Mahashivratri 2025: यूपी के इस शहर में है जुड़वा शिवलिंग का मंदिर, कैलाश पर्वत से लेकर आए थे भगवान परशुराम
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Mahashivratri 2025: यूपी के इस शहर में है जुड़वा शिवलिंग का मंदिर, कैलाश पर्वत से लेकर आए थे भगवान परशुराम

Agra Kailash Temple News: अपने देश के शिवालयों के दर्शन किए होंगे. देशभर के सभी शिवालयों में देवों के देव महादेव पिंडी रूप में विराजमान हैं और लगभग सभी शिवालयों में एक ही पिंडी विराजमान हैं. क्या आपने ऐसे शिवालय के दर्शन किए हैं, जहां एक नहीं बल्कि दो शिवलिंग एक साथ एक ही स्थान पर विराजमान हैं. 

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Agra Kailash Mandir: आगरा एक फेमस टूरिस्ट प्लेस है. यहां पर देश विदेश से लोग घूमने-फिरने के लिए आते हैं. ताजमहल यहां का प्रमुख टूरिस्ट प्लेस है. लेकिन इस जगह के अलावा आप यहां के कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जिनका इतिहास हजारों साल पुराना है. महाशिवरात्रि का पर्व आ रहा है और हम आपको आगरा के ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जो सदियों पुराना है. ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में आने वालों की हर मुराद पूरी होती है. हम बात कर रहे हैं आगरा में स्थित प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर की इसका इतिहास भगवान परशुराम से जुड़ा हुआ है. चलिए आज आगरा स्थित महादेव के इस प्राचीन मंदिर के बारे में जानते हैं.

आगरा में है कैलाशधाम

ये मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है. यह मंदिर देश में इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां एक साथ दो शिवलिंग के दर्शन होते हैं.इस मंदिर का नाम प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर है और यह मंदिर आगरा के सिकंदरा क्षेत्र के कैलाश गांव में विराजमान है. कैलाश शिव मंदिर में मौजूद हैं दो शिवलिंग प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर का अपना प्राचीन इतिहास है. आगरा ही नहीं, बल्कि पूरे देश का यह इकलौता ऐसा शिव मंदिर है, जहां एक साथ दो शिवलिंग विराजे हुए हैं. इस प्राचीन कैलाश मंदिर का बहुत मान्यता है, जिसके चलते बड़ी संख्या शिवभक्त कैलाश मंदिर पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

क्या है मान्यता?

माना जाता है कि आगरा का कैलाश महादेव का मंदिर पांच हजार साल से ज्यादा पुराना है. मंदिर में स्थापित दो शिवलिंग मंदिर की महिमा को और बढ़ा देते हैं. ऐसा भी कहते हैं कैलाश मंदिर के शिवलिंग भगवान परशुराम और उनके पता जमदग्नि द्वारा स्थपित किए गए थे. भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि कैलाश पर्वत पर तप करने गए थे और सालों तक कठोर तप किया. उनकी तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने वरदान मांगने को कहा तो भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने भगवान शिव से अपने साथ चलने और हमेशा साथ रहने की मांग की. जिसके बाद भगवान शिव ने दोनों को एक एक शिवलिंग भेंट स्वरूप दिया.

ऐसा पड़ा कैलाश महादेव मंदिर नाम

दोनों शिवलिंग को लेकर भगवान परशुराम और उनके पिता वापस आ गए. रेणुका धाम पहुंचने से पहले इसी स्थान पर रात्रि विश्राम किया. फिर सुबह यमुना स्नान करने के बाद फिर से शिवलिंग को उठाना चाहा पर दोनों शिवलिंग यहां से नहीं उठे और इसी जगह पर स्थापित हो चुके थे, जिसके बाद भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने दोनों शिवलिंग की पूजा अर्चना की और यही स्थापना कर दी. तब से इस स्थल का नाम कैलाश महादेव मंदिर पड़ गया.

महाशिवरात्रि पर विशेष आयोजन

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन को पहुंचते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते हैं. महाशिवरात्रि पर विशेष आयोजन होते है. महाशिवरात्रि पर मंदिर को भव्य सजाया जाता है. ऐसा भी कहते हैं कि आगरा में कैलाश मंदिर एक स्थानीय शासक राजा सूरजमल द्वारा बनवाया गया शिव मंदिर है.

दूसरी पौराणिक कथा

ऐसा कहा जाता है किराजा सूरजमल को एक सपना आया था जहां खुद महादेव उनके सपने में आए थे. जिसके बाद राज ने अपने लोगों की एक टीम को कैलाश पर्वत पर भेजी और वहां से वह एक शिवलिंग स्वरूप आगरा ले आएं. उनकी टीम ने ऐसे दो अनोखे शिवलिंग खरीदे और आगरा में इस कैलाश मंदिर का निर्माण कराया.

डिस्क्लेमर- लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की पुष्टि स्वयं करें. एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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