Bhishma Ashtami 2025: इस दिन है भीष्म अष्टमी, जानें भीष्म पितामह ने अंतिम समय में युधिष्ठिर को क्या बताया
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Bhishma Ashtami 2025: इस दिन है भीष्म अष्टमी, जानें भीष्म पितामह ने अंतिम समय में युधिष्ठिर को क्या बताया

Bhishma Ashtami 2025: माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है. भीष्म पितामह ने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया और अपने पिता के प्रति निष्ठा और समर्पण के कारण उन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त हुआ. आइए जानते हैं कि इस साल भीष्म अष्टमी कब मनाई जाएगी.

Bhishma Ashtami 2025: इस दिन है भीष्म अष्टमी, जानें भीष्म पितामह ने अंतिम समय में युधिष्ठिर को क्या बताया

Bhishma Ashtami 2025: माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपने प्राण त्यागे थे. उन्होंने आजीवन ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा ली थी और अपने पिता के प्रति निष्ठा व समर्पण के कारण उन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त हुआ. इस दिन भीष्म पितामह का तर्पण करने से सभी पाप नष्ट होते हैं और पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि जो लोग उत्तरायण में प्राण त्यागते हैं, उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है. इसलिए, भीष्म अष्टमी का व्रत और तर्पण अनुष्ठान अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस साल भीष्म अष्टमी कब मनाई जाएगी, शुभ मुहूर्त क्या है और अंतिम समय में भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को क्या सीख दी थी.

भीष्म अष्टमी 2025 शुभ मुहूर्त

भीष्म अष्टमी, बुधवार 5 फरवरी 2025

अष्टमी तिथि आरंभ- 5 फरवरी को देर रात 2 बजकर 30 मिनट पर 

अष्टमी तिथि समाप्त- 6 फरवरी को देर रात 12 बजकर 35 मिनट पर 

मध्याह्न समय- 11 बजकर 30 मिनट से दोपहर 1 बजकर 42 मिनट तक

भीष्म अष्टमी का महत्व

भीष्म अष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. इस दिन जल, कुश और तिल से भीष्म पितामह का तर्पण किया जाता है. यह तिथि उनकी पुण्यतिथि के रूप में मनाई जाती है और एकोदिष्ट श्राद्ध का विशेष महत्व होता है. जो लोग अपने पिता को खो चुके हैं, वे भीष्म पितामह के नाम पर श्राद्ध अनुष्ठान करते हैं. कई लोग मानते हैं कि यह अनुष्ठान सभी कर सकते हैं, चाहे उनके पिता जीवित हों या नहीं.

भीष्म पितामह की अंतिम शिक्षा

गुस्से पर नियंत्रण रखना चाहिए.

क्षमा सबसे बड़ा गुण है.

जो भी कार्य शुरू करें, उसे पूरा जरूर करें.

अत्यधिक मोह से बचें.

धर्म को हमेशा प्राथमिकता दें.

कड़ी मेहनत करें और सभी की रक्षा करें.

मन में दया और करुणा का भाव बनाए रखें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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