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Jaipur Literature Festival 2025: कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल होने के लिए जयपुर पहुंचे. वे रविवार को फेस्टिवल के तीन सत्रों में भाग ले रहे हैं. इस दौरान उन्हें प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडियाकर्मियों से बात की. उन्होंने बजट, कुंभ, इंडिया अलायंस समेत तमाम विषयों पर अपने विचार रखे.
इंडिया अलायंस जब बना था, तब भी यह साफ था कि यह राज्यों में काम नहीं करेगा. दिल्ली में हम लोकसभा चुनाव के दौरान जरूर साथ थे. लेकिन अब नहीं हैं. यह राज्यों के पॉलिटिकल कैरेक्टर पर निर्भर करेगा. इसलिए इंडिया अलायंस का मर्सिया पढ़ा जाना चाहिए, न इस बात का जश्न मनाया जाना चाहिए कि अब इंडिया अलायंस के दल अलग अलग चुनाव लड़ रहे हैं.
अगर आप दिल्ली बिहार से हो और आप मिडिल क्लास से हो जिसे एक लाख सैलरी मिल रही है तो आप खुश होंगे लेकिन अगर आप रोजगार की तलाश कर रहे हो तो आपके लिए इस बजट में कुछ नहीं है. क्यों हमारे देश से निवेशक बाहर जा रहे हैं? सरकार को उन्हें रोकना चाहिए और कहना चाहिए कि आप यहीं निवेश कीजिए. मैंने पूरे बजट में बेरोजगारी शब्द ही नहीं सुना.
आपको भले ही टैक्स में राहत मिले लेकिन आपके जेब में पैसे नहीं
10 हजार करोड़ के रोजगार सृजन की बात की, उसे घटाकर 6 हजार करोड़ पर लेकर आए. रोजगार को लेकर कोई सोल्यूशन नहीं है.रोजगार को लेकर फोकस रहना चाहिए. सरकार कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश कर रही है, कुछ नेशनल चैंपियन को प्रमोट कर रही है. इससे एक बड़े वर्ग को नुकसान है. मनरेगा के मजदूर सात आठ महीने से अपने पैसे का इंतजार कर रहे हैं. लेकिन सरकार की प्राथमिकता ही नहीं है.
सरकार को प्राथमिकता तय करनी चाहिए. अगर आपको पढ़ाई को प्रमोट करना है. तो आपको सुविधाएं मुहैया कराना चाहिए. लड़कियों का ड्रॉप आउट बढ़ रहा है. चाइनीज बोर्डर पर जो हुआ वह कभी नहीं होना चाहिए. उन्हें दिखना चाहिए कि हम मजबूत हैं. इसलिए बजट में डिफेंस का हिस्सा बढ़ाया जाना चाहिए. अभी भी अधिकारियों की कमी है. इसे दूर किया जाना चाहिए.
1948 से हम कह रहे हैं कि जीडीपी का 6 फीसदी हिस्सा रहना चाहिए. लेकिन अब तक 4.8 फीसदी पहुंचना चाहिए. इसके लिए प्रयास होने चाहिए. धर्म व्यक्तिगत मसला है. आप मंदिर जाना चाहें, कुंभ जाना चाहें, यह आपका मामला है. राम मंदिर जाना है या नहीं जाना है यह मेरी पार्टी, या कोई पार्टी तय नहीं करेगी.
मैं कुंभ गया और मुझे सिक्योरिटी मिली, वीआईपी ट्रीटमेंट मिली और इससे आम लोगों को दिक्कत हो तो मैं जाना पसंद नहीं करूंगा. नेहरू जी 1957 में एक बार गए और उस दौरान दूर कहीं कुछ भगदड़ हुई और कुछ लोगों का देहांत हो गया. तो उन्होंने कहा कि ऐसी जगहों पर वीआईपी को नहीं जाना चाहिए, आम लोगों को जाने देना चाहिए. इसलिए मैं नहीं जाऊंगा. अगर मेरे स्टाफ में भी कोई जाना चाहे तो वह जा सकता है मैं मदद करूंगा लेकिन मैं किसी को अधिकार नहीं दूंगा कि वे इस आधार पर मुझे सनातनी होने, न होने का प्रमाण दें.
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