उत्तरकाशी के सिलक्यारा में 16 दिनों तक सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को दिन-रात के संघर्ष के बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सभी श्रमिकों की जांच के बाद ऋषिकेश AIIMS में भेजा जा रहा है.
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Uttarakhand Tunnel Collapse: उत्तरकाशी के सिलक्यारा में 16 दिनों तक सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को दिन-रात के संघर्ष के बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया. चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सभी श्रमिकों की जांच के बाद ऋषिकेश AIIMS में भेजा जा रहा है. इस घटना के बाद से ही लोगों के मन में एक सवाल लगातार उठ रहा है कि आखिर यह हादसा कैसे हुआ. इसके पीछे की वजह क्या है? इसी बीच IIT कानपुर की एक स्टडी सामने आई है, जिसमें सुरंग हादसे को लेकर एक प्रोफेसर ने बड़ा दावा किया है.
फॉल्ट लाइंस के चलते हुआ हादसा: प्रोफेसर जावेद मलिक
IIT कानपुर की स्टडी के मुताबिक, उत्तरकाशी में जहां टनल हादसा हुआ, वहां नीचे फॉल्ट लाइंस मौजूद हैं. आईआईटी कानपुर के अर्थ एंड साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर जावेद मलिक ने कहा कि फॉल्ट लाइंस के ऊपर कंस्ट्रक्शन हादसे का एक कारण था. फॉल्ट लाइंस पर किसी भी तरीके का कंस्ट्रक्शन हो, चाहे वह टनल हो या रोड, वह टूटेगा ही. हिमालय के इस एरिया में गहनता से स्टडी की जानी चाहिए.
दिवाली वाले दिन हुआ था हादसा
यह हादसा 12 नवंबर को सुबह हुआ था. उस दिन दीपावली की वजह से टनल का काम सुबह 8 बजे बंद होने वाला था. मजदूर त्योहार मनाने के लिए बाहर निकलने वाले थे, लेकिन सुबह करीब 4 बजे निर्माणाधीन सिलक्यारा-डंडालगांव सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था. टनल के ऊपर मलबा गिरने से 41 मजदूर अंदर ही फंस गए. भारतीय सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ जैसी तमाम एजेंसियों ने मिलकर संयुक्त बचाव अभियान चलाया, जिसके बाद सभी मजदूर पहाड़ का सीना 'चीरकर' मंगलवार (28 नवंबर) को सुरंग से बाहर आए.
रेस्क्यू ऑपरेशन बहुत चुनौतीपूर्ण और कठिन था: सीएम धामी
रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "यह रेस्क्यू ऑपरेशन बहुत चुनौतीपूर्ण और कठिन था. जिन-जिन लोगों ने इसमें अपना योगदान दिया, मैं सबका धन्यवाद करता हूं. बाबा बौख नाग की कृपा से यह अभियान सफल हो पाया. हिमालय हमें अडिग रहने तथा आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देता है."
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