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महाकुंभ का आखिरी दिन कब, कुंभ मेला की आखिरी तारीख को क्या होगा, कब है अगला महास्नान

प्रयागराज महाकुंभ को 25 दिन हो चुके हैं. कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा कि महाकुंभ कब तक चलने वाला है, महाकुंभ का आखिरी महा स्नान कब है?, और महाकुंभ कितने दिनों तक चलेगा...ये कैसे तय होता है?

महाकुंभ का आखिरी दिन और इसका महत्व

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महाकुंभ का आखिरी दिन और इसका महत्व

महाकुंभ का समापन महाशिवरात्रि के दिन होता है, जिसे महाकुंभ का सबसे पवित्र स्नान माना जाता है. इस साल महाकुंभ का आखिरी अमृत स्नान 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा. इस दिन गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान से मोक्ष की प्राप्ति मानी जाती है.

कैसे तय होती है कुंभ मेले की अविधि

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कैसे तय होती है कुंभ मेले की अविधि

कुंभ मेला लगभग 45 से 50 दिनों तक चलता है, लेकिन इसकी अवधि ग्रहों की स्थिति के अनुसार थोड़ी कम या ज्यादा हो सकती है. महाकुंभ 2025 में 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से शुरू होकर 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक चलेगा. 

महाकुंभ का आयोजन कैसे तय होता है?

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महाकुंभ का आयोजन कैसे तय होता है?

कुंभ मेले की तारीखें और स्थान ग्रहों की स्थिति और ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर तय किए जाते हैं. इसमें सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाता है. जब बृहस्पति सिंह या मेष राशि में प्रवेश करता है और सूर्य-चंद्रमा की विशेष युति बनती है, तभी कुंभ का आयोजन होता है.

महाकुंभ में प्रमुख स्नान तिथियां

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महाकुंभ में प्रमुख स्नान तिथियां

कुंभ मेले के दौरान पौष पूर्णिमा, माघ अमावस्या, बसंत पंचमी और माघ पूर्णिमा को प्रमुख स्नान पर्व होते हैं. इनमें से महाशिवरात्रि पर होने वाला स्नान सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसे मोक्षदायी माना जाता है.  

महाशिवरात्रि पर आखिरी कुंभ स्नान की परंपरा

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महाशिवरात्रि पर आखिरी कुंभ स्नान की परंपरा

जैसा कि बताया गया है कि महाकुंभ कितने दिन चलेगा यह ग्रहों की स्थिति और चाल के अनुसार पहले ही तय कर लिया जाता है. इस बार ग्रहों की स्थिति और चाल के अनुसार आखिरी स्थना महाशिव रात्रि को है. वैसे महाशिव रात्रि पर ही आखिरी स्नान की परंपरा सदियों से चली आई है.

कुंभ मेले का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व

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कुंभ मेले का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व

कुंभ मेला सिर्फ स्नान का अवसर नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागरूकता और सांस्कृतिक उत्सव का संगम भी है. महाकुंभ के दौरान संगम के रेती पर धार्मिक प्रवचन, भजन-कीर्तन, योग और ध्यान जैसे अनुष्ठान भी होते हैं. 

कुंभ मेले में नागा साधुओं की विशेष भूमिका

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कुंभ मेले में नागा साधुओं की विशेष भूमिका

नागा साधु कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण होते हैं और वे शाही स्नान की अगुवाई करते हैं. वे कठिन साधनाओं से गुजरने के बाद संन्यास लेते हैं और कुंभ में उनके दर्शन को बेहद शुभ माना जाता है, लेकिन ज्यादातर अखाड़े बसंत पंचमी के स्नान के बाद ही अपने मूल स्थानों पर लौटने की तैयारी शुरू कर देते हैं. 

स्नान के दौरान पालन किए जाने वाले नियम

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स्नान के दौरान पालन किए जाने वाले नियम

कुंभ स्नान के दौरान साबुन-शैंपू का इस्तेमाल वर्जित होता है, क्योंकि इसे गंगा जल की पवित्रता के खिलाफ माना जाता है. स्नान करते समय पांच बार डुबकी लगाना शुभ माना जाता हैं,  मान्यता है कि ऐसा करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है.

महाकुंभ का समापन कैसे होता है ?

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महाकुंभ का समापन कैसे होता है ?

महाशिवरात्रि पर स्नान के बाद कुंभ मेले का आधिकारिक समापन हो जाता है, इस दिन साधु-संत और श्रद्धालु संगम पर अंतिम डुबकी लगाकर मेले से विदाई लेते हैं. 

 

अगला कुंभ कब होगा ?

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अगला कुंभ कब होगा ?

कुंभ हर 12 साल में एक बार प्रयागराज में आयोजित किया जाता है. अगला महाकुंभ 2037 में होगा, जबकि हरिद्वार और प्रयागराज में 2028 में अर्धकुंभ का आयोजन किया जाएगा.