साल के आखिरी प्रदोष व्रत पर करें इस विधि से पूजा, 2024 में बरसेगी शिव-कृपा
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साल के आखिरी प्रदोष व्रत पर करें इस विधि से पूजा, 2024 में बरसेगी शिव-कृपा

Pradosh Vrat: मार्गशीर्ष मास का दूसरा प्रदोष व्रत 24 दिसंबर 2023, रविवार को है. रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष कहते हैं. इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करना बहुत लाभ देगा. 

साल के आखिरी प्रदोष व्रत पर करें इस विधि से पूजा, 2024 में बरसेगी शिव-कृपा

Ravi Pradosh Vrat 2023: मार्गशीर्ष मास का हिंदू धर्म में बहुत महत्‍व है. इसकी कुछ तिथियों को विशेष माना गया है. मार्गशीर्ष मास का प्रदोष व्रत भी इनमें से एक है. प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है. साल 2023 का आखिरी प्रदोष व्रत 24 दिसंबर 2023, रविवार को रखा जाएगा. रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की विधि- विधान से पूजा की जाती है, व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने का महत्‍व है. प्रदोष व्रत करने से सभी तरह के दुख- दर्द दूर हो जाते हैं और जीवन में खुशियां आती हैं. 

रवि प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 दिसंबर 2023 की सुबह 06:24 बजे से शुरू होकर 25 दिसंबर 2023 की सुबह 05:54 बजे तक रहेगी. वहीं प्रदोष व्रत की पूजा के लिए प्रदोष काल शाम 05:30 बजे से रात 08:14 बजे तक रहेगा. 

प्रदोष व्रत पूजा-विधि

प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें. फिर साफ कपड़े पहन लें. घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और यदि व्रत कर रहे हैं तो भगवान के सामने हाथ जोड़कर व्रत का संकल्‍प लें. इसके बाद भगवान गणेश की पूजन करके पूजा का श्रीगणेश करें. भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें. उन्‍हें बेलपत्र, फूल, फल, मिठाई अर्पित करें. माता पार्वती की भी पूजा करें. भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. शिव चालीसा पढ़ें. प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें. आखिर में भगवान शिव की आरती करें. 

शाम के समय भी प्रदोष काल में शिव जी की पूजा करें. इसके लिए पुष्प, पंच फल पंच मेवा, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें, गाय का कच्चा दूध, गन्‍ने का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री का उपयोग करें. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 

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