Paush Purnima 2023: पौष पूर्णिमा आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और गंगा स्नान का महत्व
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Paush Purnima 2023: पौष पूर्णिमा आज, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और गंगा स्नान का महत्व

Paush Purnima 2023: आज पौष पूर्णिमा है. पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही संगमनगरी प्रयागराज में माघ मेले की औपचारिक तौर पर शुरुआत हो गई है. जानें पौष पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

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Paush Purnima 2023: आज पौष पूर्णिमा (Paush Purnima) है. यह नए साल 2023 की पहली पूर्णिमा है. हिंदी पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है. आज के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान करने का महत्व है. आज सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ तीन शुभ योग भी बन रहे हैं. पौष पूर्णिमा यानी आज रात्रि के समय में चंद्र देव और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. दिन में सत्यनारायण भगवान की कथा सुनते हैं और उनकी पूजा करते हैं. पौष पूर्णिमा स्नान पर्व के साथ ही संगमनगरी प्रयागराज में माघ मेला की शुरू गई है. 

गंगा स्नान का है खास महत्व
आज के दिन पवित्र नदियों और सरोवरों खासकर गंगा स्नान का खास महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि गंगा स्नान करने से मनुष्य के सारे पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. शास्त्रों में पौष पूर्णिमा वाले दिन गंगा स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देने का भी विशेष महत्व बताया गया है. स्नान करने के बाद दान जरूर करना चाहिए. इस दिन काशी, प्रयागराज और हरिद्वार में गंगा स्नान करना धार्मिक दृष्टि से बेहद शुभ बताया गया है. 

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पौष पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 
पौष पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 जनवरी, दिन शुक्रवार, रात 2:14 बजे से 
पौष पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 जनवरी, दिन शनिवार, प्रात: 04:37 बजे तक

पौष पूर्णिमा पूजा विधि 
आज के दिन ब्रह्ममुहूर्त में गंगा स्नान करना चाहिए. अगर संभव न हो तो गंगाजल को जल में मिलकर स्नान कर सकते हैं. इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. फिर "ॐ नमो नारायणाय" मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें. अर्घ्य देने के लिए सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं और जल में तिल डालकर अपर्ण करें. इसके बाद ठाकुर और नारायण जी की पूजा करें. भोग में चरणामृत, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, फल, फूल, पंचगव्य, सुपारी, दूर्वा आदि चीजें अर्पित करें. अंत में आरती और प्रार्थना करें. इसके बाद दिन भर व्रत रखकर भगवान के नाम का जाप करें. रात में चंद्र दर्शन करके चंद्रमा को अर्घ्य दें और अपना व्रत खोलें. 

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zeeupuk इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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