फिर चर्चा में बनारस की ग्लैमरस मॉडल ममता राय, शिवलिंग के साथ दिया था विवादित पोज, कोर्ट से मिली राहत
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फिर चर्चा में बनारस की ग्लैमरस मॉडल ममता राय, शिवलिंग के साथ दिया था विवादित पोज, कोर्ट से मिली राहत

Prayagraj News: शिवलिंग वाले विवादास्पद पोस्टर लगाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मॉडल ममता राय को राहत दे दी है. कोर्ट ने मॉडल के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगा दी है वहीं शिकायतकर्ता और राज्य सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. 

फिर चर्चा में बनारस की ग्लैमरस मॉडल ममता राय, शिवलिंग के साथ दिया था विवादित पोज, कोर्ट से मिली राहत

Prayagraj News: वाराणसी की फैशन मॉडल ममता राय को शिवलिंग के साथ आपत्तिजनक पोस्टर लगाने के मामले में इलाहबाद हाईकोर्ट ने राहत दी है. कोर्ट ने मॉडल ममता राय के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. इसी के साथ हाईकोर्ट ने इस मामले में शिकायतकर्ता और राज्य सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 28 फरवरी 2025 को होगी. ममता राय की याचिका पर ये आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने दिया है. 

क्या है मामला
बता दें कि वाराणसी के सारनाथ में ममता राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए आरोप लगाया गया था कि  ममता राय ने पिछले साल सावन के महीने में वाराणसी शहर में पोस्टर लगवाए थे. पोस्टर में शिवलिंग पर फूल चढ़ाते हुए एक तस्वीर थी जिस पर स्लोगन था "मैं काशी हूं ममता राय". इसी पोस्टर को लेकर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के नेता विक्रांत सिंह ने ममता राय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. विक्रांत सिंह ने इस पोस्टर पर आपत्ति दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि यह पोस्टर धार्मिक भावनाएं आहत करने वाला है. साथ ही उन्होंने जान से मारने की धमकी और गाली-गलौज का भी आरोप लगाया था. 

पुलिस ने विक्रांत सिंह की FIR पर जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल किया. जिसके बाद मॉडल ममता राय ने आरोप पत्र और पूरी आपराधिक कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. 

कोर्ट में मॉडल के वकील की दलील
कोर्ट में मॉडल ममता राय के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ तथ्यों और परिस्थितियों के विपरित राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल कर झूठे मुकदमे दर्ज कराये गए हैं.  ममता राय के वकील ने कहा कि देश का संविधान सभी को अभिव्यक्ति का अधिकार देता है. केवल किसी पोस्टर को देखने से शिकायतकर्ता की भावनाएं आहत होती हैं यह तर्कसंगत नहीं है. इसलिए कोर्ट को उत्पीड़नात्मकर कार्रवाई पर रोक लगानी चाहिये. 

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