एसएमएस के न्यूरोसर्जरी और ईएनटी विभाग के डॉक्टर्स की टीम ने यह कारनामा कर दिखाया है. न्यूरोसर्जरी में भर्ती मरीज के ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट करने के लिए सफल ऑपरेशन कर दिखाया है.
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Jaipur: प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह ने एक बार फिर नई उपलब्धि हासिल की है. यहां के डॉक्टर्स ने राजस्थान का पहला ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट किया है. ऐसा करने वाला देश का पहला पहला मेडिकल कॉलेज बन गया है.
एसएमएस के न्यूरोसर्जरी और ईएनटी विभाग के डॉक्टर्स की टीम ने यह कारनामा कर दिखाया है. न्यूरोसर्जरी में भर्ती मरीज के ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट करने के लिए सफल ऑपरेशन कर दिखाया है. डॉक्टर्स का दावा है कि सक्सेस इम्प्लांट करने वाला एसएमएस राजस्थान का पहला और देश के किसी भी चिकित्सा शिक्षण संस्थान में यह उपलब्धि हासिल करने वाला पहला संस्थान बन गया है यानी की ब्रेन में बोलने और सुनने वाली मशीन लगाई गई है.
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14 वर्षीय बालिका के दिमाग में संक्रमण के बाद सुनाई की क्षमता खत्म हो गई थी, थोड़े समय में उसका बोलना भी बंद हो गया था. एसएमएस के चिकित्सकों ने परीक्षण कर इम्प्लांट करने का निर्णय लिया क्योंकि इस विधि के अलावा अन्य किसी विधि से इलाज संभव नहीं था. मरीज के पिता ने राज्य सरकार से इलाज के लिए मदद मांगी. सरकार ने एसएमएस के 2 वरिष्ठ चिकित्सकों डॉ. अचल शर्मा व. आचार्य न्युरोसर्जरी विभाग एंव डॉ. मोहनीश ग्रोवर आचार्य ईएनटी को जनवरी 2022 में प्रशिक्षण के लिए चेन्नई भेजा और मरीज के इलाज के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की. उसके बाद आज इन दोनों के साथ मिलकर टीम ने ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट ऑपरेशन को सफलतापूर्वक किया.
क्या होता है ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इंप्लांट
बच्ची के कॉकलियर के अंदर हड्डी बन जाने की वजह से कॉकलियर इंप्लांट संभव नहीं हो पाता है. इसलिए ऑडिट्री ब्रेनस्टेम इप्लांट किया जाता है. यानी ब्रेन में बोलने और सुनने वाली मशीन लगाई जाती है. कान के पीछे की हड्डी से होते हुए दिमाग के भीतरी हिस्से में ब्रेनस्टेम स्थापित किया जाता है. यह उन मरीजों में लगाया जाता है, जिनमें सुनाई देने के कान के आन्तरिक अंग काम नहीं कर पाते. ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ. अचल शर्मा, डॉ. मोहनीश ग्रोवर, डॉ.गौरव जैन, डॉ. शोभा पुरोहित, डॉ. संजय पोरवाल, योगेश शर्मा और चेन्नई से आई विशेषज्ञों की टीम में पदमश्री डॉ. मोहन कामेशवरन, डॉ. वासुदेवन और डॉ. रंजीत शामिल रहे.
पिछले 6 माह से चल रही थी तैयारी
अभी तक यह इंप्लांट देश में दिल्ली और चेन्नई के दो अस्पतालों में हो रहा है. ये दोनों ही प्राइवेट अस्पताल हैं. एसएमएस यह करने की 1 साल से तैयारी कर रहा था. इसके लिए चेन्नई से डॉक्टर को प्रशिक्षण दिलवाया गया और वहां की टीम की मदद लेकर इस सफल इंप्लांट को किया गया. इस उपलब्धि पर एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजीव बगरहट्टा, अधीक्षक डॉ. विनय मल्होत्रा, उप अधीक्षक डॉ. प्रदीप शर्मा, मनोज शर्मा ने इसे किसी भी सरकारी अस्पताल की बड़ी उपलब्धि बताया है.
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