Banaras-Calcutta Green Field Expressway: नेशनल हाईवे पर यात्रा करना पहले से और आसान होने वाला है. दरअसल लंबे इंतजार के बाद अब बनारस-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को लेकर काम शुरू हो चुका है. फिलहाल पहले चरण का काम शुरू कर दिया गया है.
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वाराणसी: नेशनल हाईवे पर यात्रा करना आसान होने वाला है क्योंकि लंबे इंतजार के बाद अब बनारस-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के पहला चरण का शुरू कर दिया गया है. पहले चरण में 27 किलोमीटर का कार्य शुरू किया गया है. एनकेसी प्राइवेट लिमिटेड को वर्क ऑर्डर दे दिया गया है जोकि हरियाणा गुरुग्राम की एक कंपनी है. सोमवार को जमीन की सफाई के साथ ही समतलीकरण का काम शुरू हो चुका है. नवंबर 2026 तक छह लेन सड़क बनेगी.
दौली से शुरू और खैती कैमूर में समापन
यह परियोजना रेवासा चंदौली से शुरू रही है और खैती कैमूर में इसका समापन है. रेवासा गांव में ही रिंग रोड का दूसरा चरण समाप्त हो रहा है जहां से से ग्रीनफील्ड सड़क बनना शुरू होने से कोलकाता तक दूरी कम समय में तय की जा सकेगी. रिंग रोड का दूसरा चरण भी तैयार है जोकि गंगा में पुल का कार्य पूरा होते ही फरवरी 2025 में राजातालाब से हरहुआ होते हुए रेवासा के बीच कई नेशनल हाईवे कनेक्ट हो सकेंगे.
इन जगहों पर आसानी से पहुंचा जा सकेगा-
इस तरह गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया से लेकर गाजीपुर, जौनपुर, प्रयागराज और लखनऊ से लेकर दिल्ली से आने वाली गाड़ियां इसी रास्ते चंदौली होकर बिहार, झारखंड के साथ ही बंगाल तक जा सकेंगे.
एनजीटी की आपत्ति से काम नहीं शुरू हो पाया
एनएचएआइ (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) की वाराणसी इकाई को 160 हेक्टेयर जमीन चंदौली में दी गई है. किसानों को 220 करोड़ रुपये का मुआवजा राशि भी दे दी गई है. शुरुआत में 60 लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी के साथ ही फ्लाईएश से सड़क की स्ट्रेच तैयार होगी. 14 अंडरपास बनेंगे, दो फ्लाईओवर व कर्मनाशा नदी में एक पुल भी तैयार किया जाएगा. एक्सेस कंट्रोल तकनीक होने की वजह से पहले चरण में केवलदो इंटरचेंज होंगे. रेवासा और खैती गांव में ही गाड़ियों को एक्सप्रेसवे पर चढ़ने और उतरने की सुविधा होगी. 23 फरवरी 2024 को ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया पर एनजीटी की आपत्ति से काम नहीं शुरू हो पाया. पर्यावरण मंत्रालय ने एनओसी मिलने के बाद 12 नवंबर को कार्यदायी एजेंसी को काम शुरू करने के लिए पत्र जारी किया.
देवई में बनेगा टोल प्लाजा, 60 प्रतिशत लागत राशि लगाएगी कंपनी
एनएचएआइ वाराणसी के परियोजना निदेशक है प्रवीण कुमार कटियार जिन्होंने जानकारी दी है कि चंदौली के हिस्से में काम शुरू किया गया है पर बिहार में सड़क निर्माण सब तक नहीं किया जा सकता है जब तक मुआवजा राशि पर किसानों की आपत्ति दूर नहीं होगी. दूसरे और तीसरे चरण का काम ऐसी ही कारणों से नहीं शुरू हो पा रहा है. हालांकि पहले चरण की लागत 994 करोड़ है जिसमें 40 फीसदी बजट केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी और 60 प्रतिशत धनराशि कंपनी को लगानी होगी. 15 साल में किस्त से कंपनी को लागत राशि लौटाई जाएगी. देवई गांव में एक टोल प्लाजा का भी निर्माण किया जाएगा.
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