मेघनाद वध के लिए लक्ष्मण को क्यों लेना पड़ा नींद की देवी से वरदान, रामायण की अनोखी कहानी
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मेघनाद वध के लिए लक्ष्मण को क्यों लेना पड़ा नींद की देवी से वरदान, रामायण की अनोखी कहानी

Ramayana: मेघनाथ को अपने भाई रावण की तरह अमरता जैसा वरदान प्राप्त था, यहां तक कि श्रीराम भी उसका वध करने में सक्षम नहीं थे, लेकिन लक्ष्मण में एक ऐसा गुण था जिसकी वजह से वो मेघनाथ का वध कर पाए. ये गुण लक्ष्मण को कैसे प्राप्त हुआ आइये जानते हैं अनोखी कहानी 

मेघनाद वध के लिए लक्ष्मण को क्यों लेना पड़ा नींद की देवी से वरदान, रामायण की अनोखी कहानी

Ramayana Facts: भाई के लिए लक्ष्मण के प्रेम और त्याग का कोई उदाहरण तीनों लोकों में नहीं मिलता है. उनके बड़े भाई श्रीराम के प्रति प्रेम और समर्पण की कई कथाएं प्रसिद्ध हैं. रामायण के अनुसार, जब श्रीराम को वनवास हुआ, तो लक्ष्मण भी उनके साथ गए और 14 वर्षों तक उनके और सीता माता की सेवा और सुरक्षा के लिए समर्पित रहे. ऐसा कहा जाता है कि इन 14 वर्षों में लक्ष्मण ने कभी नींद नहीं ली. इसी कारण उन्हें 'गुडा केश' कहा जाता था, जिसका अर्थ है 'जो नींद का स्वामी हो.'

राम भी नहीं कर सकते थे मेघनाथ का वध
लक्ष्मण के इसी विशेष गुण के कारण वह लंका युद्ध में रावण के सबसे बड़े और शक्तिशाली पुत्र मेघनाद का वध करने में सफल रहे थे. मेघनाद को ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त था कि उसका वध केवल वही व्यक्ति कर सकता है जिसने 14 वर्षों तक नींद न ली हो. इस कारण, स्वयं भगवान श्रीराम भी मेघनाद का वध नहीं कर सकते थे, केवल लक्ष्मण ही इस कार्य में सक्षम थे. 

मेघनाथ को था अनोखा वरदान प्राप्त
मेघनाद को 'इंद्रजीत' के नाम से भी जाना जाता था, क्योंकि उसने इंद्र सहित सभी देवताओं को युद्ध में पराजित कर दिया था. ब्रह्मा जी ने उसे अमरता का वरदान देने से इंकार कर दिया, लेकिन यह आशीर्वाद दिया कि केवल वही व्यक्ति उसे हरा सकता है, जिसने 14 वर्षों तक न नींद ली हो, न भोजन किया हो, और न किसी स्त्री का मुख देखा हो. ऋषि अगस्त्य ने भी कहा था कि मेघनाद सबसे शक्तिशाली योद्धा था, और उसे केवल लक्ष्मण ही मार सकते थे.

बिना आज्ञा लक्ष्मण ने नहीं किया भोजन
जब श्रीराम ने ऋषि अगस्त्य से पूछा कि लक्ष्मण ने ऐसा कैसे किया, तो लक्ष्मण ने स्वयं बताया कि उन्होंने 14 वर्षों तक सीता जी के चरणों के ऊपर कभी नहीं देखा, इसलिए वह उनके आभूषणों को पहचान नहीं सके. लक्ष्मण ने यह भी बताया कि जब राम उन्हें फल-फूल लाकर देते थे, तो कहते थे "लक्ष्मण, इन्हें रख लो," परंतु खाने के लिए कभी विशेष निर्देश नहीं दिए. बिना आज्ञा के, लक्ष्मण ने कभी भोजन नहीं किया. 

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लक्ष्मण ने क्यों लिया नहीं सोने का वरदान 
लक्ष्मण ने वनवास की पहली रात को निद्रा देवी से प्रार्थना की कि उन्हें ऐसा वरदान दें कि वह 14 वर्षों तक बिना सोए श्रीराम और सीता की रक्षा कर सकें. निद्रा देवी ने लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला से पूछा, और उर्मिला ने लक्ष्मण के बदले 14 वर्षों तक सोने का व्रत स्वीकार किया था. 

इस प्रकार, लक्ष्मण ने अपने भाई श्रीराम के प्रति अपार प्रेम, समर्पण और त्याग का जो उदाहरण पेश किया, वो पूरे ब्रह्मांड में कहीं और सुनाई नहीं देता. 

Disclaimer : यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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