Mahakumbh 2025: नागा साधु और अघोरी में कौन बड़ा शिवभक्त, पूजा-पोशाक खानपान और ब्रह्मचर्य में कौन करता है कठोर साधना
Advertisement
trendingNow0/india/up-uttarakhand/uputtarakhand2610037

Mahakumbh 2025: नागा साधु और अघोरी में कौन बड़ा शिवभक्त, पूजा-पोशाक खानपान और ब्रह्मचर्य में कौन करता है कठोर साधना

lifestyle and facts about aghori and naga sadhu: अघोरी या नागा साधु, किसका जीवन सबसे कठिन होता है इसे लेकर लोगों के मन में सवाल जरूर आते हैं. आइए जानें शिवजी की भक्ति में डूबे इन सन्यासियों की रहस्यमयी दुनिया आखिर है क्या.

Prayagraj Mahakumbh 2025

Prayagraj Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में करोड़ों भक्तों का महाकुंभ में जमावड़ा लगा है. 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलने वाले इस आयोजन में देश-विदेश से तो लोग गंगा स्नान के लिए आ ही रहे हैं लेकिन यहां का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र यहां आए नागा साधु, अघोरी बाबा समेत वे सभी साधु-संत बने हुए है जो यहां संगम में डुबकी लगाने आए हैं. इसी कड़ी में आइए जानते हैं कि नागा साधु और अघोरी में क्या विशेष अंतर है. 

साधना से लेकर खानपान तक
वैसे तो नागा साधु व अघोरी दोनों साधु ही हैं और हिंदू धर्म से जुड़े हैं लेकिन इनका जीवन एक दूसरे से पूरी तरह से अलग है. इनकी साधना से लेकर इनका खानपान, कपड़े सबकुछ अलग होता है. तो चलिए अघोरी और नागा साधुओं को विस्तार से जानें. 

अघोरी साधु कौन होते हैं?
अघोरी साधु जो साधना करते हैं उसे ‘अघोर पंथ’ कहा जाता है. श्मशान जैसी जगहों पर इसका वास होता है जहां ये अपनी साधना करते हैं. श्मशान घाट में रहकर साधना करने वाले ये साधु मृत्यु और जीवन के रहस्यों को समझने का प्रयास करते है. इन साधुओं के पास एक नरमुंड होता है जो जीवन और मृत्यु के चक्र को दर्शाता है. कच्चा मांस खाने वाले ये अघोरी साधु शिवजी के भैरव स्वरूप की पूजा करते हैं. काले वस्त्र धारण करने वाले ये अघोरी तंत्र साधना भी करते हैं. 

नागा साधु कौन होते हैं?
अब अगर नागा साधुओं की बात करें तो धर्म रक्षक ये साधु समाज में धर्म प्रचारक की भूमिका भी निभाते हैं. 8वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने नागाओं की परंपरा शुरू की, इन साधुओं के अखाड़े होते हैं जहां पर साधु अनुशासन पूर्वक भक्ति में जीवन गुजारते हैं. नागा साधु मांस और शराब नहीं पीते हैं और जीवनभर कठिन तपस्या करते हैं. ये साधु शरीर पर भस्म रगड़ते हैं. 

अघोरी और नागा साधु में अंतर
अघोरी साधु श्मशान में वास करते हैं. 
वहीं नागा साधु 12 साल की कठिन तपस्या करते हैं.  इस दौरान साधु को गुरु सेवा में लीन होना पड़ता है.
नागा साधु को कई कठिन परीक्षाए देनी पड़ती है तब जाकर उन्हें नागा साधु बनाया जाता है. 
अघोरी साधु श्मशान में रहकर तंत्र साधना करते हुए भक्ति करते हैं. 
हालांकि, दोनों साधुओं का जीवन कठिनाइयों भरा है. 

पूजा और आस्था की पद्धिति
अघोरी और नागा साधु दोनों शिव भक्त हैं लेकिन इनकी पूजा और साधना विधि इन्हें एक दूसरे से अलग करती है. शिव के भैरव रूप की साधना अघोरी करते हैं तो वहीं शिव जी केवैरागी रूप की साधना में नागा साधु लीन रहते हैं. अघोरी साधु के पास एक मानव खोपड़ी होती है तो वहीं नागा साधु के 17 तरह के श्रृंगार में भस्म, तिलक, कुंडल, कड़े जैसी चीजे आती हैं जिन्हें वो हमेशा धारण करते हैं. 

खानपान में अतर 
जहां एक ओर अघोरी मांसाहार करते हैं जो जानवरों का कच्चा मांस भी खा सकते हैं. वहीं दूसरी ओर कहा जाता है कि नागा साधु दिनभर में एक बार खाते हैं. भिक्षा मांगकर भोजन करने वाले इन साधुओं को अगर कोई भोजन नहीं देता तो उस दिन ये भूखे रहते हैं. ध्यान दें कि नियमानुसार केवल सात घरों से ही नागा साधु भिक्षा मांग सकते हैं. 

ब्रह्मचर्य से जुड़े नियम 
कुछ अखाड़ों में भुट्टो कहे जाने वाले इन नागा साधुओं को जीवनभर ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं. न तो विवाह करते हैं और  ही शारीरिक संबंध बनाते हैं. वहीं अघोरी साधु के लिए ब्रह्मचर्य से जुड़े विशेष नियम के बारे में नहीं बताया जाता. 

नागा साधु बनना आसान नहीं
नागा बनने की 12 साल की कठिन प्रक्रिया में लगे इन लोगों को लंगोट पहनने की अनुमति होती है. इसके बाद जब कुंभ मेला लगता है तो इसी मेले में नागा साधु के रूप में प्रण दिलवाया जाता है. यहां लंगोट त्याग कर ये दिगंबर जीवन जीते हैं यानी बिना कपड़े के जीवन बिताते हैं.

और पढ़ें- Mahakumbh 2025: हठ योग केवल योग नहीं, जानिए क्यों नागा साधु और संत करते हैं सालों साल अभ्यास 

Trending news