी सभ्यता के लिए सबसे संभावित संकेत कार्बन , रेडियोधर्मी तत्व या तापमान भिन्नता हो सकते हैं. मूल रूप से, यह बताता है कि मनुष्य इस ग्रह पर विकसित होने वाला पहला बुद्धिमान जीवन रूप नहीं हो सकता है और यदि वास्तव में लगभग 100 मिलियन वर्ष पहले पूर्ववर्ती अस्तित्व में थे, तो उनके लगभग सभी संकेत अब तक नष्ट हो गए होंगे.
100 मिलियन वर्ष पहले डायनासोर थे और हम यह जानते हैं.. क्योंकि उनके जीवाश्म मिले हैं. लेकिन वे लगभग 150 मिलियन वर्षों से भी अधिक समय से मौजूद थे. मानव सभ्यता बहुत ही कम समय में लगभग एक लाख वर्षों के दौरान दुनिया भर में फैल गई है. हमें शायद आपको यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि मानवता का ग्रह पर पहले से ही दीर्घकालिक प्रभाव पड़ रहा है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक अभी ग्रह एंथ्रोपोसीन काल में है. जिसकी विशेषता मानव का व्यापक प्रभुत्व है. इसकी विशेषता वायुजनित कार्बन में अभूतपूर्व वृद्धि भी है. इसका मतलब यह नहीं है कि वातावरण में पहले से कहीं अधिक कार्बन है. 56 मिलियन वर्ष पहले, ग्रह पेलियोसीन-इओसीन थर्मल मैक्सिमम (पीईटीएम) से गुजरा था, जो दुनिया भर में अत्यधिक उच्च तापमान की अवधि थी. उसी समय हवा में जीवाश्म कार्बन के बढ़ने के भी प्रमाण हैं. और इसके सटीक कारण पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं.
इंसानों से पहले पृथ्वी पर कोई पूर्ववर्ती सभ्यता अस्तित्व में थी? इस सवाल को डायनासोर से जोड़कर देखा जाए तो एक और सवाल सामने आता है.. क्या लोग और डायनासोर एक ही समय में रहते थे? वैज्ञानिकों ने इसका जवाब दिया...नहीं! डायनासोरों के ख़त्म होने के बाद, पृथ्वी पर इंसानों के जन्म को लगभग 65 मिलियन वर्ष बीत गए. डायनासोर का अध्ययन करने वाले कुछ वैज्ञानिक (कशेरुकी जीवाश्म विज्ञानी) अब सोचते हैं कि पक्षी यानी चिड़िया.. मांसाहारी डायनासोर के प्रत्यक्ष वंशज हैं. यह सिद्धांत चर्चा में बना हुआ है और दिखाता है कि डायनासोर के बारे में अभी भी बहुत कुछ हम नहीं जानते हैं. ऐसे में यह कहना बचकाना होगा कि इंसानों से पहले डायनासोर के अलावा और कोई सभ्यता रहती थी. फिर भी इस विषय पर शोध जारी है.