क्या दिल्ली छोड़ UP लौटेंगे अखिलेश? उपचुनाव में लगातार हार और विधानसभा में सपा के कमजोर तेवर से परेशान कन्नौज सांसद
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2649616

क्या दिल्ली छोड़ UP लौटेंगे अखिलेश? उपचुनाव में लगातार हार और विधानसभा में सपा के कमजोर तेवर से परेशान कन्नौज सांसद

Akhilesh yadav: सियासी गलियारों में सवाल उठ रहे हैं क्या अखिलेश यादव के बिना यूपी में सपा कमजोर दिखती है? ऐसे में 2027 विधानसभा चुनाव से पहले उनके यूपी में वापसी को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं हैं.

UP Politics

UP Politics: पहले उपचुनाव की 9 सीटों में केवल दो सीटें बचा पाना और फिर मिल्कीपुर में करारी हार..लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी की साइकिल जिस तेज रफ्तार से दौड़ी, उसकी स्पीड पर उपचुनाव आते-आते ब्रेक लग गया. विधानसभा में भी सपा प्रमुख की गैरमौजूदगी में सपा का सत्ता पक्ष को घेरने की कोशिशों के तीखे तेवर देखने को नहीं मिले. ऐसे में सियासी गलियारों में सवाल उठ रहे हैं क्या अखिलेश यादव के बिना यूपी में सपा कमजोर दिखती है?

अखिलेश के रहते विधानसभा में गरमाता माहौल
अखिलेश यादव की अगुवाई में सड़क से लेकर विधानसभा तक सपा जोर शोर से सत्ता पक्ष पर सियासी हमला बोलती थी. सत्र के दौरान होने वाली बहस में 'योगी बनाम अखिलेश' के भाषणों की भी खूब चर्चा होती. लेकिन सपा प्रमुख के सांसद बनने के बाद समाजवादी पार्टी नेताओं का अखिलेश जैसा आक्रमक रुख सदन में अब तक नहीं दिखा है. बीते यूपी विधानसभा शीतसत्र के दौरान अखिलेश यादव दिल्ली में संसद सत्र छोड़कर लखनऊ पहुंचे और विधायकों के साथ अहम बैठक की थी. यूपी बजट सत्र से पहले भी अखिलेश यादव ने विधायकों संग बैठक कर जरूरी दिशा-निर्देश दिए.

लोकसभा चुनाव में किया बड़ा उलटफेर
लोकसभा चुनाव में सपा ने यूपी में बड़ा उलटफेर किया था. पिछला, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) का दांव खूब चला. सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने यूपी में 43 सीटें जीतकर बीजेपी को केंद्र में बहुमत के आंकड़े से काफी पीछे धकेल दिया था. बीजेपी सिर्फ 37 सीटों पर सिमट कर रह गई थी.अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव के बाद करहल विधानसभा सीट छोड़ दी और कन्नौज से सांसद रहते दिल्ली शिफ्ट हो गए.

अखिलेश के सामने खड़ा हुआ सवाल?
समाजवादी पार्टी के देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद अखिलेश यादव ने केंद्रीय राजनीति में सक्रियता का संकेत दिए. बीजेपी के पूर्ण बहुमत में न होने और नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर निर्भरता से इंडिया गठबंधन सत्ता में आने की संभावनाएं तलाश रहा था. अखिलेश यादव की नजरें भी केंद्र में मुलायम की तरह बड़ी भूमिका निभानें पर थीं, लेकिन यूपी उपचुनाव के आए हालिया नतीजों ने अखिलेश के सामने 'यूपी बनाम केंद्र' की राजनीति में विकल्प चुनने को लेकर फिर से सवाल खड़े किए हैं.

UP Budget 2025: यूपी बजट सत्र में संग्राम के आसार, सर्वदलीय बैठक से पहले ही सपा-भाजपा में महाकुंभ पर खिंची तलवार

कौन होगा मायावती का वारिस? बसपा सुप्रीमो ने रिश्तेदारों को चेताया- मेरे लिए कोई बड़ा या सगा नहीं

 

 

Trending news