क्या यादव वोट बैंक में लगेगी सेंध, करहल विधानसभा उपचुनाव में सपा-भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर
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क्या यादव वोट बैंक में लगेगी सेंध, करहल विधानसभा उपचुनाव में सपा-भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर

UP ByPolls 2024 Karahal: उत्तर प्रदेश उपचुनाव में सबसे चर्चित सीट करहल पर राजनीतिक सरगर्मियां उफान पर हैं. यह सीट 22 साल से सपा के पास है तो वहीं बीजेपी साल 2002 की रणनीति एक बार फिर आजमा कर इसे अपने कब्जे में लेना चाहती है. आइये जानने की कोशिश करते हैं, क्या हैं यहां के जातीय समीकरण. 

क्या यादव वोट बैंक में लगेगी सेंध, करहल विधानसभा उपचुनाव में सपा-भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर

Karhal bypolls 2024:  मैनपुरी ज़िले की करहल विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज़ हैं. यह सीट सपा नेता और पूर्व विधायक अखिलेश यादव के इस्तीफ़े के बाद खाली हुई थी, और अब समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच एक दिलचस्प मुकाबले का मंच तैयार हो चुका है. और इस मुकाबले में कौन विजयी होगा इसके फैसले की घड़ी बस आने ही वाली है. 13 नवंबर को मतदान है और 23 नवंबर को नतीजे सबके सामने होंगे.  

इस चुनाव में सपा ने तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारा है, जो अखिलेश यादव के भतीजे और मैनपुरी के पूर्व सांसद हैं. वहीं भाजपा ने अनुजेश प्रताप यादव को टिकट दिया है, जो सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के बहनोई हैं और भाजपा के साथ जुड़ने से पहले सपा से भी जुड़े रहे हैं. अनुजेश की पत्नी बेबी यादव मैनपुरी की जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं और उनकी मां उर्मिला यादव भी पूर्व विधायक रही हैं.

करहल सीट का जातीय समीकरण
करहल सीट पर लगभग 3.75 लाख मतदाता हैं, जिनमें सबसे अधिक 1.3 लाख यादव मतदाता हैं. यादव समुदाय का वोट करहल चुनाव में अहम भूमिका निभाता है, और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, जिस भी पक्ष को यादवों का समर्थन मिलता है, उसकी जीत की संभावना बढ़ जाती है. इसके अतिरिक्त, 60,000 अनुसूचित जाति के मतदाता, 50,000 शाक्य, 30,000 ठाकुर, 25,000 मुस्लिम, और 20,000 लोधी मतदाता भी इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.

करहल 22 बरसों से सपा के पास
साल 2002 में पहली बार करहल सीट पर भाजपा के सोबरन सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी, हालांकि बाद में वह सपा में शामिल हो गए. इसके बाद से पिछले 22 वर्षों में यह सीट लगातार समाजवादी पार्टी के पास रही है. भाजपा इस बार एक बार फिर कमल खिलाने का प्रयास कर रही है और अपनी पूरी ताकत झोंक रही है.  

प्रदेश में 9 सीटों पर होने वाले इस उपचुनाव में करहल विधानसभा पर सभी की निगाहें हैं, क्योंकि यादव वोट बैंक का रुख किस ओर जाएगा, इसका असर चुनाव परिणामों पर निर्णायक हो सकता है.

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